आयुर्वेद में हर समस्या का इलाज पाया जाता है, फिर चाहे वो मोटापा ही क्यों न हो। दरअसल वज़न बढ़ना किसी के लिए भी परेशानी का कारण हो सकता है। ओवरईटिंग (overeating), सिडेंटरी लाइफस्टाइल (sedentary lifestyle) और हेल्थ प्रोबलम्स (health problems) से शरीर का वज़न बढ़ जाता है। इससे राहत पाने के लिए अक्सर लोग फैंसी डाइट प्लान और वर्कआउट की मदद लेते है। मगर आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है। जानते है किन आयुर्वेदिक टिप्स की मदद से मिलती है वज़न को कम करने में मदद (herbs to burn belly fat)।
इस बारे में योग गुरू और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट हंसाजी योगेन्द्र के अनुसार आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ दोष के बढ़ने से पेट की चर्बी (tips to burn belly fat) बढ़ने लगती है। शरीर को एक्टिव न रखने और घंटों एक ही जगह पर बैठने से कफ दोष बढ़ने लगता है। इससे अनहेल्दी इटिंग हैब्ट्सि और शुगर क्रेविंग्स बढ़ने लगती हैं। ऐसे में औषधीय गुणों से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से वेटलॉस में मदद मिलती है।
आयुर्वेद में सात धातु होती हैं और उनमें से एक है मेध धातू। शरीर में इसका प्रभाव बढ़ने से वेटगेन का सामना करना पड़ता है। वेटगेन की समस्या हल करने के लिए मेथीदाना सबसे कारगर उपाय है। इसके अलावा त्रिफला, नागर मोठ और मंजिष्ठा की मदद से शरीर में जमा चर्बी को बर्न किया जा सकता है। साथ ही खान पान की आदतों में सुधार करके इस समस्या को हल करने में मदद मिलती है।
ब्लड को प्यूरीफाई करने और डाइजेशन को नियमित बनाए रखने के लिए नागर मोथा एक फायदेमंद जड़ी- बूटी है। इसे रात भर पानी में भिगोकर इसका पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है। इसकी मदद से बॉडी फैट को तोड़ा जा सकता है। नागर मोथा को नागर मुस्तक और नट ग्रास भी कहा जाता है। इसके सेवन से पेट संबधी समस्याएं भी हल हो जाती है। ये स्वाद में कसैला होता है, मगर इसके पत्ते, बीज और जड़ सभी चीजें वेटलॉस में मदद करती हैं।
मेथीदाना में इनसॉल्यूबल फाइबर की मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर में जमा कैलोरीज़ को बर्न करने में मदद मिलती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के अनुसार 18 स्वस्थ लोगों को रोज़ाना 8 ग्राम मेथीदाना के बीज दिए गए। ओवरनाइट सोक करके इन बीजों का सेवन करने से एपिटाइट कम होने में मदद मिली। इसके अलावा कैलोरी इनटेक में भी गिरावट पाई गई। मेथीदाना को भिगोकर खाने के अलावा सूप और किसी मेन कोर्स रेसिपी में मिलाकर खा सकते है।
मंजिष्ठा को रूबिया कॉर्डिफ़ोलिया भी कहा जाता है। इसके सेवन से शरीर को फाइबर की प्राप्ति होती है, जिससे बार बार होने वाली क्रेविंग से बचा जा सकता है। साथ ही ब्लड को प्यूरीफाई करने में मदद मिलती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मंजिष्ठा में पाए जाने वाले फलेवनॉइड्स और बायोएक्टिव कंपाउड पाए जाते हैं, जिससे एलर्जी, इनडाइजेशन और वेटलॉस में मदद मिलती है।
चिकित्सीय गुणों से भरपूर त्रिफला का चूर्ण दिन में दो बार गर्म पानी के साथ पीने से शरीर को फायदा मिलता है। अमलकी, बिभीतक और हरीतकी यानि हरड़ को मिक्स करके तैयार किया जाने वाला ये चूर्ण ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाकर शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा शरीर में मौजूद अतिरिक्त कैलोरीज़ की समस्या को दूर करता है। त्रिफला का नियमित सेवन करने से पाचनक्रिया उचित बनी रहती है, जिससे मेटाबॉलिज्म को बूस्ट किया जा सकता है।
गुग्गुल गोंद की ही एक किस्म है, जिससे ओबेसिटी सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। खट्टे डकार और कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए इसका सेवन किया जाता है। इसका सेवन करने के लिए गुग्गुल के पाउडर को एक गिलास पानी में 1 घंटे के लिए घोलकर रख दें। उसके बाद पानी को छानकर पी लें। इससे शरीर में वसा की मात्रा को भी नियंत्रित किया जा सकता है।