मानसून की बरसात हमें गर्मियों से राहत देती है, लेकिन अपने साथ कई बीमारियां लेकर आती है। सुहावने मौसम और ठंडी हवा के अलावा मानसून कई जीवाणु और वायरल रोगों को साथ लाता है। यही कारण है कि इस मौसम में पेट में संक्रमण, फूड पॉइजनिंग, डायरिया और अपच की समस्या आम है। आजकल वातावरण नमी से भरा हुआ है जो लाखों बैक्टीरिया और वायरस के लिए प्रजनन स्थल के रूप में कार्य करता है। वातावरण में हाई ह्यूमिडिटी हमारे शरीर की भोजन को पचाने की क्षमता को भी कम कर देती है। शायद यही कारण है कि ज्यादातर भारतीय इस विशेष मौसम में मांसाहारी और अंडे से परहेज (non veg in rainy season) करते हैं। पर ये केवल मान्यताएं हैं या इनका कोई वैज्ञानिक आधार है? आइए पता करते हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी जानवर को उसके प्रजनन काल में मारना पाप है। अधिकांश जानवरों के लिए श्रावण या मानसून प्रजनन का महीना है, जो मांसाहारी और अंडे से दूर रहने का एक और धार्मिक कारण है। मगर, बरसात के मौसम में नॉन वेज न खाने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। चलिये जानते हैं उनके बारे में –
बारिश में कीड़े बढ़ जाते हैं और जानवर भी बीमार होने लगते हैं। इस मौसम में जानवरों में कई तरह की बीमारियां फैलती हैं, जिससे नॉनवेज खाने से आपको भी नुकसान हो सकता है।
बारिश में पानी के साथ गंदगी तालाब में और फिर नदियों में चली जाती है। ऐसे में मछलियां दूषित पानी और भोजन का सेवन करती हैं। इस मौसम में मछली खाने से भी बचना चाहिए। यह आपको बीमार कर सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए मानसून में कच्चे अंडे, समुद्री भोजन, चिकन और मटन से बचने की सलाह दी जाती है। यह भी माना जाता है कि मानसून झींगे और मछली के प्रजनन का मौसम है, इसलिए इसे खाने से परहेज करना चाहिए। इससे पेट में इंफेक्शन भी हो सकता है।
भोजन में लहसुन, काली मिर्च, अदरक, हींग, जीरा पाउडर, हल्दी और धनिया शामिल करें क्योंकि यह पाचन को बढ़ाने और इम्यूनिटी में सुधार करने में मदद करता है।
मांसाहारी लोगों को हल्का मांस तैयार करना चाहिए जैसे स्टू और सूप। लेकिन मछली और झींगे से सावधान रहें। इस मौसम में भारी करी के साथ बहुत अधिक मछली और मांस खाने से बचें।
मानसून में यदि आप नॉन वेज खा रही हैं तो इसे अच्छे से मसालों के साथ ढक कर पकाएं। कच्चा मांस बर्गर या सैंडविच में लगाकर खाने की कोशिश बिलकुल न करें।
बरसात के मौसम में उबला हुआ पानी पीना चाहिए क्योंकि पानी में कीटाणु मौजूद होते हैं। भारी नमकीन भोजन से बचें क्योंकि वे उच्च रक्तचाप, सूजन और जल प्रतिधारण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।
नॉन-वेज और अंडे के अलावा, फलों के रस से दूर रहने की भी सलाह दी जाती है, खासकर सड़क किनारे विक्रेताओं से। विक्रेताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले फल शायद ही फ्रेश होते हैं और मानसून की नम हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से वे अच्छे से ज्यादा हानिकारक हो सकते हैं। डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों से बचने के लिए घर में बने फलों के जूस को ही प्राथमिकता दें।
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