पिछले कुछ समय में लोगों में हेल्थ और फ़िटनेस को लेकर बढ़ी जागरूकता ने विभिन्न प्रकार के अंकुरित अनाज और बीजों को दैनिक आहार का प्रमुख हिस्सा बन दिया है। फिटनेस प्रेमी वज़न नियंत्रण के लिए इनका प्रयोग करते हैं। बीजों में मौजूद फाइबर लम्बे समय तक भूख कंट्रोल करता है और साथ ही मिनरल्स से भरपूर होने के कारण पोषण भी देते हैं।
ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर, बीज एक पौष्टिक आहार हैं। हमारे शरीर को तंदुरुस्त रखने में इनका बड़ा महत्व है। मगर हाल ही में बीजों के अन्य लाभों पर भी प्रकाश डाला गया है। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को संयमित करने में कई प्रकार के बीज कारगर सिद्ध हुए हैं।
जिन 5 बीजों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह माहवारी के समय सेवन करने से हॉर्मोन्स को संतुलित करते हैं, साथ ही एक्ने, असन्तुलित पीरियड्स, थकान और क्रेम्प्स से भी निजात दिलाते हैं।
कद्दू के बीज पोषक तत्वों का भंडार हैं। इनके नियमित सेवन से शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं।
प्लांट फूड फोर ह्यूमन न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित लेख के अनुसार कद्दू के बीज में जिंक प्रचूर मात्रा में होता है। यह शरीर में प्रोजेस्टेरोन (हॉर्मोन) को बढ़ाता है, जिससे माइग्रेन, सर दर्द, डिप्रेशन और मूड स्विंग नियंत्रित होता है।
माहवारी के पहले चरण (1 से 14वें दिन) में इसका सेवन करना चाहिए। रोज सुबह एक से दो चम्मच ताज़े कुटे कद्दू के बीज का सेवन लाभकारी होता है।
अलसी ओमेगा 3 फैटी एसिड्स का सबसे अच्छा स्रोत है। एक नवीन शोध में पाया गया है कि अलसी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट ‘लिग्नन्स’ मौजूद होते हैं जो शरीर मे एस्ट्रोजन हॉर्मोन के अत्यधिक उत्पादन को रोकता है। एस्ट्रोजन के जरूरत से ज्यादा उत्पादन से मोटापा, थकान, मूड स्विंग, क्रेम्प्स और एक्ने की समस्या आ जाती है।
हर दिन एक से दो चम्मच अलसी के बीज, कद्दू के बीज के साथ ही माहवारी के शुरुआती चरण में खाये जाने चाहिए। यह एस्ट्रोजन के स्तर को सुचारू रखता है और असंतुलन को नियंत्रित करता है।
अलसी की गर्म तासीर के कारण गर्मियों में इसे रात भर पानी में भिगोकर खाएं, वहीं सर्दियों में चबाकर खाने की सलाह दी जाती है।
तिल जिसे हम सेसमे सीड भी कहते हैं जिंक का भंडार होता है। सेन्टर ऑफ डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार तिल में भी अलसी की तरह ही लिग्नन्स मौजूद होते हैं। जो एस्ट्रोजन के स्तर को कम कर प्रोजेस्टेरोन को बढ़ाता है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में तिल का सेवन बहुत लाभदायक होता है। तिल ना केवल अवांछित गर्भपात को रोकता है, बल्कि प्रेगनेंसी के समय होने वाले मूड स्विंग पर भी नियंत्रण करता है।
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कस्टमाइज़ करेंसनफ्लॉवर या सूरजमुखी के बीज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। असल में यह सूरजमुखी के फल होते हैं और इनमें पोषण का भंडार होता है। जर्नल ऑफ डेरी साइंस के लेख के मुताबिक यह विटामिन ई का महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, जो प्रोजेस्टेरोन को बढ़ाकर पीएमएस लक्षणों को कंट्रोल करता है।
इतना ही नहीं, सूरजमुखी के बीज सेलेनियम से भी भरपूर होते हैं जो लीवर के लिए सहायक होता है।
चिया के बीज फाइबर, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर होते हैं। इंसुलिन सेंसिटिविटी, असंतुलित पीरियड्स, एक्ने और मूड स्विंग को संयमित रखने के लिए चिया के बीज बहुत लाभकारी होते हैं। चिया बीज को नियमित रूप से खाया जा सकता है।
इन 5 बीजों के प्रयोग से आप अपने हॉर्मोन्स को संतुलित रख सकती है। इतना ही नहीं इन्हें अपने आहार में शामिल करने से आप मिनरल्स और विटामिन्स की ज़रूरत को पूरा कर सकती हैं। इस हेल्दी डाइट का असर आपके वजन से लेकर त्वचा और बालों पर भी साफ नजर आएगा।