मौसम में बदलाव आमतौर पर आपके गले को सबसे पहले प्रभावित करता है। यह इस बात का भी संकेत है कि आपकी इम्युनिटी पर्याप्त मजबूत नहीं है। चल रही कोविड -19 महामारी के बीच यह निश्चित रूप से अच्छी खबर नहीं है। इसलिए, हम चाहते हैं कि आप इन छोटी-छोटी बातों को गंभीरता से लें। सच कहा जाए, तो आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से ज्यादा प्रभावी कुछ नहीं है, जो आपके गले और नाक के क्षेत्र को शांत कर सकती है।
मौजूदा स्थिति में यह सुनिश्चित करना और भी जरूरी है कि हमारा श्वसन तंत्र ठीक से काम कर रहा है। अब तक हम में से ज्यादातर लोग जानते हैं कि खांसी दो तरह की हो सकती है- सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी। दोनों हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
सूखी खांसी पर्यावरण प्रदूषण और एलर्जी जैसे विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है, लेकिन बलगम वाली खांसी बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकती है।
आयुर्वेदिक शोधकर्ता डॉ श्रुति हेगड़े कहती हैं, “जड़ी-बूटियों में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।”
परंपरागत रूप से कई दवाओं में उपयोग की जाने वाली तुलसी, सूखी खांसी से राहत दिलाने में बहुत अच्छी है। इसका उपयोग प्रतिरक्षा में सुधार के लिए भी किया जाता है क्योंकि इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसके खांसी से राहत देने वाले गुण बलगम को बाहर निकालने में आपकी मदद करके वायुमार्ग को साफ करने में मदद करते हैं।
इस प्राकृतिक स्वीटनर में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। यह गले को कोट करता है और जलन को कम करता है। इस घटक के कई लाभ हैं और यह व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जिससे इसे एक्सेस करना आसान हो जाता है।
वासाका एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग सभी प्रकार की खांसी जैसे काली खांसी, धूम्रपान करने वालों की खांसी और सूखी खांसी को शांत करने के लिए किया जाता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक्सपेक्टोरेंट गुणों से भरपूर, खांसी और सर्दी के लक्षणों के इलाज में इस जड़ी बूटी का बहुत महत्व है। यह छाती और नाक के बलगम से भी राहत दिलाती है।
खांसी और गले में खराश के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक पुराना उपाय, यष्टिमधु के फायदे बहुत हैं। इसके आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन का उपयोग श्वसन समस्याओं, त्वचा संक्रमण और यकृत विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। यह खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों से राहत प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
यह ‘भारतीय नाइटशेड’ के रूप में जानी जाने वाली एक महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटी है। इसमें तीखी गंध और कड़वा स्वाद होता है। इसमें कफ निकालने वाले गुण होने के कारण यह खांसी जैसी सांस की समस्याओं के प्रबंधन के लिए फायदेमंद है। यह श्वसन मार्ग से बलगम को मुक्त करने में मदद करता है, अस्थमा के लक्षणों को ठीक करता है और सांस फूलने से राहत देता है।
सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक, आयुर्वेद अभी भी दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रचलित है। आयुर्वेद के साथ, घर की सामग्री आपकी खांसी को मैनेज करने और आपके स्वास्थ्य को नियंत्रण में रखने में आपकी मदद कर सकती है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंयह भी पढ़ें : प्रोटीन, स्वाद और पोषण का पॉवरहाउस है पिस्ता