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World Sleep Day : चैन की नींद सोने में मदद करेंगे आयुर्वेद के ये 16 उपाय, सेहत भी रहेगी दुरूस्त

तकनीकी युग में व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक जैविक घड़ी को तोड़ने का प्रयास करता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को अपनी नींद का त्याग करना पड़ता है यानि दिन में सोना पड़ता है। इससे स्लीप साइकिल में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है। नींद पाने के लिए इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाएं।
Published On: 14 Mar 2025, 12:00 pm IST
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Neend ke fayde
नींद न केवल तनाव को दूर करती है बल्कि मूड स्विंग की समस्या भी हल हो जाती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

आयुर्वेद में निद्रा यानि नींद को जीवन के तीन उपस्तंभों में से एक माना गया है। दरअसल, इसे स्वास्थ्य, कल्याण और मानसिक शांति से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू समझा जाता है। निद्रा जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है जिसमें सुख दुख, शारीरिक विकास और ह्रास, शक्ति और कमजोरी, यौन क्षमता और नपुंसकता, ज्ञान और अज्ञानता व जीवन के अस्तित्व और समाप्ति शामिल हैं। नींद व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को कई तरीके से प्रभावित करती है। इसी के महत्व को समझने के लिए हर साल वर्ल्ड स्लीप डे (World sleep day 2025) मनाया जाता है। जानते हैं नींद न आने की समस्या से निपटने के लिए कुछ आसान आयुर्वेदिक उपाय।

आचार्य चरक और उनके व्याख्याकार चक्रपाणि के अनुसार, जब मन थक जाता है और इंद्रियाँ तथा कर्मेंद्रियाँ सक्रिय रूप से कार्य करना बंद कर देती हैं, तब व्यक्ति निद्रा अवस्था में प्रवेश करता है।

Sleep ke ayurvedic upay
नेशनल स्लीप फाउनडेशन के अनुसार 7 से 9 घंटे की नींंद लेने से तन और मन हेल्दी रहते हें। चित्र- अडोबी स्टॉक

वर्ल्ड स्लीप डे 2025 (World Sleep Day 2025)

नेशनल स्लीप फाउनडेशन के अनुसार 7 से 9 घंटे की नींंद लेने से तन और मन हेल्दी रहते हें। नींद न केवल तनाव को दूर करती है बल्कि मूड स्विंग की समस्या भी हल हो जाती है। लोगों को नींद के महत्व को समझाने के लिए हर साल वर्ल्ड स्लीप डे 2025 (World sleep day 2025) सेलिब्रेट किया जाता है। पहली बार 2008 में मनाया गया था। इस साल 14 मार्च को मनाए जाने वाले इस दिन की थीम नींद के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें यानि मेक स्लीप हेल्थ ए प्रियोरिटी है।

नींद शरीर के लिए क्यों है ज़रूरी (Why is sleep important for the body)

निद्रा एकमात्र ऐसी शारीरिक क्रिया है जो शरीर और मन दोनों को पूरी तरह से विश्राम प्रदान करती है। इससे उनका रखरखाव और पुनर्स्थापन संभव होता है। निद्रा के कई लाभ होते हैं, जो जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करते हैं। हालांकि ये स्पष्ट है कि निद्रा लाभदायक है। अधिकांश लोग यं नहीं जानते कि उन्हें कितनी नींद की आवश्यकता है या ये हमारे लिए क्यों जरूरी है। शोध से यह प्रमाणित हुआ है कि पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण निद्रा स्वस्थ जीवन में योगदान देती है।

neend kaise prabhaavit hoti hai
नींद की कमी सर्कैडियन क्लॉक को बाधित करती हैए, जिससे नींद और जागने का पैटर्न बाधित होने लगता है।। चित्र- अडोबी स्टॉक

बदलते समय के साथ नींद कैसे प्रभावित हो रही है (How changing time affect sleep)

तकनीकी युग में व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक जैविक घड़ी को तोड़ने का प्रयास करता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को अपनी नींद का त्याग करना पड़ता है यानि रात्रि जागरण करके दिन में सोना पड़ता है। इससे उनके निद्रा जागरण चक्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।

दरअसल, मानवीय जैविक घड़ी जीवन की लय बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है और इसे व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद के अनुसार बदला नहीं जा सकता। इस संतुलन को बाधित करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में गिरावट आ सकती है। निद्रा एक आवश्यक प्रक्रिया है जो रात में ही होनी चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार, व्यक्ति को प्रतिदिन रात को नींद लेनी चाहिए। यदि किसी कारणवश रात में जागना पड़े तो उन्हें अपने सुबह के भोजन को छोड़कर रात में जागे गए समय के आधे समय तक आराम करना चाहिए। हालांकिए आधुनिक समय में इस अभ्यास को प्रायः नजरअंदाज कर दिया जाता है।

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नींद पाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic tips to improve sleep quality)

1 सिर पर तेल मालिश करें

सिर पर तेल लगाने से अच्छी नींद आती है। इसलिए सोने से पहले सिर पर तेल लगाना चाहिए। तिल, नारियल या बादाम का तेल विशेष रूप से उपयोगी होता है। हल्के हाथों से मालिश करने से सिर की नसें शांत होती हैं और मस्तिष्क को आराम मिलता है।

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सिर पर तेल लगाने से अच्छी नींद आती है। इसलिए सोने से पहले सिर पर तेल लगाना चाहिए।।चित्र शटरस्टॉक।

2 शारीरिक अंगों की मालिश करें

हल्के हाथों से पूरे शरीर की मालिश करने से तनाव दूर होता है और शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। यह स्नायु तंत्र को शांत करता है और अच्छी नींद को प्रेरित करता है। मालिश के लिए तिल या नारियल का तेल सर्वोत्तम माना जाता है।

3 रात को सोने से पहले स्नान करें

गुनगुने पानी से स्नान करने से शरीर को शांति मिलती है और नींद अच्छी आती है। यह शरीर से थकान को दूर करता है और ताजगी का अनुभव कराता है। स्नान में कुछ बूंदें लैवेंडर या चंदन के तेल की मिलाने से और भी अधिक लाभ होता है।

4 पैरों की मालिश करें

आयुर्वेद में पादाभ्यंग यानि पैरों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। पैरों की मालिश करने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है जिससे गहरी नींद आती है। इसके लिए तिल के तेल, नारियल तेल या घी का उपयोग किया जा सकता है।

5 दही के पानी से पैरों की मालिश करें

दही में ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जो पैरों की गर्मी को कम करते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

6 भैंस के दूध का सेवन करें

आयुर्वेद के अनुसार भैंस के दूध को स्वप्नजनन यानि नींद लाने वाला माना गया है। इसमें ठंडक प्रदान करने वाले गुण होते हैं, जिससे मन और शरीर को शांति मिलती है। इसे हल्का गर्म करके और शहद या जायफल मिलाकर पीना अधिक प्रभावी होता है।

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आयुर्वेद के अनुसार भैंस के दूध को स्वप्नजनन यानि नींद लाने वाला माना गया है।चित्र : अडॉबीस्टॉक

7 प्राकृतिक मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करें

प्राकृतिक मीठे पदार्थ जैसे खजूर, शहद, मिश्री या गुड़ मस्तिष्क को शांत करते हैं और अच्छी नींद को बढ़ावा देते हैं। हालाँकि चीनी या अत्यधिक मीठे पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।

8 मन को आनंद देने वाली गतिविधियाँ करें

दिनभर की चिंताओं से बचने के लिए सोने से पहले कुछ देर किताब पढ़ें। इसके अलावा ध्यान करें या धीमी गति से योग करें। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और बेहतर नींद में सहायक होता है।

9 संतुलित और हल्का भोजन करें

रात का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए। भारी और तैलीय भोजन से बचें क्योंकि यह अपच और गैस की समस्या पैदा कर सकता है, जिससे नींद बाधित होती है। इसके लिए आहार में खिचड़ी, दलिया, सूप या गर्म दूध लाभकारी हो सकता है।

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रात का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए। चित्र : एडॉबीस्टॉक

10 संगीत सुनें

मधुर और शांत संगीत सुनने से मानसिक शांति मिलती है और नींद अच्छी आती है। विशेष रूप से शास्त्रीय संगीत, मंत्र जाप या प्रकृति की ध्वनियाँ जैसे पानी की आवाज़ या हल्की हवा की सरसराहट सुनना लाभदायक होता है।

11 सिर, आँखों और चेहरे पर सुखदायक लेप और तेल का उपयोग करें

आँखों और माथे पर गुलाब जल, चंदन का लेप या तिल के तेल का उपयोग करने से मस्तिष्क को ठंडक मिलती है। साथ ही तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।

12 आरामदायक और नरम बिस्तर का उपयोग करें

एक स्वच्छ, मुलायम और आरामदायक बिस्तर अच्छी नींद के लिए आवश्यक होता है। अत्यधिक कठोर या असुविधाजनक गद्दे से बचना चाहिए। तकिये का चयन भी उचित होना चाहिए, जिससे गर्दन और रीढ़ को उचित समर्थन मिले।

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एक स्वच्छ, मुलायम और आरामदायक बिस्तर अच्छी नींद के लिए आवश्यक होता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

13 सोने का उचित समय निर्धारित करें

नियमित रूप से एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें। सोने से कम से कम 30 मिनट पहले सभी डिजिटल उपकरणों ;मोबाइल, लैपटॉप व टीवी से दूरी बनाए रखें।

14 सकारात्मक सोच विकसित करें

सोने से पहले दिनभर की सकारात्मक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। अनावश्यक चिंता और नकारात्मक सोच से बचें क्योंकि यह अनिद्रा का कारण बन सकती है।

15 योग और प्राणायाम करें

नियमित रूप से योग और प्राणायाम करने से तनाव कम होता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। विशेष रूप से अनुलोम.विलोम और भ्रामरी प्राणायाम अत्यंत लाभकारी होते हैं।

16 कैफीन और चाय के सेवन से बचें

कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स नींद को बाधित कर सकते हैं। विशेष रूप से सोने से घंटे पहले इनका सेवन करने से बचना चाहिए। कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है और अनिद्रा का कारण बन सकता है। यदि कोई गर्म पेय लेना हो तो गुनगुने दूध का सेवन किया जा सकता हैए जो नींद लाने में सहायक होते हैं।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
डॉ अंकुर तंवर
डॉ अंकुर तंवर

वैद्य अंकुर कुमार तंवर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। उन्होंने आयुर्वेदिक और यूनानी तिब्बिया कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से आयुर्वेदिक फिजियोलॉजी (क्रिया शरीर) में एम.डी. की डिग्री प्राप्त की है। डॉ. अंकुर कुमार तंवर को आयुर्वेद क्लिनिकल प्रैक्टिस में 14 साल का अनुभव है, जिसमें त्वचा रोग, प्रजनन स्वास्थ्य और नींद के स्वास्थ्य में उनकी विशेष रुचि है। वे 50 से अधिक प्रकाशनों के साथ कई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के बोर्ड में हैं। उन्हें इंद्र पुरस्कार, डॉ. बी.आर. अंबेडकर पुरस्कार, युवा शोधकर्ता पुरस्कार, आयुर्वेद अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

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