शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के साथ-साथ फाइबर, मिनरल्स, विटामिन्स, एंटीआक्सीडेंट और तमाम खास न्यूट्रीएंट से लबरेज फल अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए मशहूर हैं। कई फल अपने बेमिसाल स्वाद से लोगों को आकर्षित करते हैं, तो कई अपने पोषक तत्वों की वजह से। ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करते हैं। सबसे जरूरी बात, जब आप वेट लॉस की तैयारी करती हैं, तो अपनी डाइट में एक बड़ा हिस्सा फलों के लिए रखती हैं। पर क्या आप जानती हैं कि हमेशा ढेर सारे स्वास्थ्य लाभों के साथ आने वाले फल कभी-कभी आपको नुकसान भी दे सकते हैं। आइए यहां जानते हैं जरूरत से ज्यादा फल खाने के स्वास्थ्य जोखिम।
न्यूयार्क के डायटीशियन एंडी बेलाटी बताते हैं कि फ्रूट्स कुछ एक मिनरल्स जैसे आयरन और जिंक का अच्छे स्रोत नही होते। कई बार इन अहम पोषक तत्वों की कमी कारण लोगों को कई स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार ऐसा होता है कि अत्यधिक फ्रूट खा लेने के कारण पेट संबंधी गड़बड़ी हो जाती है।
एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशन एंड डाइटेटिक्स से जुड़े जेन बर्निंग बताते हैं कि सिर्फ फ्रूट खाते रहने की वजह से सीने में जलन (heartburn), डायरिया (Diarrhea), एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux), ब्लाॅटिंग (Bloating) और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी में छपे एक शोध के मुताबिक, पेट की ज्यादातर समस्याओं के लिए लैक्टोज, फ्रुक्टोज और शुगर अल्कोहल सोर्बिटोल जेसे कार्बोहाइड्रेट जिम्मेदार होते हैं।
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फल में फ्रक्टोज यानी शुगर की अत्यधिक मात्रा मौजूद है जो कई बार पेट में गैस बनने की शिकायत (Bloating) के लिए जिम्मेदार होता है। हम में से कई लोग ऐसे हैं जो अत्यधिक मात्रा में फ्रुक्टोज को पचा पाने में सक्षम नहीं होते हैं। कई लोगों के शरीर में फ्रुक्टोज का अवशोषण अच्छी तरह नहीं हो पाता हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि 40 फीसदी लोग फ्रुक्टोज मेलएब्जार्पशन (Fructose Malabsorption) से जूझ रहे हैं। दरअसल छोटी आंत फ्रुक्टोज को अवशोषित नहीं कर पाती है। ऐसे लोगों को फल से पोषण मिलने के बजाय उसका न्यूट्रीएंट खासकर फ्रुक्टोज आंत में इकट्ठा हो जाता है। जिससे वहां मौजूद बैक्टीरिया फ्रुक्टोज का फर्मेंटेशन शुरु कर देते हैं। जिसके कारण बहुत अधिक गैस और पेट में सूजन हो जाती है और ऐसे लोगों का शरीर असजह महसूस करने लगता है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन के डॉयरेक्टर डॉ एडम ड्र्यूनोव्स्की के अनुसार अत्यधिक मात्रा में फल खाने पर दस्त की शिकायत हो सकती है। वहीं वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी में छपे एक शोध के मुताबिक, हमारी आंत में गैस बनने, पेंट में ऐंठन और दर्द, दस्त और कभी-कभार सिरदर्द की शिकायत फ्रुक्टोज सहित अन्य कार्बोहाइड्रेट का अवशोषण न हो पाने के कारण होती है।
दरअसल संबंधित कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा वाले फलों को खाने के बाद हमारा शरीर उन्हें में पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर पाता है।
फल खाने और उसका जूस पीने से मिलने वाले स्वास्थ लाभ में काफी फर्क होता है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के साल 2013 की एक स्टडी में फ्रूट जूस का डायबिटीज के बढ़ रहे मामलों से लिंक होने की बात सामने आई है। कुछ फलों में ग्लूकोज शुगर की अधिकता डायबिटीज का कारक भी बन सकती है। इसके आलावा न्यूट्रीशन एंड मेटाबॉलिज्म जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक, अत्यधिक फ्रुक्टोज का सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में जिन फलों में फ्रक्टोज प्रचुर मात्रा में पाई जाती है उसका रोजाना अत्यधिक सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
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आप सुन कर हैरान होंगी कि जिन फलों का सेवन आप वेट लॉस के लिए कर रहीं हैं, वे कभी-कभी वजन बढ़ाने का भी कारण हो सकते हैं। आपका फेवरिट आम उन फलों में से एक है, जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। जिन लोगों में भी इस तरह का प्रभाव दिखाई देने लगे उन्हें चाहिए कि वह अपने डायटीशियन से इस बारे में बात करें और उन फलों से परहेज करें जिनकी वजह से उनका मोटापा बढ़ रहा है।
फ्रक्टोज को फ्रूट शुगर भी कहते हैं। हार्वर्ड की एक स्टडी में दावा किया गया कि अत्यधिक फ्रक्टोज का सेवन करने से लिवर, धमनी और दिल को खतरा हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ जापान से जुड़ी और न्यूट्रीशन में छपे एक स्टडी के मुताबिक, फ्रूट शुगर यानी फ्रुक्टोज का अत्यधिक सेवन करने से लिवर को खतरा नही होता है।
जिन फलों में फ्रुक्टोज जैसे अन्य कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है उनका नियमित रुप से अत्यधिक सेवन करने से लिवर में सूजन होने की शिकायत हो सकती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे अपने शरीर की मांग के हिसाब से और डायटीशियन की सलाह पर ही फल खाएं। फाइबर की प्रचुर मात्रा वाले फल जरुर खाएं, लेकिन जिनमें फ्रुक्टोज की अधिकता हो उससे परहेज करें।
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न्यूट्रीशन एंड मेटाबोलिज्म जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक, अत्यधिक फ्रक्टोज का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है। शरीर का ब्लड प्रेशर हाई होने से दिल संबंधी बीमारी आसानी से घेरने लगती हैं। ऐसे में प्रचुर मात्रा वाले फ्रक्टोज युक्त फलों को रोजाना अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए।
शरीर का आदर्श वजन बनाए रखने के लिए हमेशा से आहार विशेषज्ञ और फिटनेस कोच फलों के सेवन की सलाह देते हैं। ये आपकी शारिरिक और मानसिक सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 200 से 300 ग्राम फल खाने की सलाह दी जाती है। पर कई बार पसंदीदा आहार होने की वजह लोग इसे पेट भर खा लेते हैं। लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि ब्रेकफॉस्ट, लंच, डिनर और अन्य खानपान के मौकों पर सिर्फ फ्रूट को शामिल करने से शरीर को नुकसान भी हो सकते हैं। यकिन है जानने के आप ऐसी गलती करने से बचेंगी।
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फलों का अत्यधिक सेवन करने से शरीर में हाई ब्लड शुगर की शिकायत बढ़ने लगती है,सिर्फ फलों पर निर्भरता डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों की मुश्किल और बढ़ा सकते हैं। जेन बर्निंग कहते हैं कि सिर्फ इन कारणों को जानकर फलों को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। पर हां उसके कुछ चुनिंदा भागों को बाकी आहारों की तरह खाया जा सकता है। जिन लोगों में ब्लड शुगर संबंधी शिकायत है वे डायटीशियन या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट से सलाह लेकर ही फल खाएं।
लगातार फलों का रस या जूस पीना सिर्फ फल खाते रहने से भी ज्यादा जोखिम कारक है। जिन लोगों को फ्रूट जूस ज्यादा पसंद होते हैं उनके लिए जेन बर्निंग बताते हैं कि फ्रूट जूस से फाइबर बाहर कर देने के बाद उसमें जरुरी फाइबर और एंटीआक्सीडेंट व फाइटोन्यूट्रीएंट की कमी हो जाती है। जिससे ब्लड शुगर बढ़ने का जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
फल खाने की बजाय जब हम फ्रूट जूस को ज्यादा वरीयता देते हैं तो ऐसे में हमारे शरीर को एक साथ ज्यादा नेचुरल फ्रक्टोज और ग्लूकोज मिलती है, फाइबर की गैरमौजूदगी में हमारा गट ज्यादा शुगर अवशोषित करने लगता है और ऐसा होने से हमारे शरीर में कई तरह की समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इसलिए जरुरी है समय-समय पर डायटीशियन की मदद लें और उनके द्वारा बताए गए सुझावों को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं।
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