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चीनी लोग आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए पीते हैं शहतूत की चाय, आइए जानते हैं इसके फायदे और रेसिपी 

चीन में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, आंखों की रोशनी कम होने पर शहतूत का जूस या शहतूत की पत्तियों की चाय पिलाई जाती है। आइए इसके पीछे के तथ्य के बारे में जानते हैं।
Published On: 2 Jun 2022, 08:00 am IST
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Sehtoot ki chai
शहतूत की पत्तियों की चाय से आंखों संबंधी कई बीमारियां दूर हो सकती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

चीन में हजारों वर्षों से रेशम के कीड़े पाले और सिल्क के धागे तैयार किये जाते रहे हैं। रेशम के कीड़े (Mulberry Silk) का आहार होता है शहतूत की ताजी पत्तियां। यही कारण है कि जहां भी सिल्क तैयार किया जाता है, वहां शहतूत के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। बिहार के भागलपुर में भी सिल्क के धागे तैयार किए जाते हैं। इसलिए यहां भी शहतूत के पेड़ उगाए जाते हैं। यहां भी यह माना जाता है कि शहतूत का जूस या शहतूत की पत्तियाें की चाय (Mulberry chai benefits and recipe) पीने से आई साइट ठीक होती है। 

क्या यह सही है, यह जानने के लिए हमने बात की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. शंकर श्रीवास्तव से।

क्या है सच?

किशोरावस्था में शारीरिक विकास के साथ आंखों में भी परिवर्तन होते हैं। इस उम्र में आंखों का कमजोर होना आम समस्या है। दरअसल, आंखों के आगे का भाग यानी कॉर्निया के कर्व्ड हो जाने के कारण आई बॉल लंबा हो जाता है। इससे आंखों के अंदर जाने वाली लाइट रेटिना के पीछे नहीं, बल्कि सामने फोकस करने लगती है। इससे चीजें अस्पष्ट दिखने लगती हैं।

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. शंकर के अनुसार, आंखों की इस बीमारी को दवा के माध्यम से ठीक करना मुश्किल है। यदि विटामिन ए की कमी, फ्री रेडिकल्स या इंफेक्शन के कारण आंखों में किसी तरह की समस्या हो गई है, तो शहतूत का जूस या शहतूत की चाय काम कर सकती है। 

वहीं साथ ही इनसोमनिया, डायबिटीज, स्किन संबंधी समस्या, इन्फ्लेमेशन या हाई लेवल कोलेस्ट्रॉल की समस्या में शहतूत के पत्तों की चाय मददगार साबित हो सकती है। हर दिन एक गिलास शहतूत का रस पीने से आंखों की रोशनी में सुधार लाने में मदद मिल सकती है। 

क्यों खास है शहतूत का शरबत 

इसमें विटामिन ए अत्यधिक मात्रा में मौजूद होती है, जो आंखों को स्ट्रेस लेस करने में मददगार मानी जाती हैं। फ्री रेडिकल्स आंखों की रोशनी कम होने और रेटिना डिजनरेशन का कारण होता है। शहतूत का जूस फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचाव करता है। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को बढ़ती उम्र के कारण कम दिखाई देने लगा है, तो उन्हें शहतूत खाना चाहिए। शहतूत कैरोटीन और जेक्सैन्थिन से भरपूर होते हैं, जो रेटिना को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

क्या है शहतूत की पत्तियों की खासियत

शहतूत की पत्तियां शरद ऋतु में इकट्ठी की जाती हैं और धूप में सुखाई जाती हैं। अच्छी गुणवत्ता वाली पत्तियां पीली और हरी होती हैं। उन पर किसी तरह का निशान नहीं होता। यदि पत्तियां अच्छी तरह सूख जाती हैं, तो इतनी कुरकुरी हो जाती हैं कि वे आसानी से टूट जाती हैं।

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क्या कहता है अध्ययन

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रीशन के एक आलेख के अनुसार, शहतूत का पत्ता पॉलीफिनॉल, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, जिंक, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, फास्फोरस जैसे प्लांट कंपाउंड से भरपूर होता है। जब कभी आंखाें में इंफेक्शन यानी कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है, जिससे आंखें लाल हो जाती हैं और सूज जाती हैं। आंखों में इरिटेशन होने लगती है, तो शहतूत के पत्तों की चाय या शहतूत की चाय दी जाती है। इससे आंखों को राहत मिलती है।

Khatta meetha shatoot aap bhi test jarur karen.
शहतूत और शहतूत की पत्तियों में कई न्यूट्रीएंट्स मौजूद होते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

तो आइए अब जानते हैं शहतूत की चाय की रेसिपी 

शहतूत की चाय के लिए आपको चाहिए 

शहतूत की सूखी या ताजी पत्तियां – 2 टेबलस्पून 

गर्म पानी – 4 कप 

मीठे के स्वाद के लिए -1 टेबलस्पून हनी 

इस तरह तैयार कीजिए शहतूत की चाय 

यदि आप ताजी पत्तियों से चाय बनाना चाहती हैं, तो पत्तियों को पानी में 10-15 मिनट तक उबाल लें। यदि मीठी चाय पीना चाहती हैं, तो इसमें हनी एड कर लुत्फ उठा सकती हैं। यदि सूखी पत्तियों की चाय बनानी है, तो सिर्फ सूखी पत्तियों के ऊपर उबलता हुआ पानी डाल दें। 1 मिनट ढंकने के बाद छानकर पिएं।

नोट: दिन भर में 10 ग्राम से अधिक शहतूत की पत्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अधिक उपयोग करने पर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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