इन दिनों अधिकतर लोग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुपरफूड्स की तलाश में रहते हैं। इसी के चलते जहां साबुत अनाज का चलन तेज़ी से बढ़ने लगा है, तो वहीं कच्ची सब्जियों और फलों को भी आहार में प्राथमिकता से शामिल किया जाने लगा है। वेस्टर्न फूड्स के पोषण को प्राप्त करने के लिए अगर आपकी भी जेब का खर्च बढ़ने लगा है, तो डायटीशियन से जानें कि किस प्रकार से देसी फूड्स को वेस्टर्न फूड से स्वैप कर डाइट में शामिल करके पोषण की प्राप्ति की जा सकती है।
हर पल पोषण की तलाश में खरीदे जाने वाले मंहगे खाद्य पदार्थों की जगह मम्मी की रसोई में मौजूद कुछ खास खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते है। इससे शरीर को बराबर पोषण की ही प्राप्ति होने लगती है और शरीर स्वस्थ बना रहता है। जानते हैं डायटीशियन दीपशिखा जैन से किन फूड्स को देसी खाद्य पदार्थों से स्वैप करके बराबर पोषण की प्राप्ति हो सकती है।
केल एक क्रूसिफेरस सब्जी है, जो कैबेज के समान ही पौष्टिक है। इसमें पाई जाने वाली एंटी कैंसर प्रापर्टीज़ कैंसर सेल्स को मारकर शरीर को हेल्दी बनाते है। केल के समान ही कैबेज में भी पोटेशियम और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। केल के स्थान पर कैबेज का सेवन करने से गट हेल्थ को भी मज़बूती मिलती है। इसके अलावा कैबेज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी मुक्त रखती हैं।
वेटलॉस यात्रा के दौरान अधिकतर लोग ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करने लगते हैं। मगर घी का प्रयोग करने से भी शरीर को बराबर मात्रा में ही पोषण की प्राप्ति हो सकती है। दोनों को 1 चम्मच लेने से बराबर कैलोरीज़ होगी। इनके सेवन से गट लाइनिंग को मज़बूती मिलती है और इम्यून सिस्टम बूस्ट होने लगता है। इसे आहार में मॉडरेट ढ़ग से एड कर सकते हैं।
एवोकाडो के समान नारियल में भी गुड फैट्स की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा शरीर को पोटेशियम और फाइबर की भी प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद मोनोसेचुरेटिड फैट्स शरीर को हेल्दी बनाने में मदद करते हैं। नारियल में पाई जाने वाली एंटीबैक्टीरियल प्रापर्टीज शरीर को मौसमी बीमारियों से बचाने में मदद करती है। इसका नियमित ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
प्रोटीन और फाइबर का रिच सोर्स क्विनोआ की जगह आहार में ज्वार और बाजरा शामिल कर सकते हैं। ज्वार और बाजरा में क्विनोआ के समान ही प्रोटीन पाया जाता है। मगर इनमें फाइबर की दोगुनी मात्रा पाई जाती है। इससे मसल्स को मज़बूती मिलती है और मसल्स टिशूज को रिपेयर किया जा सकता है। इनके नियमित सेवन से पाचन संबधी समस्याएं दूर होती हैं और इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होने लगता है।
ब्लूबैरी और जामुन दोनों में एंटीऑक्सीडेंटस उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। ब्लूबैरी के समान जामुन भी विटामिन सी और पॉलीफेनोल्स रिच होते हैं। इसके सेवन से शरीर में आयरन के एब्जॉर्बशन में मदद मिलती है और डाइजेशन को भी इंप्रूव किया जा सकता है। जामुन का सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर नियमित बना रहता है, जिससे शरीर में होने वाली थकान से बचा जा सकता है। इसके अलावा स्किन के लिए भी जामुन बेहद कारगर है।
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