इस उम्र की ज्यादातर युवतियों को गलतफहमी होती है कि वे सबसे ज्यादा स्वस्थ हैं। इसलिए वे अपना ध्यान ब्यूटी और फिटनेस पर देने लगती हैं। हालांकि इन दोनों का भी आपके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान है, पर पोषण इस सबसे पहले आता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर युवा शहरी महिलाओं में विटामिन ए की कमी पाई जाती है। इसकी वजह अज्ञानता और लापरवाही दोनों ही है।
विटामिन ए को मेडिकल टर्म में रेटिनॉल कहा जाता है। यह आपकी आंखों के स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी विटामिन है। जो न केवल आंखों की रोशनी बनाए रखता है, बल्कि उम्र के साथ होने वाली समस्याओ को भी कम करता है।
अगर आप भी समय से पहले चेहरे पर पड़ रही झुर्रियों, हेयर फॉल और आंखों पर चढ़े चश्मे का कारण ढूंढ रहीं हैं, तो इसके लिए आप विटामिन ए की कमी को भी दोष दे सकती हैं। तो सबसे पहले यह जरूरी है कि आप विटामिन ए के बारे में कुछ बेसिक जानकारियां नोट कर लें।
असल में विटामिन ए दो प्रकार के होते हैं : –
1 . प्रीफॉर्म्ड विटामिन ए (रेटिनॉयड)
2. प्रोविटामिन ए (कैरोटिनॉयड)
विटामिन ए को रेटिनॉल भी कहा जाता है क्योंकि, यह हमारी आंखों में रेटिना में रंग उत्पन्न करता है। हमारी आंखों की रोशनी का विटामिन ए से सीधा संबंध होता है। जब हमारे अंदर विटामिन ए की कमी होने लगती है, तो सबसे पहले उसका असर आंखों पर ही नजर आता है। इसके साथ ही विटामिन ए त्वचा, हड्डियों और आंखों के लिए बहुत आवश्यक होता है। इससे हमारा इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
अब आप जान गईं हैं कि विटामिन ए के दो अलग- अलग प्रकार होते हैं, तो उनके स्रोत भी अलग होंगे यह स्वभाविक है।
1 . प्रीफॉर्म्ड विटामिन ए:- यह विटामिन पशु उत्पाद के द्वारा प्राप्त होता है जैसे मीट,मछली या दूध से बने पदार्थ आदि ।
2. प्रोविटामिन ए: – यह विटामिन हमें प्लांट बेस्ड प्रोडक्ट जैसे फल,फूल,सब्जी आदि से प्राप्त होता है।
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कस्टमाइज़ करेंइसमें हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी बीटा-कैरोटीन है। यह जरूरी विटामिन पौधों और फलों (विशेषकर गाजर) में पाया जाने वाला लाल, नारंगी और पीला पिग्मेंट है। यही रंग इसकी पहचान भी है। यानी अगर आप अपने आहार में बीटा-कैरोटीन शामिल करना चाहती हैं, तो गहरे लाल, नारंगी और पीले रंग वाले फल और सब्जियों को अपनी प्लेट में शामिल करें।
इसके लिए आप गाजर, पालक, टमाटर, सलाद पत्ता, शकरकंदी, ब्रोकली, सीताफल, खरबूजा, पपीता, आम, मटर, गोभी, लाल-पीली शिमला मिर्च, खुबानी आदि पर भरोसा कर सकती हैं।
विटामिन ए की सबसे जरूरी बात यह है कि इसकी जरूरत आपको उम्र भर पड़ती है। बच्चे के गर्भ में आने के बाद से उम्र दराज होने तक विटामिन ए की कमी आप में कई प्रकार की गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। पर युवावस्था, प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान आपको विटामिन ए का खास ख्याल रखना चाहिए।
एक वयस्क महिला को 700 (mcg) RAE ( micrograms of retinol activity equivalents) की जरूरत होती है। वहीं अगर आप गर्भवती हैं तो आपको 770 (mcg) RAE की आवश्यकता होती है। स्तनपान के दौरान आपको अपनी और बेबी दोनों की आवश्यकता पूरी करनी है। इसलिए आपको हर दिन 1300 (mcg) RAE विटामिन ए लेना अनिवार्य है।
कई विकासशील और विकसित देशों में भी लोगों में विटामिन ए की कमी बढ़ती जा रही है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं में विटामिन ए की कमी का सबसे आम लक्षण है एक आँख की स्थिति जिसे ज़ेरोफथाल्मिया कहा जाता है।
जो लोग कम रोशनी मे नहीं देख पाते हैं हम कह सकते है कि उन्हे ज़ेरोफथाल्मिया है, और यदि लोग इसे गंभीरता से न ले और इसका इलाज नहीं कराया जाए तो यह अंधापन का कारण भी बन सकता है।
विटामिन ए की कमी के कुछ गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। लगातार जारी वैज्ञानिक शोधों में यह सामने आया है कि विटामिन ए की कमी कैंसर, उम्र से संबंधित अंधेपन और खसरा का भी कारण बन सकती है।