ब्रेन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इससे दिल की धड़कन, लंग्स की फंक्शनिग और डाइजेशन समेत शरीर की सभी प्रणालियों को काम करने में मदद मिलती है। मगर दिनों दिन बढ़ता तनाव का स्तर और अनावश्य चिंताओं समेत खनापान की अनहेल्दी आदतें इसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। खाद्य पदार्थों को मस्तिष्क पर होने वाला नकारात्मक प्रभाव याददाश्त और मनोदशा को प्रभावित करता हैं और डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर समेत कई रोगों के जोखिम को बढ़ा सकता हैं (worst foods for brain)।
रोज़मर्रा के जीवन में हमारी कई आदतें मस्तिष्क के स्वास्थ्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें मुख्य रूप से नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और संतुलित आहार (worst foods for brain) शामिल है। हेल्दी फूड्स का सेवन करने से ब्रेन सेल्स बूस्ट होते हैं, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अनहेल्दी आहार न्यूरोट्रांसमीटर पाथवेज़, सिनैप्टिक ट्रांसमिशन, मेंबरेन फ्लूइडि टीऔर सिग्नल ट्रांसडक्शन मार्गों को विनियमित करके कई मस्तिष्क प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
इस बारे में न्यूरोलॉजी सीनीयर कंसल्टेंट डॉ साहिल कोहली बताते हैं कि आहार मस्तिष्क के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिक चीनी का सेवन मस्तिष्क के स्मृति केंद्र हिप्पोकैम्पस को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और समय के साथ इसकी प्लास्टिसिटी को खराब कर सकता है।
इसके अलावा केचप, ब्रेड, बिस्कुट और ओवर द काउंटर जूस जैसे उच्च चीनी सामग्री वाले खाद्य पदार्थों (worst foods for brain) और पेय पदार्थों से बचना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। ब्रेन को हेल्दी बनाए रखने के लिए आहार में ताजे फल और सब्जियाँ शामिल करें। इसके अतिरिक्त तले हुए खाद्य पदार्थों और शराब का सेवन सीमित करें।
मीठे पेय पदार्थ यानि स्पोर्ट्स ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक और फलों का रस पीने से न केवल वेटगेन का सामना करना पड़ता है बल्कि इससे ब्रेन की फंक्शनिंग प्रभावित होती है। इससे इंफ्लामेशन का जोखिम बढ़ जाता है, जो ब्रेन सेल्स को डैमेज कर देता है। इससे सेल्स संकुचित होने लगते है, जिससे सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार कई मीठे पेय पदार्थों में उच्च.फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप की मात्रा पाई जाती है, जिससे 55 फीसदी फ्रुक्टोज और 45 फीसदी ग्लूकोज पाया जाता है। इससे ब्रेन फंक्शनिंग प्रभावित होती है, जो मेमोरी लॉस का कारण बनने लगती है।
नूडल्स में रिफांइड कार्ब्स और अनहेल्दी फैट्स की मात्रा पाई जाती है। इससे इंसुलिन स्पाइक और क्रॉनिक इंफ्लामेशन की समस्या बनी रहती है, जो ब्रेन डैमेज का कारण साबित होता है। इंस्टेंट नूडल्स में मौजूद अत्यधिक सोडियम मस्तिष्क में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को बढ़ाता है (worst foods for brain) । अधिक सोडियम का सेवन समय के साथ मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए टर्शियरी ब्यूटाइलहाइड्रोक्विनोन और ब्यूटाइलेटेड हाइड्रोक्सीएनिसोल जैसे प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया जाता हैं। ईरानी जर्नल ऑफ बेसिक मेडिकल साइंसेज की रिपोर्ट के अनुसार टीबीएचक्यू के लगातार संपर्क से न्यूरोलॉजिकल क्षति और लिम्फोमा के बढ़ते जोखिम का कारण माना जाता है।
विले ऑनलाइन लाइब्रेरी के अनुसार प्रोसेस्ड फूड में चीनी, फैट्स और नमक की मात्रा अधिक होती है। रोज़ाना चिप्स, मिठाई और पैक्ड फूड खाने कैलोरी का स्तर बढ़ने लगता है और पोषक तत्वों की कमी का सामना करना पड़ता हैं। विले ऑनलाइन लाइब्रेरी के अनुसार 243 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि अंगों के आसपास बढ़े हुए फैट्स या आंत की वसा मस्तिष्क के टिशूज़ को नुकसान पहुंचाते है। 130 लोगों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम के शुरुआती चरणों में भी मस्तिष्क के ऊतकों में कमी पाई जाती है।
अल्कोहल क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार अल्कोहल के अत्यधिक सेवन से मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव देखने को मिलता है। लगातार शराब का सेवन करने से चयापचय में परिवर्तन और न्यूरोट्रांसमीटर की मात्रा प्रभावित होने लगती है। इसका असर ब्रेन फंक्शनिंग पर दिखने लगता है। विले ऑनलाइन लाइब्रेरी की रिपोर्ट के अनुसार शराब की लत वाले लोगों में अक्सर विटामिन बी1 की कमी होती है। इससे वर्निक एन्सेफैलोपैथी नामक मस्तिष्क विकार हो सकता है,
जो आगे चलकर कोर्साकॉफ़ सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
अधिक मात्रा में फैटी फूड का सेवन करने से ब्रेन में ब्लड का सर्क्ुलेशन बाधित होने लगता है। साइंस डायरेक्ट की रिर्पोट के अनुसार जब लोग अधिक मात्रा में ट्रांस फैट्स का सेवन करते हैं, तो उससे शरीर में अल्जाइमर रोग, खराब याददाश्त और संज्ञानात्मक गिरावट का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इंफ्लामेशन का भी खतरा बढ़ने लगता है।
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