पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण कुछ और नहीं हम सभी की देन है। हम अपनी आदतों से केवल पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि खुद को और आने वाली पीढ़ियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग, वाइल्ड फायर से लेकर एयर पॉल्यूशन और वॉटर पॉल्यूशन जैसी सभी समस्याओं के लिए हमारी ये लापरवाहियां और प्रकृति का अतिरिक्त दोहन ही जिम्मेदार है। इसलिए यह जरूरी है कि अपनी छोटी-छोटी नियमित आदतों में बदलाव लाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान करें। यह कैसे होगा (How to achieve sustainable living), यह बताने के लिए हमारे साथ हैं सस्टेनेबिलिटी के लिए काम कर रहीं कामना गौतम।
मां, पत्नी, न्यूट्रीशनिस्ट और जिम्मेदार नागरिक की भूमिकाओं में रहते हुए कामना अपने इंस्टाग्राम पेज “मायकॉकटेल लाइफ (Mycocktail_life)” के माध्यम से बच्चों की देखभाल, पर्यावरण प्रदूषण और सस्टेनेबिलिटी के बारे में जागरुक करती हैं।
हेल्थ शॉट्स के साथ हुए एक इंटरव्यू में उन्होंने सस्टेनेबल लाइफ मेंटेन करने के कुछ प्रभावित टिप्स बताए थें। तो चलिए जानते हैं आखिर किस तरह कामना अपनी जीवन में सस्टेनेबिलिटी को मेंटेन रखते हुए एक सामान्य जीवन जीती हैं, और उनसे समझेंगे कि हमें किन आदतों में बदलाव करने की आवश्यकता है (How to achieve sustainable living)।
सस्टेनेबिलिटी यानी प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह उपयोग करना कि वे वापस प्रकृति में लौट सकें। इसे सतत संरक्षण के तौर पर भी संदर्भित किया जा सकता है। यदि हम सभी इन पर अमल करें तो एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जीना हमारे लिए बेहद आसान हो जाएगा। छोटी-छोटी गतिविधियां जिस प्रकार वातावरण को प्रदूषित कर रही हैं, ठीक उसी प्रकार यदि इन्हें सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाया जाए तो यह वातावरण को दूषित होने से बचा सकती हैं।
हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार 1972 में 5 जून को सेलिब्रेट किया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकना है साथ ही अपने प्लानेट को पूरी तरह से सुरक्षित रखना है। इस साल विश्व वातावरण दिवस का थीम “बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन” रखा गया है।
इस दिन अलग-अलग ऑर्गनाइजेशन, स्कूल, कॉलेज द्वारा तरह-तरह के प्रोग्राम चलाकर वातावरण में प्लास्टिक, केमिकल टॉक्सिंस, गैस और अन्य हानिकारक पदार्थों से हो रहे प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। उन्हें स्वच्छता को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके बताए जाते हैं उनमें से एक है सस्टेनेबिलिटी।
जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ ही पृथ्वी पर जीवन की विविधता और पृथ्वी के संसाधन-समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्थिरता बेहद महत्वपूर्ण है। सस्टेनेबिलिटी पानी और हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है और इससे लैंडफिल भी कम होता है। साथ ही लंबी अवधि में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में वृद्धि होती है।
हो सकता है यह आपको काफी मुश्किल लगे, कई लोग इसका मजाक भी बना सकते हैं परंतु यह कितना स्वस्थ और सुरक्षित हो सकता है इसका अंदाजा आपको नहीं होगा। आमतौर पर स्ट्रीट फूड प्लास्टिक मैटेरियल में सर्व किए जाते हैं, जो वातावरण के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी बिल्कुल उचित नहीं है। प्लास्टिक मटेरियल में गर्म फूड्स को डालते ही यह खाद्य पदार्थों के साथ रियेक्ट करती है जिसकी वजह से आप खाने के साथ-साथ टॉक्सिंस को भी बॉडी में इंटेक करती हैं।
कामना गौतम अपने साथ खुद का बर्तन कैरी करती हैं, उनके अनुसार शुरुआत में यह काफी मुश्किल हो सकता है परंतु धीरे-धीरे आपको इसकी आदत हो जाती है। वहीं वह कहती हैं कि प्लास्टिक बॉटल खरीदने की जगह अपनी खुद की स्टील बॉटल कैरी करना शुरू कर दें।
आमतौर पर हम जब भी कहीं बाहर जाते हैं तो प्लास्टिक की चीजें खरीदने के साथ ही चीज को प्लास्टिक में कैरी करते हैं। प्लास्टिक को डिस्पोज होने में काफी समय लगता है, ऐसे में यह लैंडफिल का कारण बनती है और इससे होने वाले टॉक्सिक पोल्यूशन हमारी सेहत को प्रभावित करते हैं। इतना ही नहीं यह जानवरों के लिए काफी हानिकारक हो सकती है।
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कस्टमाइज़ करेंआपको सस्टेनेबिलिटी मेंटेन रखने के लिए प्लास्टिक फ्री लाइफ बहुत जरूरी है। हालांकि, यह केवल प्लास्टिक तक सीमित नहीं है सस्टेनेबिलिटी के कई अन्य तरीके भी हैं। रीयूज होने वाले बैग का इस्तेमाल करें यदि आप बाहर जाते हुए बैग कैरी करना भूल जाती हैं तो हमेशा अपने पर्स या फिर अपनी गाड़ी में दो से तीन बैग डालकर छोड़ दें।
इसके अलावा प्लास्टिक बॉटल्स, स्ट्रॉ और प्लास्टिक फूड पैकेजिंग को अवॉयड करें। शुरुआत में यह मुश्किल हो सकता है परंतु एक समय के बाद आपको इसकी आदत हो जाएगी और आप खुद ब खुद प्लास्टिक को पूरी तरह से अवॉइड करना शुरू कर देंगी।
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आजकल लोग छोटी-छोटी दूरी तय करने के लिए बाइक, कार इत्यादि का इस्तेमाल करते हैं। यह न तो आपकी सेहत के लिए उचित है न ही आपके वातावरण के लिए। एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक डेटा के अनुसार एक लोकल पैसेंजर वेहिकल हर दिन लगभग 4.6 मेट्रिक टोंस कार्बन डाइऑक्साइड प्रोड्यूस करती है।
जिम और एक्सरसाइज करना तो ठीक है परंतु कोशिश करें कि जितना पसीना आप वहां बहाती है उतना ही अपने ट्रैवलिंग में भी बहा लें। छोटी दूरी तय करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल कर सकती हैं। वहीं आसपास के काम के लिए वॉक करने की आदत बनाएं। यह आपके शरीर को फिट रखने के साथ ही वातावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद करेगा। आपकी एक छोटी सी शुरुआत वातावरण के लिए एक बड़ा योगदान हो सकती हैं।
ओवन, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर, रेफ्रिजरेटर, इत्यादि जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल को जितना हो सके उतना सीमित रखें। नियमित रूप से वॉशिंग मशीन के इस्तेमाल की आदत न बनाएं, क्योंकि न तो यह आपकी सेहत के लिए उचित होता है और न ही वातावरण के लिए।
यदि आप घर में किसी नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को खरीदने का सोच रही हैं तो सबसे पहले सेकंड हैंड उपकरणों की जांच कर लें यदि उपलब्ध है तो सेकंड हैंड प्रोडक्ट खरीदना बेहतर रहेगा।
यदि नया ले रही हैं तो एनर्जी लेवल चेक करना बेहद जरूरी है। आप अपने किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि का इस्तेमाल नहीं कर रही होती हैं तो उसे लंबे समय तक खुला न छोड़ें। यह सभी इको बैलेंस को बनाए रखने में मदद करते हैं।
कंपोस्ट करने के लिए जैव पदार्थों जैसे गार्डन की पत्तियां, बचा-कुचा खाना आदि का ढेर बनाकर इसे रख देना और कुछ काल तक प्रतीक्षा करना ताकि इसका विघटन हो जाए। कंपोस्ट में कुछ सप्ताह या महीने लगते हैं। उसके बाद वह ह्यूमस में बदल जाता है।
सस्टेनेबल जीवन जीने के लिए आप अपने घर के गीले कचरे को लैंडफिल के लिए भेजने की जगह खुद से डीकंपोज कर सकती हैं। जब यह कंपोस्ट हो जाए तो इसे अपने गार्डन की मिट्टी में मिला दें, इससे आपके पौधों को जरूरी न्यूट्रिशन मिलता है साथ ही यह वातावरण के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है।