अनहेल्दी डाइट और कैफीन का अत्यधिक सेवन शरीर में कब्ज की समस्या का कारण बनने लगता है। इससे पेट में दर्द, ऐंठन और लो एपिटाइट का सामना करना पड़ता है। इसके कारण शरीर में इरीटेबल बॉवेल सिन्ड्रोम का जोखिम भी बढ़ने लगता है। ऐसे में कुछ आसान टिप्स की मदद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। जानते हैं कब्ज की समस्या दूर करने की टिप्स और कुछ घरेलू उपाय भी (Quick tips for constipation)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के अनुसार कब्ज उस स्थिति को कहते है, जब सप्ताह में 3 या उससे कम बार बॉवल मूवमेंट (Bowel movement) होता है। साथ ही स्टूल पास करने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार गट ट्रांजिट रेंज (gut transit range) 10 से लेकर 73 घंटे होता है। मगर एक्सरसाइज, उम्र, खानपान और हेल्थ कंडीशंस बॉवल मूवमेंट को प्रभावित करती है।
इस बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सक अनिल बंसल बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ कुछ लोगों को क्रॉनिक कब्ज का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पानी की कमी और खानपान की अनहेल्दी आदतें युवाओं में भी इस समस्या को बढ़ा रही है। इसके लिए फाइबर को आहार में शामिल करने के अलावा दही और लस्सी का सेवन करें। इससे शरीर में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़न लगती है। साथ ही पुदीने का सेवन भी विषैले पदार्थों को डिटॉक्स (detox water) कर देता है। पुदीने की पत्तियों (mint leaves benefits) को चबाने के अलावा पानी में उबालकर पीने से भी फायदा मिलता है।
भरपूर मात्रा में पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को रिलीज़ करने में मदद मिलती है। इससे पेट में बढ़ने वाली ऐंठन, अपच, ब्लोटिंग और कब्ज से राहत मिल जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार बॉवल मूवमेंट को नियमित बनाए रखने के लिए दिनभर में 1.8 लीटर पानी पीएं। इससे कब्ज को कम किया जा सकता है।
लो फाइबर मील्स इनडाइजेशन का कारण बनने लगती हैं, जिससे कब्ज का सामना करना पड़ता है। आहार में फाइबर को शामिल करें और इसके लिए ओट्स, होल व्हीट, ब्राउन राइज़, बीन्स और लेग्यूम्स का सेवन करें। इसके अलावा सेब, केला, गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियों को खाएं।
अपनी डाइट को हेल्दी बनाने के लिए दही और लस्सी समेत प्रोबायोटिक्स को शामिल करें। इससे गट हेल्थ (tips to boost gut health) को मदद मिलती है। साथ ही इंटेस्टाइन में ऑर्गेनिक एसिड बढ़ने लगता है, जिससे स्टूल की पास करने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है।
ज्यादा मात्रा मे कोल्ड ड्रिंक्स और कैफीन का सेवन करने से डिहाइड्रेट का सामना करना पड़ता है। इसमें मौजूद एडिड शुगर शरीर में पोषक तत्वों के एब्जॉर्बशन में बाधा उत्पन्न करती है। ऐसे में बहुत अधिक मात्रा में कैफीन और एसिडिक बैवरेजिज़ से बचें।
रात में दूध में मिलाकर गुलकंद पीने से गट में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे कब्ज की समस्या का समाधान होने लगता है। इसके सेवन से शरीर को फाइबर की उच्च मात्रा प्राप्त होती है। इसके अलावा गुलकंद को खाने के बाद खाना भी फायदेमंद साबित होता है।
वे लोग जो क्रॉनिक कब्ज के शिकार है, उन्हें रोज़ाना अलसी के बीज रोस्ट करके खाने चाहिए। इसके अलावा अलसी के बीज को पानी में मिलाकर पीने से भी शरीर को फाइबर और एंटीऑक्सीडेंटस की प्राप्ति होती है। इससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है।
पानी में अजवाइन और पुदीने का एक साथ उबालकर पीने से भी शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को रिलीज़ किया जा सकता है। इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज़ इंटेस्टाइन को स्टीम्यूलेट करने में मदद करते है। दिन में दो बार इसका सेवन फायदा पहुंचाता है।
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कस्टमाइज़ करेंपेट में बढ़ने वाली ऐंठन और कब्ज को दूर करने के लिए विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर आंवले का रस फायदेमंद साबित होता है। इससे गट हेल्थ को मज़बूती मिलती है और पाचन में सुधार आने लगता है। आंवला के रस की मदद से पोषक तत्वों का एब्जॉर्बशन बढ़ने लगता है।