भारत में तीज-त्योहारों का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ और अनुष्ठान के अलावा इन त्योहारों का उद्देश्य सेहत और खुशियों की कामना भी है। उत्तर प्रदेश और बिहार में कजरी तीज भी लोक का ऐसा ही एक उत्सव है। जो इस वर्ष 2 सितंबर को (Kajari Teej 2023) मनाई जाएगी। हरितालिका तीज (Hartalika Teej) और हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज भी लोक समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सत्तू का विशेष महत्व होता है। अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरह से सत्तू को प्रयोग किया जाता है।
महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को चंद्रोदय के बाद सत्तू से बनी मिठाई से ही अपना व्रत खोलती हैं। तो चलिए कजरी तीज के लिए हम बताते हैं कि सत्तू की मिठाई बनाने का तरीका और इसके (Benefits Of Sattu) फायदे।
यह एक तरह का पौष्टिक खाद्य पदार्थ होता है, जो विभिन्न प्रकार के अनाजों से बनता है। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन, और मिनरल्स का समृद्ध स्रोत होता है। सत्तू की परंपरागत तैयारी में बहुत सारे दानों को बहुत अच्छे से पीसकर तैयार किया जाता है, जो उसकी पौष्टिकता को बढ़ाता है।
साथ ही सत्तू के रोजाना सेवन से व्यक्ति को अनेकों तरह के स्वास्थ्य लाभ होते है। सत्तू व्यक्ति की पाचन क्षमता से लेकर हार्ट हेल्थ और डायबिटीज़ तक के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, सत्तू के भी अनेकों प्रकार होते है। चने के सत्तू के साथ-साथ चावल, बाजरा, सोया, मक्का और गेहूं का भी सत्तू बनाया जाता है और हर प्रकार का सत्तू स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
सत्तू में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन, और मिनरल्स होते है, जिनसे स्वास्थ्य में कई तरह के फायदे होते हैं।
डायबिटीज के प्रबंधन में सत्तू का सेवन करने से कई तरह की मदद मिल सकती है। सत्तू में कम कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं और उसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होती है, जिससे आपके ब्लड शुगर के स्तर को संभालने में मदद मिलती है। यह आपके खाने के खुराक को नियंत्रित करने में मदद करता है और असमय होने वाले हाई ब्लड शुगर के लिए भी उपयोगी होता है।
हार्ट हेल्थ को सुरक्षित और स्वस्थ रखने में सत्तू मदद करता है क्योंकि यह कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है जो हार्ट की सेहत को सुधारने में मदद करते हैं।
साथ ही इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो हार्ट की सेहत के लिए महत्वपूर्ण होती है। फाइबर हार्ट के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके साथ ही सत्तू में गुड फैट्स, जैसे कि मोनोआनसैचराइड्स और पॉलीआनसैचराइड्स, होते हैं जो हार्ट के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या होती है जिसमें हड्डियों की मात्रा कम हो जाती है और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, जिसके कारण उनके आसानी से टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए सत्तू का सेवन करने से कुछ मदद मिलती है।
इसमें कैल्शियम और प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाकर ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करता है। इसके साथ ही सत्तू में विटामिन डी की मात्रा होती है, जिसे खासकर सूरज की किरणों से प्राप्त किया जाता है। विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करता है।
1 कप सत्तू
1/2 कप खोया
1/2 कप ब्राउन शुगर या खांड
1/4 कप घी
1/4 कप दूध
1/4 छोटी चम्मच इलायची पाउडर
1/4 छोटी चम्मच बादाम या पिस्ता, कटा हुआ (आवश्यकता अनुसार)
सत्तू की बर्फी बनाना बेहद ही आसान है। इसके लिए सबसे पहले आप एक पैन में घी गरम करें और उसमें सत्तू डालकर हल्का ब्राउन होने तक भूनें। ध्यान दें कि सत्तू को भूनते समय आंच स्लो रखें ताकि यह जल न जाए। इसके बाद भुने हुए सत्तू को बाहर निकालकर ठंडा करें और दूसरे बर्तन में दूध, खोये, देसी खांड और भुने हुए सत्तू को मिला दें।
इसे मध्यम आंच पर पकने दें और लगातार चलाते रहें ताकि मिश्रण जल न जाए। उसके बाद अंत में मिश्रण ठंडा होने पर इसे आपकी पसंदीदा आकर में काट लें और बादाम या पिस्ता से सजाकर परोसें।
सत्तू की बर्फी तैयार है। आप इसे ठंडे या गरम दोनों ही रूप में खा सकते हैं। सत्तू की बर्फी आपके त्योहार के मोमेंट्स को और भी स्वादिष्ट और यादगार बना सकती है। इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें और खुशियों के पलों का आनंद उठाएं।
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