अमेरिका सहित कई देशों में नेशनल स्ट्रेस अवेयरनेस डे (national stress awareness day) मनाने का चलन है। वास्तव में लाइफ में स्ट्रेस इतना अधिक है कि उसे मैनेज करना सभी को आना चाहिए। कभी-कभार हम यह जान ही नहीं पाते हैं कि घर-ऑफिस के प्रेशर के चलते हम कब स्ट्रेस के शिकार हो गये। इसलिए स्ट्रेस के प्रति अवेयर होना बहुत जरूरी है, क्योंकि स्ट्रेस न केवल मेंटल हेल्थ बल्कि, फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। स्ट्रेस के प्रति अवेयर होने के लिए सबसे पहले आत्म जागरूक (How to develop self awareness to manage stress) होना पड़ेगा।
स्ट्रेस के प्रति हम तभी अवेयर हो पायेंगे, जब हम सेल्फ अवेयर(self aware) होंगे। दरअसल, हम जाने-अनजाने में कई तरह की जिम्मेदारियां अपने ऊपर लाद लेते हैं। हम अपनी क्षमता से अधिक काम करने लग जाते हैं। अपने व्यक्तित्व और अपनी क्षमता को पहचानना ही आत्म-जागरूकता (self awareness) है। कई ऐसे काम जो हमारी पसंद का नहीं होता है, उन्हें हम कर नहीं पाते हैं। फिर यह असफलता का भाव परेशान करने लगता है। आत्म-जागरूक होने के लिए अपनी खूबी और कमियों, अपने विचार-विश्वास, भावना और प्रेरणा देने वाली चीजों को भी पहचानना होगा। आमतौर पर आत्मजागरूक (self aware) नहीं होने पर ही हमें तनाव होता है। हम जितने अधिक आत्म-जागरूक होंगे, उतनी ही अधिक सफलता और लाइफ वैलनेस की तरफ कदम बढ़ा सकेंगे।
कभी-कभार हम अपनी गलतियों की वजह से काम डेडलाइन पर पूरा नहीं कर पाते हैं। फिर पूछे जाने पर हम अपना बचाव करने की कोशिश करने लग जाते हैं।
यदि कोई काम आपसे पूरा नहीं हो पायेगा, तो पहले ही संबंधित व्यक्ति को सूचित कर दें। यदि प्रयास से वह काम हो जायेगा, तभी उस दिशा में बढ़ें। क्योंकि अपनी क्षमता की पहचान आत्म्जागरूकता की पहली शर्त है।
आत्म जागरूक होने के लिए आपने आप से पूछें कि वर्कप्लेस और घर पर आपका व्यवहार कैसा है? दूसरे लोग आपसे बातें करना, मिलना पसंद करते हैं या आपसे कटते हैं! यदि आपको देखकर कन्नी काट जाते है, तो इसका मतलब है कि आपको दूसरों की शिकायत करने की आदत है। अपनी गलती के लिए दूसरों पर दोष मढने की आदत है।
जैसे ही आप यह आदत छोड़ देंगी, तो आप खुद को हल्का महसूस करेंगी और तनाव मुक्त भी। क्योंकि आपकी ज्यादातर एनर्जी दूसरों की गलती देखने में निकल जाती है।
अक्सर यदि आप किसी भी काम के लिए नहीं करती हैं, तो इससे दो नुकसान हो सकते हैं।एक तो जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे होने के कारण स्ट्रेस में रहेंगी।दूसरे आपकी पर्सनाल्टी प्रोफाइल के हिसाब से डेवलप नहीं हो पाएगी।
इसलिए नहीं कहने की आदत विकसित करें। क्योंकि इससे आप अपने करियर ग्रोथ की दिशा में काम कर पाएंगी।
शारीरिक और भावनात्मक रूप से आप कैसा महसूस कर रही हैं। इस विषय पर विचार करने के लिए हर दिन कुछ समय जरूर दें। इससे आप शारीरिक और आस पास के वातावरण में हो रहे परिवर्तनों को नोटिस कर पाएंगी। अपने आस-पास के लोगों की बात को भी सुनें-समझें। वे भी आपको बदलावों सूचना दे सकते हैं।
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