गुजरात-राजस्थान से लेकर उत्तर-प्रदेश, बिहार तक कढ़ी-चावल खूब शौक से बनाए और खिलाए जाते हैं। खासतौर से जब मानसून में हरी सब्जियां नहीं मिल पातीं, तब कढ़ी-चावल ही काम आते हैं। छोटे से ढाबे से लेकर किसी बड़े बफे तक कढ़ी अपने लजीज स्वाद के साथ मौजूद है। अगर आप भी कढ़ी-चावल की दीवानी हैं और अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, तो जानिए ये आपके लिए कितनी हेल्दी हो सकती है।
अकसर कढ़ी के स्वाद की तारीफ करते हुए लोग उसे न खा पाने की मजबूरी भी गिनाते हैं। पर क्या वाकई कढ़ी चावल स्वास्थ्यप्रद नहीं हैं? यह जानने के लिए हमने न्यूट्री हब की चीफ डायटीशियन अंशिका सक्सैना से बात की। आइए जानते हैं कढ़ी-चावल के बारे में क्या कहती है उनकी राय।
आजकल बहुत से ऐसे नए व्यंजन हैं, जो लोगों को पसंद आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी फूड्स हैं जो हमेशा से लोगों को पसंद रहे है और आज भी लोग से बड़े मन से खाते हैं। इनमें से एक है कढ़ी-चावल, जिसे सभी लोग शौक से खाना पसंद करते हैं।
अंशिका कहती हैं, “भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कढ़ी को अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से उसमें बेसन और दही जरूर होता है। जो लोग वज़न कम करना चाहते हैं, वे लोग अक्सर अपनी फेवरिट डिश कढ़ी-चावल ये सोचकर नहीं खा पाते कि उनका वज़न बढ़ जायेगा। जबकि कढ़ी स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी भरपूर फायदेमंद है। इसमें बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।”
1.कढ़ी के लिए बेसन प्रयोग करते हैं, जो साबुत काले चने को पीसकर बनाया जाता है। इसलिए इसमें डाइटरी फाइबर पाया जाता है, जो कि अच्छे कार्बोहाइड्रेट होते हैं तथा साथ ही साथ अच्छी मात्रा में प्रोटीन, गुड फैट, आयरन तथा फोलेट पाया जाता है।
2. ग्लाईसेमिक इंडेक्स भी कढ़ी का कम ही होता है, जिस कारण ये ब्लड मे ग्लूकोज के अवशोषण की गति को धीमा करता है। यानी इससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है।
3. कढ़ी में प्रोटीन और चावल में कार्बोहाइड्रेट अच्छी मात्रा मे पाया जाता है। इस कारण ये कम वजन वाले लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है।
4. कढ़ी में मट्ठा डाला जाता है, जो कि हमारे गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है। यदि हमारी आंतों का स्वास्थ्य अच्छा होगा, तो इसका असर हमारे समग्र स्वास्थ्य पर नजर आएगा।
अंशिका बताती हैं, “बेसन और छाछ कढ़ी की मुख्य सामग्रियां हैं। अगर आप उसमें बेसन की पकौड़ियां डाल रहीं हैं, तो उन्हें और पौष्टिक बनाने के लिए आप उसमें पालक, बथुआ, मेथी, कार्न, प्याज, अन्य सब्जियां भी एड कर सकती हैं।”
कुछ लोगों को कढ़ी खाने से गैस की समस्या होने लगती है। उन्हें कढ़ी में लहसुन, मेथीदाना आदि का प्रयोग जरूर करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार ये दोनों सामग्रियां वात दोष को नियंत्रित करती हैं।
जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है वे लोग चावल का मांड निकाल कर पकाएं । इसकी जगह आप ब्राउन राइस का प्रयोग कर सकते हैं। यदि बिना मांड निकाले चावल खाना है, तो सीमित मात्रा में ही खाएं।
तो आप शौक से कढ़ी-चावल का आनंद उठा सकती हैं।
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