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लूज मोशन और वॉमिटिंग के बाद जरूरी है आहार पर ध्यान देना, इन 5 चीजों पर जरूर दें ध्यान

आहार में बदलाव करने से पाचनक्रिया मंद हो जाती है, जिससे अपच, ब्लोटिंग और फिर डायरिया का सामना करना पड़ता है। जानते हैं एक्सपर्ट से कि पाचन मज़बूत करने के लिए कैसा होना चाहिए आहार
लूज़ मोशन और वॉमिटिंग से शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी का सामना करना पड़ता है और इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन बढ़ जाता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 14 Aug 2024, 07:00 pm IST
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गर्मी के मौसम में तला भुना, कंटेमिनेटिड और स्पीइसी फूड गट हेल्थ को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे शरीर को दस्त और वॉमिटिंग से दो चार होना पड़ता है। आहार में बदलाव करने से पाचनक्रिया मंद हो जाती है, जिससे अपच, ब्लोटिंग और फिर डायरिया का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शरीर का एपिटाइट भी लो हो जाता है और कमज़ोरी महसूस होने लगती है। ऐसे में पाचन को दोबारा से दुरूस्त करने के लिए हेल्दी मील्स आवश्यक है। जानते हैं एक्सपर्ट से कि दस्त और वॉमिटिंग के लक्षणों को नियंत्रित करके और पाचन को मज़बूत करने के लिए कैसा होना चाहिए आहार (diet after diarrhea and nausea)।

क्यों बढ़ने लगती है लूज़ मोशन और वॉमिटिंग की समस्या (Reason of loose motion and vomiting)

मणिपाल हास्पिटल, गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम, फूड पॉइजनिंग (causes of food poisoning) कुपोषण और स्टमक फ्लू से डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। लूज़ मोशन से शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी का सामना करना पड़ता है और इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन बढ़ जाता है। पाचन को मज़बूत बनाने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। ऐसी स्थिति में लो फाइबर डाइट (low fiber diet) लेनी चाहिए। इसके चलते आहार में सैलेड, छिलके वाली दालें और फ्रूटस को लेना अवॉइड करें।

इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम, फूड पॉइजनिंग, कुपोषण और स्टमक फ्लू से डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। चित्र:शटरस्टॉक

लूज़ मोशन और वॉमिटिंग के बाद कैसा हो आपका आहार (diet after diarrhea and nausea)

1. डिहाइड्रेशन से बचें

गर्मी में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए (How to hydrate body) पानी के अलावा नारियल पानी, दाल का पानी, चावल का पानी और छाछ लें। इससे इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस बना रहता है। इसके अलावा पाचनतंत्र को भी मज़बूती मिलती है। ऐसी स्थिति में फ्रेश फूड जूस से बचें। इसमें मौजूद केमिकल्स और फ्रुक्टोज़ की मात्रा इरिटेबल बॉवल मूवमेंट (Tips to deal with irritable bowel movement) की समस्या को बढ़ा सकती है। इसके अलावा वे लोग जो डायबिटीज़ से ग्रस्त है, उनमें शुगर लेवल बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है।

2. छिलका उतारकर फल खाएं

स्किन सहित फल खाने से डाइजेशन में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। छिलकों में मौजूद इनसॉल्यूबल फाइबर की मात्रा पेट की लाइनिंग को डिस्टर्ब करती है, जिससे अपच की समस्या बढ़ जाती है। छिलका उतारकर खाने से डाइजेशन बूस्ट होता है और पचाने में मदद मिलती है। इसके लिए आहार में केला, नाशपाती और सेब का सेवन करे।

छिलकों में मौजूद इनसॉल्यूबल फाइबर की मात्रा पेट की लाइनिंग को डिस्टर्ब करती है, जिससे अपच की समस्या बढ़ जाती है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

3. दूध को दही से रिप्लेस करें

प्रोबायोटिक्स की मात्रा  (Benefits of probiotics) शरीर के पाचनतंत्र को संतुलित बनाए रखती है। गट में हेल्दी बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ाने के लिए आहार में दूध को दही से रिप्लेस कर दें। इससे एसिडिटी, ब्लोटिंग (Causes of bloating) और पेट दर्द से बचा जा सकता है। दूध और पनीर के सेवन से लेक्टोज इनटॉलरेंस का सामना करना पड़ता है। डायरिया के दौरान स्मॉल इंटेसटाइन लेकटोज़ को एब्जॉर्ब नहीं कर पाती है, जिससे बैक्टीरिया फर्मेंटिड होने लगता है और लूज मोशन व वॉमिटिंग का जोखिम बढ़ जाता है।

4. घुली हुई दाल की खिचड़ी खाएं

छिलके सहित दाल की जगह घुली हुई दाल, घुले हुए चावल या खिचड़ी का सेवन करें। इससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है और लूज मोशन से राहत मिल जाती है। घुली हुई दाल व खिचड़ी से शरीर को विटामिन औश्र मिनरल की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर को निर्जलीकरण से बचाया जा सकता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी महसूस करने लगता है।

छिलके सहित दाल की जगह घुली हुई दाल, घुले हुए चावल या खिचड़ी का सेवन करें। चित्र : अडोबी स्टॉक। चित्र : शटरस्टॉक

5. ओवरफीडिंग से बचें

कई बार ज्यादा खाना खाने से भी पचाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हल्का आहार लें और ओवरफीडिंग से बचें। दरअसल, कमज़ोर डाइजेशन भूख को कम कर देता है। ऐसे में जितना मन हो केवल उतना खाएं। ओवरइटिंग वॉमिटिंग और लूज मोशन कर समस्या को बढ़ा सकता है।

वॉमिटिंग सेंसेशन को कैसे करें कम

बार बार होने वाली वॉमिटिंग से बचने के लिए संतरा, मौसमी और नींबू के रख को चखे। इससे टेस्ट बड्स में बदलाव आने लगता है। 1 से 2 चम्मच संतरे या मौसमी का रस पीने और नींबू के अचार का सेवन करने से वॉमिटिंग सेंसेशन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे डाइजेशन भी बूस्ट होने लगता है और गट हेल्थ को मज़बूती मिलती है।

ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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