कई बार महिलाओं में सब कुछ ठीक होने के बावजूद असुरक्षा का भाव घेरने लगता है। कभी उसे लगता है कि उसका पार्टनर उसके प्रति नाराज है। तो कभी उसे लगता है कि असाइनमेंट पूरा न होने की वजह से बॉस नाराज होंगे। कभी उसे अपने दोस्तों या मित्रों के प्रति भी असुरक्षा का भाव घेरने लगता है। दरअसल, जो रिश्ते हमें अपनापन का एहसास दिलाते हैं, कभी-कभार उनके प्रति ही हम अधिक असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। कई बार यह असुरक्षा का भाव हमें कमजोर बना देता है।
यदि यह समस्या 1-2 दिनों के लिए रहती है, तो ठीक है। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो स्ट्रेस या डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इसे समय रहते सुलझाना बहुत जरूरी होता है। यदि आपमें भी अपनों के प्रति असुरक्षा का भाव घर कर रहा है, तो उसे ठीक करने के उपाय पर आपको जरूर सोचना (How to get rid of feeling insecurity) चाहिए। पर सबसे पहले हम यह जानें कि अपनों के प्रति असुरक्षा का भाव क्यों पनपता है?
भारत की चर्चित मनोवैज्ञानिक और शिक्षक शिरीन दर्शा ने एक बार कहा था कि अपनों के प्रति असुरक्षा का भाव सिर्फ मन की उलझन है। ये उलझन पुराने कटु अनुभवों के परिणाम भी भी हो सकते हैं। प्यार में धोखा खाने, मनचाहा न मिलने के कारण नकारात्मक दृष्टिकोण मन में पनपने लगते हैं। इसके कारण मन में हीन भावना घर करने लगती है। इससे रिजेक्शन का डर बनने लगता है और असुरक्षा का भाव विकसित हो जाता है।
समस्या की असली वजह को पहचानने की कोशिश करें। उसे सचेत तरीके से दूर करने के उपाय ढूंढें। यदि पार्टनर से ब्रेकअप हो गया है, तो तुरंत किसी रिलेशनशिप में एंगेज न हों। खुद को थोड़ा समय दें। खुद की इच्छाओं को पहचानने की कोशिश करें। मन:स्थिति सहज होने के बाद ही किसी नये रिश्ते के बारे में सोचें। अपने बारे में अच्छा सोचें। अपनी रुचियों, अपने कार्यों पर गर्व की अनुभूति करें।
कभी-कभार महिलाओं को लगता है कि वे कम पढ़ी-लिखी हैं या कम कमा पाती हैं या फिर दिखने में सामान्य हैं। इसलिए उसके पार्टनर दूसरी जगह एंगेज हो सकते हैं। उन्हें रिजेक्ट कर सकते हैं। यदि आपने पार्टनर की कुछ ऐसी हरकत देख ली है या उनके प्रति मन में आशंका है, तो इस विषय पर पार्टनर से खुलकर बात करें।
बातचीत से समस्या का हल निकालने की कोशिश करें। अपने मन को इस बात से मजबूती दें कि आप अपनी योग्यताओं और खूबियों के साथ श्रेष्ठ हैं। दूसरी ओर आपके पार्टनर की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे आपके मन के भय को दूर करने की कोशिश करें। आपकी खूबियों की वे प्रशंसा करें।
कई बार प्रोफेशनल फ्रंट पर भी रिजेक्शन की समस्या या फिर खराब परफॉर्मेंस की समस्या झेलनी पड़ती है। अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने की कोशिश करें। नई स्किल सीखने का प्रयास करें। मोटिवेशनल बातें सुनें या किताबें पढ़ें। अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं। अपनी कमजोरियों के लिए सिर्फ चिंतित ही न हों। योजनाबद्ध तरीके से उन्हें दूर करने की कोशिश करें।
कभी-कभी हमें लगता है कि कोई खास मित्र या दोस्त हमें इग्नोर करने लगा है। इससे भी मन में असुरक्षा की भावना जन्म लेती है। अपने दोस्त के प्रति पजेसिव होना छोड़ दें। हर व्यक्ति का स्वतंत्र अस्तित्व होता है।
हो सकता है कि आप दोनों की रुचियां अलग हों। वह समान रुचि वाले व्यक्ति के साथ दोस्ती कर रही हो। अपने दोस्त को स्पेस दें। उन्हें समान रुचि वाले लोगों से दोस्ती करने दें और आप खुद भी अपनी रुचि की दोस्त बनाएं।
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