बारिश यानी बीमारियों का मौसम! क्योंकि आपकी तबियत कब खराब हो जाएगी इस मौसम में कुछ पता नहीं चलता। इसलिए यदि आप भी बाहर का खाना खा रही हैं, तो थोड़ा सावधान हो जाइए। इस मौसम में अकसर बाहर के खाने से परहेज की सलाह दी जाती है। क्योंकि ये बैक्टीरिया को पनपने और फैलने सबसे सुखद मौसम होता है। यही वजह है कि इस मौसम में खाना भी जल्दी खराब होता है। जिसके कारण आपको पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। तो इन सभी परेशानियों से बचने और अपने पेट को आराम देने के लिए अगर आप कोई अच्छी रेसिपी ढूंए रहीं हैं, तो आयुर्वेदिक खिचड़ी पर आकर आपकी यह खोज समाप्त हो जानी चाहिए। ये आयुर्वेदिक खिचड़ी रेसिपी न केवल आसान है, बल्कि आपके पेट के लिए भी बहुत अच्छी है।
चावल और मूंग दाल की इस आयुर्वेदिक खिचड़ी रेसिपी के साथ आप बरसात के दिनों का आनंद ले सकती हैं। तो चलिये फटाफट जान लेते हैं आयुर्वेदिक खिचड़ी की रेसिपी
जैतून का तेल 1 बड़ा चम्मच
प्याज, 1 बड़ा चम्मच, बारीक कटा हुआ
अदरक, 1 बड़ा चम्मच, बारीक कटा हुआ
1/2 हरी मिर्च, कटी हुई
1 बड़ा चम्मच लहसुन, बारीक कटा हुआ
एक चुटकी हल्दी
काली मिर्च 1/2 छोटा चम्मच
थोड़ा पानी
जीरा पाउडर 1/2 टेबल स्पून
धनिया पाउडर 1/2 टेबल स्पून
करी पाउडर 1/2 बड़ा चम्मच
एक चुटकी हींग
बासमती चावल 1/2 कप भीगे हुए
मूंग दाल 1 कप भीगी हुई
1 बड़ा चम्मच नमक या स्वादानुसार
1/2 कप ब्रोकली या फूलगोभी
पालक या केल 1/2 कप
1/2 कप अजवाइन
1 गाजर, कटा हुआ
1. एक पैन में जैतून का तेल गर्म करें और उसमें प्याज, लहसुन और अदरक डालकर भूनें।
2. इसके बाद इसमें हरी मिर्च, हल्दी, काली मिर्च डालें। ध्यान रहे मसाले पैन में चिपकें नहीं। अगर वे चिपक रहे हैं तो उन पर थोड़ा सा पानी का छींटा डालें। ताकि वे जले नहीं।
3. अब इसमें जीरा और धनिया पाउडर डालें, ध्यान रहे की आंच कम हो। अंत में हींग डालें और सभी को अच्छी तरह मिला लें।
4. अब चावल और मूंग दाल डालकर अच्छे से मिक्स करें। थोड़ा पानी डालें (आपको अपनी खिचड़ी कैसी चाहिए उसके अनुसार)। फिर थोड़ा नमक डालें और मिक्स करें।
5. इसमें सारी सब्जियां डालें और पानी को ठीक करें। फिर इसे ढककर 5-7 मिनिट तक पकने दें। अंत में कुछ कटी हुई हरी मिर्च से गार्निश करें।
खिचड़ी एक पौष्टिक भोजन है जिसमें पोषक तत्वों का सही संतुलन होता है। चावल, दाल और घी का संयोजन आपको कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आहार फाइबर, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और पोटेशियम प्रदान करता है। कई लोग इसके पोषण मूल्य को बढ़ाने के लिए इसमें सब्जियां भी मिलाते हैं।
खिचड़ी पेट और आंतों को शांत करती है, जिससे यह आपके बीमार होने पर सही भोजन बन जाता है और ये टेस्टी भी लगती है। यह शिशुओं और बुजुर्गों के लिए भी एक स्वस्थ विकल्प है, क्योंकि यह स्वादिष्ट और पौष्टिक दोनों है।
खिचड़ी आयुर्वेदिक आहार का मुख्य भोजन है, क्योंकि इसमें तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ को संतुलित करने की क्षमता होती है। शरीर को शांत करने और इसे डिटॉक्सीफाई करने के अलावा, खिचड़ी में ऐसे पोषण मूल्य होते हैं जो ऊर्जा, इम्युनिटी और पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं।
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