त्योहारों के मौके पर लोग ओवरइटिंग से परहेज नहीं करते है, जिससे शरीर में पाचन संबधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, खानपान के अलावा कई लाइफस्टाइल मिस्टेक्स ब्लोटिंग, पेट दर्द, अपच और कब्ज को भी बढ़ा देती है। ठीक उसी तरह से एसिडिटी की समस्या भी बनी रहती है। तला भुना और मीठा बार बार खाने से पेट में एसिड बनने लगता है, जिससे एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। वे लोग जो पहले से ही इस समस्या से ग्रस्त है, उन्हें बार बार एसिडिटी का सामना करना पडता है। जानते हैं त्योहारों के बाद कैसे करें एसिडिटी को काबू (How to reduce acidity)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार पेट में मौजूद एसिड बेहद एसिडिक होता है। ये तत्व खाने को पचाने और शरीर में उनके एब्जॉर्बशन में मददगार साबित होता है। इसकी मदद से शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है और एंजाइम भी प्रोड्यूस होने लगते हैं। मगर पेट में एसिड की मात्रा बढ़ने से एसिड रिफ्लक्स और अल्सर को जोखिम बढ़ जाता हैं। इसका असर भोजन को पचाने की क्षमता पर भी दिखने लगता है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि अनियमित खानपान और गैस्ट्रिक फूड्स का सेवन करने से ग्लैंण्डस एसिड बनाने लगता है। इससे सूजन और अपच का सामना करना पड़ता है। एसिड रिफ्लक्स से ग्रस्त होने पर पेट में जमा एसिड गले तक पहुंच जाता है, जिससे खाना निगलना मुश्किल लगने लगता है। इसके अलावा मुंह के स्वाद में बदलाव आता है और सीने में जलन महसूस होने लगती है। इससे राहत पाने के लिए छोटी मील्स लेना फायदेमंद साबित होता है।
ओवरइटिंग से परहेज़ करें और हर थोड़ी देर में कम मात्रा में खाना खाएं। एसिड रिफ्लक्स से बचने के लिए 3 से 4 घंटे के अंतराल में मील्स लेंं। इसके अलावा देर रात खाना खाने से भी बचना चाहिए। दरअसल, खाना खाने के बाद सोने से भी एसिडिटी बड़ने लगती है।
शरीर को किसी भी तरह की पाचन संबधी समस्या से बचाने के लिए ताज़े फलों और सब्जियों को आहार में जोड़ें। इसके अलावा ऑयली व प्रोसेस्ड फूड की मात्रा को कम करें व साबुत अनाज, दालें और सीड्स और नट्स से मील्स को हेल्दी बनाएं। फाइबर रिच आहार लेने से कब्ज और एसिडिटी की समस्या भी हल होने लगती है।
कार्बोनेटेड पेय पदार्थों और कैफीन की जगह भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे पेट में बनने वाले एसिड से बचा जा सकता है। साथ ही इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम का जोखिम भी कम हो जाता है। इसके अलावा अलकलाइन वॉटर का सेवन करने से डाइजेशन बूस्ट होता है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को भी रिलीज़ किया जा सकता है।
वे लोग जो जल्दबाज़ी में खाना खाते है, उनके पेट में आहार के अलावा गैसिस एकत्रित होने लगती है, जो एसिडिटी का कारण बन जाती है। ऐसे में खाने को चबाकर खाएं, ताकि डाइजेस्टिव जूसिज़ खाने के अवशोषण में मदद कर पाएं।
नियमित व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। सुबह उठकर कुछ देर मेडिटेशन के अलावा कार्डियो एक्सरसाइज़ भी करें। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह नियमित बना रहता है और शरीर एक्टिव रहता है। गतिहीन जीवनशैली से शरीर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।