मौसम अनुकूल न होने के कारण यूं तो पहाड़ पर बहुत कम सब्जियां उगाई जा सकती हैं। पर कुछ सब्जियां यहां अपने-आप उग आती हैं, जो पहाड़ी सब्जियां कहलाती हैं। ये न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती हैं। देश-विदेश में मांग बढ़ने के कारण अब तो यहां के किसानों द्वारा उगाई भी जाने लगी हैं। आइए ऐसी ही 5 पहाड़ी सब्जियों (Pahari vegetables) के बारे में जानते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद मुफीद हैं।
स्वाद के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं ये 5 पहाड़ी सब्जियां। बीज, जड़, फूलों, पत्तों के रूप में प्रयोग की जाने वाली सब्जियां कई रोगों को शरीर से दूर रखने में भी कारगर हैं। इन पहाड़ी सब्जियों की पौष्टिकता जानने के लिए हमने बात की पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े केशव चौहान से।
कैंसर सहित कई रोगों के इलाज में प्रयोग होने के कारण पहाड़ी सब्जी गुच्छी 20 हजार रुपये किलो की दर से मिलती है। गुच्छी को पहाड़ पर सब्जियों की रानी कहा जाता है। क्यों न कहा जाए? मशरूम प्रजाति की गुच्छी बाजार में 15000-20000 रुपये किलो तक बिकती है। गुच्छी पहाड़ पर काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में मिलती है। यह घने जंगलों में प्राकृतिक रूप से मिलती है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ केशव चौहान ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी अब पहाड़ों पर भी कम मात्रा में मिलती है। मधुमक्खी के छत्ते के आकार वाली गुच्छी में 32.7 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 17.6 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 38 प्रतिशत होती है। इसे एंटी इन्फ्लेमेटरी माना जाता है। यह गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम कर सकती है।
यह शरीर के किसी भाग में बनने वाले ट्यूमर के डेवलपमेंट को रोक सकती है। इसके खाने से स्तन कैंसर की संभावना कम हो जाती है। पहाड़ी लोग यह भी मानते हैं कि गुच्छी कामोत्तेजना को भी बढ़ा सकता है, पर इस पर कोई रिसर्च अब तक नहीं आई है। गुच्छी की सब्जी को नियमित रूप से खाने पर हार्ट प्रॉब्लम्स दूर हो सकते हैं। इसमें विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-के भरपूर मात्रा में पाई जाती है।
बिच्छू बूटी की झाड़ियां पहाड़ पर नमी वाली जगहों पर पाई जाती हैं। सड़क के किनारे या पहाड़ी नालों के आस-पास अपने-आप उगती है बिच्छू बूटी। इसकी साग या सब्जी बनाई जाती है। इसे तोड़ने में बेहद सावधानी बरती जाती है, क्योंकि पौधे के रोम में फॉर्मिक एसिड पाया जाता है। इसलिए जब हमारे शरीर का कोई भी अंग इस बूटी से टच हो जाता है, तो बिच्छू के डंक मारने जैसी पीड़ा और जलन होती है।
इसमें विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, विटामिन बी6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फाॅस्फोरस, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, राइबोफ्लेविन के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट एलिमेंट भी पाए जाते हैं। बिच्छू बूटी में इथेनॉलिक एक्सट्रैक्ट (Ethanolic extract) मौजूद होता है। इसका इस्तेमाल एथेरोस्क्लोरोटिक से बचाव में किया जाता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस से हार्ट अटैक या दूसरी दिल संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। बिच्छू बूटी में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम दिल को स्वस्थ रख सकता है। इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होता है। इससे लिवर संबंधी समस्या से बचाव हो सकता है। मौसम बदलने पर बुखार या एलर्जी होने पर बिच्छू बूटी का सेवन किया जाता है।
पीरियड के दौरान अत्यधिक फ्लो होने तथा पीरियड संबंधी कई छोटी-मोटी समस्याओं को दूर कर सकती है बिच्छू बूटी। इसमें मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद हो सकता है।
आयुर्वेद बुरांश के फूल को पोषण का खजाना मानता है। जब सर्दी खत्म होने के कगार पर होती है, तो बुरांश के फूल पहाड़ पर छा जाते हैं। बुरांश के फूल की चटनी, शर्बत और पकौड़े भी तैयार किए जाते हैं। पहाड़ों पर इसके फूलों की पत्तियों को सुखाकर रखा जाता है और गर्मी में पीसकर शर्बत या जूस तैयार किया जाता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, जिंक और कॉपर पाया जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंएनिमिक व्यक्ति को बुरांश के फूल के सेवन से फायदा पहुंचता है। बुरांश में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसे डाइट में शामिल करने से हड्डियों और जोड़ों में दर्द की शिकायत खत्म हो सकती है। बुरांश शुगर लेवल को कंट्रोल करने वाला माना जाता है, लेकिन डायबिटीज के मरीज इसके सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श कर लें। यदि शरीर में जलन की समस्या है, तो बुरांश के फूल का शर्बत पीना फायदेमंद है।
यह पहाड़ों की खास सब्जी है और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी भी है। लिंगड़ी, कसरोड़ या फर्न की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए ज्यादातर लोग सर्दियों में इसका सेवन करते हैं। वहीं इसे स्वास्थ्य अनुकूल बनाने के लिए इसमें दही मिलाकर पकाया जाता है।
असल में इस सब्जी में विटामिन ए, विटामिन बी काॅम्प्लेक्स, फाॅस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, कैरोटिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे यह हर उम्र के लोगों के लोगों को पोषण प्रदान करती है। सब्जी तैयार करने से पहले इसकी अच्छे से सफाई की जानी जरूरी है।
पेट की गर्मी से होने वाली तमाम बीमारियां जैसे अपच, कब्ज और स्किन रैश के उपचार में यह लिंगड़ी राहत देती है। इसके साथ ही यह डायबिटीज, लिवर और आंतों की समस्या में भी फायदेमंद है।
यदि लिंगड़ी की जड़ को पीसकर फोड़े-फुंसी पर लगाया जाए तो यह बहुत आराम देता है। आंतों में सूजन आने पर इसकी डंठल को पानी में उबाल कर खाने से आराम मिलता है। लिंगड़ी की सब्जी खाने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह गठिया के इलाज में भी कारगर है। इसकी जड़ को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाया जाता है।
हरे सेब जैसा दिखने वाला लंकू विटामिन और मिनिरल्स से भरपूर होता है। इसकी जड़, फल, बीजों और पत्तियों को इस्तेमाल में लाया जाता है। इसमें कॉपर, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन बी 5, मैंगनीज भी पाया जाता है। इसमें ट्रिप्टोफैन, थ्रेओनीन, ल्यूसिन और लाइसिन जैसे एमिनो एसिड पाए जाते हैं।
पत्तियों या फलों से बने काढ़े का प्रयोग यूरीन प्रॉब्लम्स और किडनी में स्टोन की बीमारी को ठीक करने में किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को इसके फल से तैयार सब्जी को खाना चाहिए तथा इसकी पत्तियों से तैयार हर्बल टी पीनी चाहिए। इससे बीपी कंट्रोल रहता है। यह एंटी इन्फ्लामेट्री भी होता है।
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