शरद पूर्णिमा में खीर खाने का पारम्परिक महत्व है। माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं। मान्यता ऐसी भी है कि आज के ही दिन समुद्र मंथन में देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए, कई संस्कृतियों में शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन भी होता है।
लेकिन आप सोच रही होंगी कि चांद से खीर का क्या लेना-देना? दरअसल, हमारे लगभग सभी उत्सवों के पीछे विज्ञान है और इस परंपरा के साथ भी ऐसा ही है।
वेदिक एस्ट्रोलॉजी के अनुसार शरद पूर्णिमा की तिथि को चांद धरती के सबसे करीब होता है। इस रात चांद से पॉजिटिव एनर्जी सबसे ज्यादा निकलती है।
यह एनर्जी दूध में लैक्टिक एसिड के सिंथेसिस को बढ़ा देती है। यही कारण है कि चांदनी में रखी हुई खीर अधिक पौष्टिक बन जाती है।
अब जब आप इस खीर का महत्व जान चुकी हैं, हम बताते हैं इसकी पौष्टिक रेसिपी
चूंकि हम इस खीर को सेहतमंद बना रहे हैं इसलिए हम चीनी का प्रयोग नहीं करेंगे। उसकी जगह हम छुआरा और खजूर इस्तेमाल करेंगे।
आप ब्राउन शुगर या गुड़ का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
·दो कप दूध
· एक कप चावल
· 15 से 20 खजूर या छुआरे
·एक मुट्ठी बादाम
·एक मुट्ठी मखाना
·थोड़ी सी किशमिश, चिरौंजी और काजू
·आधा चम्मच इलायची पाउडर
1. खजूर को गुनगुने पानी में एक से दो घण्टे के लिए भिगो दें।
2. चावल को अच्छी तरह धो कर पानी में भिगाेकर छोड़ दें। इसे बस 5 से 10 मिनट छोड़ना है जितनी देर में आप बाकी तैयारियां करेंगी।
3. खजूर को पानी से निकालकर छोटा छोटा काट लें। बादाम, मखाने और अन्य मेवों को भी काट लें।
4. एक भारी तले की कढ़ाई या भगौने में दूध चढ़ा दें। दूध को उबलने दें और बीच-बीच मे चलाती रहें ताकि दूध तली में चिपके ना।
5. अब इसमें चावल डालें और दूध को चलाती रहें। जब चावल थोड़ा गलने लगे तो दूध में खजूर मिला दें। अगर आप गुड़ या चीनी इस्तेमाल कर रही हैं तो उसे भी चावल गलने के बाद ही मिलाएं।
6. धीमी आंच पर इसे 8 से 10 मिनट तक पकने दें। इलाइची पाउडर मिला दें। दूध गाढ़ा हो जाए और आपको मनचाही कंसिस्टेंसी मिल जाये तो आंच तेज करके सभी मेवे मिला दें।
7. अब एक से दो मिनट तक खीर को तेज आंच पर लगातार चलाते हुए पकाएं और गैस बंद कर दें।
8. हल्का ठंडा होने के बाद इस खीर को एक बाउल में डालें। ऊपर से जाली या छलनी ढक दें और बालकनी/ छत पर रख दें।
सुबह उठकर इस खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
ऊपर से जाली वाला ढक्कन रखें ताकि रात में कोई कीड़ा खीर में ना गिर जाए।
सामान्य ढक्कन ना इस्तेमाल करें क्योंकि वह चांद की किरणों को पड़ने से रोकेगा।