हमारी नानी, दादी और मम्मी हमेशा से सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करती आईं हैं। लेकिन हम जैतून के तेल के फैन्स हैं। यह बहस नई नहीं है कि कौन सा तेल बेहतर है, लेकिन हम आज इस बहस को खत्म करने वाले हैं।
हमने मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल के डायटीशियन और न्यूट्रीशनिस्ट डॉ अमरीन शेख से जाना कौन सा तेल बेहतर है।
डॉ शेख बताती हैं,”पकाने का तरीका ही यह निर्धारित करता है कि आपके लिए कौन सा तेल सही है। आपको तलना है, छौंकना है या सब्जी में डालना है, हर ज़रूरत के लिए अलग तेल का इस्तेमाल होता है।”
जैतून का तेल इंडियन कुकिंग स्टाइल के लिए सही नहीं है। हमारे खानपान में तला-भुना खाना ज्यादा होता है। जैतून तेल का स्मोकिंग पॉइंट कम होता है इसलिए ज्यादा गर्म होने पर वह अन सैचुरेटेड फैट में तब्दील हो जाता है। सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है। इसलिए तलने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग बेहतर है।
जैतून के तेल को सलाद या डिप्स आदि में इस्तेमाल किया जाता है।
MUFA-हां, PUFA-हां। दरअसल आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दोनों ही तेल लगभग बराबर हेल्दी हैं।
डॉ शेख बताती हैं, “इन दोनों ही तेलों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती हैं, जो दिल की बीमारियों को दूर रखती हैं।”
इसके साथ ही सरसों के तेल में जैतून के तेल से ज्यादा ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। सरसों के तेल में यह रेश्यो 1:2 का है। जबकि जैतून के तेल में यह रेश्यो 12:1 है।
डॉ. शेख इस बारे में राय देती हैं, “जैतून का तेल बहुत गुणकारी है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य के अनुसार सरसों का तेल ही बेहतर है। यह सस्ता है, हेल्दी है और हम इसे हमेशा से इस्तेमाल भी करते आ रहे हैं। जैतून के तेल का इस्तेमाल हिंदुस्तानी खाने के लिए सही नहीं है।”
तो अगली बार जब आप शॉपिंग के लिए जाएं, तो ध्यान रखिएगा कि सरसों का तेल ही बेस्ट है।