बचपन वो उम्र है, जब बच्चा नन्हे कदमों को आगे बढ़ाता हुआ, देखते ही देखते जीवन की दौड़ में शामिल हो जाता है। बच्चे जो चीजें अपने बचपन में सीखते हैं, वही उनके व्यक्तित्व का निर्माण और भविष्य में उनके निर्णयों को तय करती हैं। ये सभी चीजें बच्चे अपने पेरेंट्स, टीचर, बड़े भाई–बहनों और आसपास के लोगों को देखकर सीखते हैं। माता–पिता बच्चों के रोल मॉडल ही नहीं, उनके असली शिक्षक भी होते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी बड़े होकर केवल कामयाब न बने, बल्कि एक बेहतर इंसान बने तो आपको अभी से उसके शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास पर ध्यान देना होगा। यहां हम हेल्दी पेरेंटिंग के ऐसे ही जरूरी टिप्स (Parenting tips for child development) साझा कर रहे हैं।
मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि पढ़ाई के साथ साथ बच्चे के समग्र विकास के लिए पेरेंटिंग टिप्स ज़रूरी हैं। इसमें शारीरिक सक्रियता, मोबाइल से दूरी, हेल्दी फूड का सेवन, और नींद का विशेष ख्याल रखाना आवश्यक है। इससे बच्चा कम उम्र में बढ़ने वाले तनाव, एंग्ज़ाइटी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, नीरसता और एकाग्रता की कमी से दूर रहता है।
इस भागदौड़ से भरे जीवन में बच्चों को स्वस्थ और एक्टिव रखने के लिए उनकी डाइट से लेकर हाइजीन तक हर चीज का ख्याल रखना और उन्हें समय-समय पर इसकी जानकारी देना आवश्यक है। इसमें अच्छी समझ और अच्छा आहार दोनों ही जरूरी हैं।
डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि बच्चे के समग्र विकास के लिए पेरेंटिंग टिप्स बेहद ज़रूरी है। इसमें कोई दोराय नहीं कि बच्चों को दुनिया से अलग रखना बेहद मुश्किल है, लेकिन सही मात्रा और हेल्दी खाद्य पदार्थो की जानकारी होना ज़रूरी है। बच्चों की ग्रोथ के लिए कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और आमेगा 3 व ओमेगा 6 फैटी एसिड ज़रूरी है। आहार में हेल्दी फूड शामिल करें और इस बात का ख्याल रखें कि उन्हें कम उम्र में प्रोसेस्ड फूड के संपर्क में न लाएं। इससे गट हेल्थ को नुकसान पुहंचता है और ऑटोइम्यून डिज़ीज़ का खतरा बढ़ने लगता है।
तरह तरह के विज्ञापन बच्चों को लुभाने के लिए काफी होते है। मगर आहार में अत्यधिक चीनी, नमक और अनहेल्दी फैट्स का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर बनाकर शरीर में मोटापा और टाइप 1 डायबिटीज़ जैसी कई समस्याओं को बढ़ाने लगता है। ऐसे में बच्चों को आहार के प्रति जागरूक करने के लिए बच्चों को हेल्दी मील से संबधित जानकारी दें।
इसके लिए बच्चों को बचपन से ही फलों को खाने की आदत डालें। इसे फ्रूट सैलेड, कस्टर्ड और प्यूरी के रूप में बच्चों को दें। इसी प्रकार आहार में ब्रेड और पास्ता को चपाती व पोहा और इडली से रिप्लेस करें। इससे बच्चा हेल्दी डाइट से जुड़ने लगता है। सोडा और एनर्जी पेय पदार्थों की जगह लस्सी, नारियल पानी और स्मूदी देने की आदात डालें। कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा बनाए रखने के लिए हेल्दी और छोटी मील्स दें। इससे बच्चा ओवरइटिंग से बच जाता है।
मौसम में आने वाले बदलाव का असर स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। अपने आसपास स्वच्छता का ख्याल न रख पाने के कारण मौसमी संक्रमण, एलर्जी, कंजक्टीवाइटिस, खांसी, जुकाम और हेड लाइस का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बच्चों को रोज़ाना किसी न किसी प्रकार से पर्सनल हाइजीन की जानकरी देना आवश्यक है। इससे न सिर्फ इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है बल्कि संक्रमण की रोकथाम में भी मदद मिलती है। बच्चे के समग्र विकास के लिए पेरेंटिंग टिप्स का ख्याल रखें।
यूनिसेफ के अनुसार बच्चों को हैंड वॉशिंग के लिए 30 सेकण्ड नियम की जानकारी दें। इसके तहत बर्थडे सॉन्ग को दो बार दोहराएं। इसके बाद हाथों को पोंछने के लिए तौलिएं का इस्तेमाल करे। इसके अलावा नाखूनों को भी साफ रखने और समय पर उन्हें काटना आवश्यक है। इसी प्रकार हाथों को सेनिटाइज़ करने के लिए 20 सेकण्ड रूल फॉलो करें। यूनिसेफ के अनुसार चाहे पानी ठंडा हो या गर्म उसकी मदद से हाथों की स्वच्छता एक समान ही बनी रहती है। इसके अलावा दांतों की सफाई भी आवश्यक है। दिन में दो बार दांतों की सफाई करें।
बात-बात पर बच्चों पर गुस्सा करना, डांटना और हाथ उठाना पूरी तरह से गलत है। बच्चे के समग्र विकास के लिए पेरेंटिंग टिप्स आवश्यक हैं। बच्चे की गलती के लिए वायलेंस की जगह उन्हें अन्य कार्यों में मसरूफ कर दें। उन्हें पढ़ने के लिए बैठाएं और अन्य लोगो की मदद करने की आदत डालें। इससे बच्चा अपनी गलती से सीखने लगता है। बच्चों के सामने उंचा बोलने और गलत शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें। इससे बच्चे के मन मस्ष्कि में वो एक छाप के समान बस जाते है, जिसका उच्चारण बच्चा कभी भी कहीं भी करने लगता है।
मानसिक रूप से बच्चों को एक्टिव बनाने के लिए उन्हें पेंटिंग, डांसिंग, सिंगिंग और स्पोर्टस समेत अन्य गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास करें। इससे बच्चा चीजों को सीखने लगता है और उसका सर्कल बिल्ड होता है। इसके अलावा बच्चों के बिहेवियर को समझने का प्रयास करें। शॉर्ट टैम्पर होने से बचें और उन्हें अपना समय दें और उनसे बातें करें व स्टोरी टाइम भी निकालें। बच्चों के ब्रेन को शार्प और दिनभर एक्टिव रखने के लिए योग की मदद लें। इसके अलावा साइकलिंग और स्वीमिंग भी बेहद कारगर है।
बच्चे के समग्र विकास के लिए पेरेंटिंग टिप्स ज़रूरी हैं। दिनभर भागदौड़ करने के बाद भरपूर नींद लेने से बच्चे अगले दिन के लिए तैयार हो जाते है। नींद की कमी उनमें एनर्जी का स्तर कम करती है और आंखों के नीचे काले घेरे दिखने लगते है। टीवी और मोबाइल से दूरी बनाकर बच्चों को कुछ देर सूदिंग म्यूज़िक सुनने की आदत डालें। इससे बच्चे का मन शांत होने लगता है। यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंटोल के अनुसार 3 से 5 साल के बच्चे को 10 से 13 घंटे की नींद की अवश्यकता होती है। वहीं 6 से 12 साल की उम्र में 9 से 12 घंटे की नींद चाहिए होती है और 13 से 18 साल के टीन्स के लिए 8 से 10 घंटे की नींद आवश्यक है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार बच्चों का स्लीप रूटीन मेटेन करें और इसके लिए ब्रश, बुक और बेड का नियम फॉलो करें। रात को सोने से पहले बच्चों को ब्रशिंग की आदत डालें। तीन साल की उम्र तक मुलायम ब्रश का इस्तेमाल करे 1 बार ब्रश करवाएं। उसके बाद 3 से 6 साल के बच्चों को दिन में दो बार ब्रश करवाएं। दांतों की सफाई के बाद उन्हें बेड पर जाकर 15 से 20 मिनट रीडिंग के लिए किताब दें। इससे बच्चे की लेंग्वेज डेवलप होती है और सोशल इमोशनल स्किल्स भी बढ़ते हैं। अब बच्चों को नींद आने की इंतज़ार किए बगैर उन्हें तय समय पर सुलाने का प्रयास करें।
कम उम्र से ही अगर बच्चों को किसी स्पोर्ट में एनरॉल कर देते हैं, तो बच्चो शारीरिक और मानसिक रूप से एक्टिव रहता है। बच्चे की हड्डियों में मज़बूती बढ़ती है और बच्चा खुद को एक्टिव बनाए रखता है। यूनिसेफ के अनुसार 6 साल से उधिक उम्र के बच्चों को दिनभर मे 1 घंटा व्यायाम अवश्य करवाना चाहिए। इससे बार बार चोटिल होने का खतरा और मसल्स पेन से राहत मिलती है। इसके अलावा बोल डेंसिटी बनी रहती है।
उम्र के साथ बच्चों में बढ़ने वाले तनाव और एंग्ज़ाइटी को कम करने के लिए उन्हें आउटडोर गेम्स के लिए लेकर जाएं। इससे मोटापे से भी बचा जा सकता है और बच्चो फिट व हेल्दी बना रहता है।