बच्चा अब भी बिस्तर गीला कर देता है, तो ये आयुर्वेदिक उपचार कर सकते हैं इस समस्या का समाधान
अंदर क्या है
- बिस्तर गीला करने का कारण
- बच्चों में क्यों बढ़ती है बिस्तर गीला करने की समस्या
- किस उम्र के बच्चों में बेड वेटिंग की समस्या पाई जाती है
- आयुर्वेद के अनुसार बिस्तर गीला करने से कैसे बचें
- बेड वेटिंग कंट्रोल करने के लिए ज़रूरी बातें
लंबे वक्त तक डायपर पहनने के बाद बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training) दी जाती है। उस दौरान बच्चे अक्सर रात को सोते वक्त बिस्तर को गीला करने लगते है। दिनभर में बार बार बाथरूम न जाने की आदत बेड वेटिंग का मुख्य कारण (causes of bedwetting) साबित होती है। हांलाकि माता पिता बच्चों को इस समस्या से बाहर लाने के लिए कई तरह के प्रयास करते है। मगर बच्चों में बढ़ने वाली ये समस्या माता पिता के लिए सिरदर्द बनने लगती है। जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार कैसे करें बच्चों में बढ़ने वाली बिस्तर गीला करने वाली समस्या को हल ( bedwetting treatment in ayurveda)।
बच्चों में क्यों बढ़ने लगती है बिस्तर गीला करने की समस्या (Causes of bedwetting in kids)
इस बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि आयुर्वेद में वात दोष उत्सर्जन प्रणाली यानि एक्सक्रीटरी सिस्टम को नियंत्रित करता है (bedwetting treatment in ayurveda) । शरीर में उचित अंतराल पर यूरिन पास करने की प्रक्रिया अपान वात से उत्तेजित होती है। ऐसे में बार बार बिस्तर गीला करना वात दोष विकार का रूप माना जाता है। इन दोषों के कारण यूरिन को होल्ड करने की क्षमता कम हो जाती है और रात में यूरिन आने की आवृत्ति बढ़ जाती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 5 साल की उम्र में 20 फीसदी बच्चे बिस्तर गीला करने की समस्या का सामना करते हैं। वहीं 5 फीसदी बच्चे 10 साल की उम्र में भी बेड वेटिंग का सामना करते है। दरअसल, अधिकतर सात साल से कम उम्र के बच्चो में ब्लैडर कंट्रोल फंक्शन की शुरूआत होनी शुरू हो जाती है।
जानें इस समस्या को हल करने के उपाय (bedwetting treatment in ayurveda)
1. कुशा घास को पानी में उबालकर पिलाएं
कुशा घास शुद्धता प्रतीक है और इसे पूजा में भी रखा जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस घास को पानी में उबालकर पीने से बिस्तर गीला करने की समस्या हल हो जाती है। इसके अलावा वेटलॉस में भी मदद मिलती है। बच्चे को सोने से 3 से 4 घंटे पहले इस पानी को पिलाएं। इसके अलावा कुशा की जड़ का काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
2. पुनर्नवा ड्यूरेटिक गुणों से भरपूर
मूत्रवर्धक यानि डयूरेटिक गुणों से भरपूर पुनर्नवा का सेवन करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जिससे जोड़ों में बढ़ने वाली दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके अलावा पाचन में भी सुधार होने लगता है। पुनर्नवा के चूर्ण को पानी में मिलाकर या दूध में चुटकी भर डालकर पीने से फायदा मिलता है।
3. सौंफ और मिश्री खिलाएं
मिशरी पित्त दोष को शांत करती है और यूरिनरी ब्लैडर को ताकत मिलती है। वहीं सौफ डाइजेशन को बूस्ट करती है। इन्हें मिलाकर चबाने और इसका पाउडर लेने से फायदा मिलता है। दिनभर में 1 चम्मच सौफ और मिशरी को मिलाकर खाने से बेड वेटिंग की समस्या (bedwetting treatment in ayurveda) कम होने लगती है।
4. ऑयल मसाज करें
शरीर की ऊर्जा को संतुलित रखने के लिए अभ्यंग यानि तेल मालिश करें। इसके अलावा नस्य प्रक्रिया यानि नाक में टपकाएं और शिरोधारा यानि सिर से तेल टपकाने जैसे आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाएं। बिस्तर पर जाने से पहले पेट के निचले हिस्से और पीठ के निचले हिस्से पर गर्म तिल का तेल लगाएँ।
5. अश्वगंधा खिलाएं
हड्डियों के विकास में सहायक अश्वगंधा बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसे चाय, दूध, पानी और शहद में मिलाकर खाने से बच्चों में बढ़ने वाली बिस्तर गीला करने की समस्या से बचा जा सकता है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और बच्चों में भूख भी बढ़ने लगती है। चुटकी भर अश्वगंधा का पानी में उबालकर पिलाएं।
बेड वेटिंग कंट्रोल करने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान
1 बच्चे के सोने और उठने का समय तय करें
शरीर की प्राकृतिक लय को रेगुलेट करने के लिए बच्चे को रात में समय से सुलाएं और समय से उठाने का प्रयास करें। इससे बच्चे को भरपूर नींद मिलने लगती है, जिससे अक्सर बच्चे रात के वक्त बेड वेटिंग से बच जाते है। दरअसल, समय से सोने से बॉडी फंक्शनिंग उचित बनी रहती है, जिससे ब्लैडर को नियंत्रित किया जा सकता है।
2. शाम में तरल पदार्थों के सेवन से बचाएं
रात के समय तरल पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। अधिकतर माता पिता बच्चे को सोने से पहले दूध देना नहीं भूलते है। इससे बच्चे को बार बार यूरिन पास करने की समस्या बनी रहती है। रात को सोने से 2 से 3 घंटे पहले किसी भी तरल पदार्थ को पीने से बचें।
3. शाम के वक्त मसालेदार खाना खिलाने से बचें
मसालेदार खाने से ब्लैडर में इरिटेशन बढ़ने लगती है, जिससे बार बार यूरिन पास करने की सेंसेशन बढ़ने लगती है। स्वीनर्स और कार्बोनेटिड पेय पदार्थों से भी दूरी बनाकर रखें। वहीं फलों और सब्जियों का सेवन करें। साथ ही बच्चे को हाई फाइबर डाइट दें।
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