Pregnancy and air pollution : प्रेगनेंट हैं, तो प्रदूषण के दौरान आपको रखना चाहिए इन 5 बातों का ख्याल

प्रेगनेंसी बहुत सारे बदलावों वाला संवेदनशील समय होता है। ऐसे समय में जब आपको खराब हवा और प्रदूषण का सामना करना पड़ता है तो यह आपकी और आपके बच्चे दोनों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। एक फर्टिलिटी एक्सपर्ट बता रही हैं इसके लिए कुछ जरूरी टिप्स।
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प्रदूषण के दौरान आपको अपना और भी ज्यादा ख्याल रखना है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Published On: 23 Nov 2024, 04:00 pm IST
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डॉ. शिल्पा सिंघल
मेडिकली रिव्यूड

मौसम बदलने के साथ ही दिल्ली के वातावरण में स्मॉग की एक मोटी चादर टंग गई है। जिसका असर लोगों के श्वसन और प्रजनन स्वास्थ्य पर साफ दिखाई देने लगा है। पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (Delhi-NCR) में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर को छूने लगी है और ऐसे में गर्भवती महिलाओं (Pregnancy and air pollution) की सेहत को लेकर चिंता होना लाजिमी है। प्रेगनेंसी वैसे भी नाजुक होती है और ऐसे में अगर हवा भी जहरीली हो जाए, तो चुनौतियां बढ़ जाती हैं। जिससे न सिर्फ मां की सेहत को खतरा बढ़ जाता है, बल्कि गर्भधारण की क्षमता और स्वस्थ शिशु के मामले में भी चुनौती बढ़ती है।

वायु प्रदूषण कैसे प्रेगनेंसी को प्रभावित करता है, और इसके जोखिमों से कैसे बचना है, यह जानने के लिए हमने डॉ. शिल्पा सिंघल से बात की। डॉ शिल्पा बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, दिल्ली में आईवीएफ विशेषज्ञ हैं।

प्रदूषण का प्रेगनेंसी पर प्रभाव (Pollution effects on fertility and pregnancy)

डॉ. शिल्पा कहती हैं,”वायु प्रदूषण केवल हमारी आंखों से दिखायी देने वाला स्मॉग नहीं होता। हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषक तत्व – PM2.5, PM10, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हमारे रक्तप्रवाह में घुल-मिल जाते हैं और फेफड़ों के रास्ते शरीर के अन्य कई महत्वपूर्ण तंत्रों पर असर डालते हैं।

गर्भवती महिलाओं पर इनका असर (Pregnancy and air pollution) और भी गंभीर होता है और इनकी वजह से उनकी अपनी सेहत तो खराब होती ही है, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकास पर भी असर पड़ता है।”

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प्रेगनेंसी में आपको अपनी सेहत का और भी ज्यादा ख्याल रखना है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

1 कम हो जाती है जन्म दर 

चीन में इस संबंध में कराए गए गए अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण की वजह से कई बार सामान्य स्थितियों की तुलना में जन्म दर कम हो जाती है। इसके साथ ही, समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) का रिस्क भी बढ़ जाता है जो कि प्लेसेंटल एंजाइम्स के एक्टिवेट होने और गर्भपात के चलते होता है।

2 ऑटिज्म जैसी समस्याएं

हार्वर्ड में हुए एक अन्य अध्ययन के मुताबिक यह पाया गया कि लंबे समय तक अत्यधिक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने वाली मांओं के तीसरे ट्राइमेस्टर में ऑटिज़्म संबंधी और व्यवहारगत परेशानियां पैदा हो सकती हैं।

3 कम हो सकता है ओवेरियन रिजर्व

ह्यूमैन रिप्रोडक्शन अपडेट की रिसर्च से यह बात सामने आयी कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर महिलाओं की डिंबग्रंथि में मौजूद डिंबों (ओवेरियन रिज़र्व) में 20% की कमी आती है और साथ ही, पुरुषों में भी शुक्राणुओं की गति प्रभावित (स्पर्म मोटिलिटी) होती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भधारण पर असर पड़ता है।

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4 कम होती है फर्टिलिटी

शोध के इन नतीजों से यह साफ है कि वायु प्रदूषण महज़ पर्यावरण से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि यह सीधे-सीधे रिप्रोडक्शन हेल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य), फर्टिलिटी रेट (उर्वरता दर) और प्रेगनेंसी के नतीजों पर असर डालता है।

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वायु प्रदूषण का असर महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण स्तरों में कैसे रखें खुद को सुरक्षित (Safety tips for pregnant women in pollution)

दिल्ली जैसे महानगर में, जहां सर्दी का मौसम शुरू होते ही वायु प्रदूषण का रिस्क बेहद बढ़ जाता है, यदि कोई गर्भधारण का इच्छुक है या अपने परिवार में नए मेहमान के स्वागत की तैयारी कर रहा है, तो निम्न उपायों का पालन करेंः

1 घरों के अंदर गतिविधियां बढ़ाएं

डॉ. शिल्पा सलाह देती हैं, “फर्टिलिटी और हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए एक्टिव लाइफस्टाइल काफी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जब बाहर के वातावरण में प्रदूषण भरा हो और स्मॉग का खतरा मंडरा रहा होता है तो सैर या व्यायाम के लिए आउटडोर की बजाय इंडोर रहना सुरक्षित विकल्प होता है। इसी तरह, घर के अंदर रहकर प्रसव पूर्व योग करने या हल्की-फुल्की स्ट्रैचिंग से आप खुद को एक्टिव रखते हैं और खतरनाक विषाक्त तत्वों से भी अपना बचाव कर पाते हैं।”

2 बचाव करने वाले खानपान को दें प्रमुखता

बेशक, सही खानपान से आप प्रदूषण के विपरीत प्रभावों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अपने भोजन में इन्हें शामिल करें और साथ ही, पानी का सेवन भी बढ़ाएंः

विटामिन सीः खट्टे और रसीले फलों (सिट्रस), स्ट्रॉबेरी तथा आंवला का सेवन करने से इम्युनिटी बढ़ती है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस से भी बचाव होता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिडः अखरोट, चिया सीड्स और फैटी फिश जैसे सामन से इंफ्लेमेशन कम करने और भ्रूण के ब्रेन डेवलपमेंट को सेहतमंद बनाने में मदद मिलती है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जियांः पालक, मेथी और शकरकंदी जैसी सब्जियां इस मौसम में आसानी से उपलब्ध होती हैं और ये आपके सिस्टम को डीटॉक्स करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

3 इंडोर एयर क्वालिटी में करें सुधार

हवा में मौजूद विषाक्त तत्वों (टॉक्सिन्स) के मद्देनज़र, आप अपने घरों के भीतर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए HEPA फिल्टरयुक्त हाइ-क्वालिटी एयर प्योरीफायर लगा सकते हैं। वायु गुणवत्ता में सुधार करने और सेहतमंद हवा के लिए इसे ऑन करके रखें।

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एयर प्यूरीफायर घर के अंदर की हवा को साफ रखने का एक उपाय हो सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

इसके अलावा, आप अपने घरों के लिए एरिका पाम, स्पाइडर प्लांट और स्नेक प्लांट जैसे पौधों को भी चुन सकते हैं जो हवा को प्राकृतिक रूप से स्वच्छ बनाते हैं।

4 घर से बाहर निकलें तो N95 मास्क पहनें

बेशक, वायु प्रदूषण की वजह से जिंदगी तो रुक नहीं सकती और आपको बाहर भी आना-जाना पड़ता है, इसलिए जब भी घरों से बाहर जाएं तो N95 मास्क लगाकर ही जाएं और अच्छी तरह से अपनी नाक और मुंह को ढककर रखें, ताकि खतरनाक तत्वों से बचाव हो सके। अधिक ट्रैफिक और भीड़भाड़ या औद्योगिक गतिविधियों वाले इलाकों में जाने से बचें।

5 किचन में चिमनी का उपयोग करें

किचन में चिमनी का इस्तेमाल करने से धुंआ, तेल-घी और खाना पकाने के दौरान पैदा होने वाली गंध लगातार बाहर निकलती है जिससे वेंटिलेशन में सुधार होता है, और इस तरह किचन के अंदर नमी तथा धुंआ नहीं रुकता, जो अन्यथा सांस की तकलीफों का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण के व्यापक असर को देखते हुए, सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इसलिए अपने गाइनीकोलॉजिस्ट के संपर्क में रहें जिससे गर्भस्थ शिशु की हेल्थ को लगातार मॉनीटर किया जाता रहे। हेल्थकेयर प्रदाताओं के अलावा, परिजनों और मित्रों को भी गर्भवती की सहायता करनी चाहिए ताकि गर्भावस्था का सफर सुखद बना रहे।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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