आयुर्वेद के अनुसार, अच्छा स्वास्थ्य शरीर, मन और आत्मा का संपूर्ण स्वास्थ्य है। आयुर्वेद में भी अच्छे खानपान की सलाह दी गई है और खाने में ताजे फल और सब्जियां, असंसाधित अनाज, अंकुरित अनाज, नट, बीज, दही, आदि में शामिल करने चाहिए। नेचुरल फूडस में मिलने में विटामिन और मिनरल हमारे इम्यून सिस्टम के लिए भी बहुत आवश्यक हैं। ये हमें बीमारी, कमजोरी और समय से पहले बूढ़ा होने से बचाते हैं।
बेहतर खानपान पाचन तंत्र टॉक्सिन और अपशिष्टों से साफ रखता है। कब्ज और टॉक्सिन और अपशिष्ट जमा होने का प्रभाव स्किन पर नजर आता है, जिससे स्किन बेजान-सुस्त, ब्लैकहेड्स और फोड़े- फुंसी हो जाते हैं। धमनियों और नसों को बंद होने से बचाने के लिए आहार में फैट कम लेना चाहिए। कम फैट वाला खाना खाने से वजन नियंत्रित रहता है।
खाने में मिनरल अधिक मात्रा में लेने चाहिए, जिससे हमें एनर्जी मिलती है और ताकत बनी रहती है। यह स्किन और बालों के लिए भी बेहतर रहता है।
खाने में नमक कम लेना चाहिए। अतिरिक्त नमक से शरीर में तरल पदार्थ बना रहता है, जिससे सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। कभी-कभी, इससे चेहरे और आंखों के आसपास सूजन दिखाई देनी लगती है। संकुचित त्वचा के लिए, कम नमक खाने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेद में ताजा, आर्गेनिक फूडस खाने की सलाह दी जाती है। ताकि शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सके। वे न केवल अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, बल्कि त्वचा को भी चमकदार बनाते हैं। अच्छा स्वास्थ्य और ताकत की भावना से मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है, शरीर को तनाव से निपटने में सक्षम बनाता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में उत्साह बना रहता है।
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आयुर्वेद कहता है कि थोड़ा-थोड़ा खाना खाएं, खाने को अच्छी तरह से चबाकर खाएं, खाना खाते समय गर्म पानी पिएं। खाने के बाद अदरक की चाय पिएं।
जड़ी-बूटियों और मसालों से बनी हर्बल चाय कई फायदों के कारण आयुर्वेद का अभिन्न अंग रही है। इससे पाचन ठीक रहता है, शरीर को गर्म रखती है, नसों को शांत करती है, वजन घटाती है आदि। आयुर्वेदिक चाय में दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, इलाइची, सौंफ आदि मसाले होते हैं।
मसाले वास्तव में औषधीय जड़ी-बूटियां हैं और खाद्य पदार्थों के गुणों को बदलने, उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने और पाचन में सहायता करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
आयुर्वेद में, अदरक को “सार्वभौमिक उपचार” के रूप में जाना जाता है। इसके बहुत सारे फायदे हैं। अदरक को पानी में उबालकर अदरक की चाय के रूप में लिया जा सकता है। पाचन के लिए भोजन के बाद अदरक की चाय की सलाह दी जाती है और खांसी व सर्दी में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंइसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं और यह त्वचा को दानों, मुंहासों और अन्य रोगों से बचाता है। चाय में मसाले भी मिलाए जा सकते हैं। जैसे इलायची, दालचीनी, अदरक, लेमन ग्रास, काली मिर्च, तुलसी आदि। सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए कई मसालों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आयुर्वेद से ही हम प्रकृति के करीब आ सकते हैं। जब भी हम प्रकृति से दूर गए हैं, हमने स्वास्थ्य और सुंदरता को खोया है। यहां तक कि जिस दुनिया में हम रहते हैं, उसे नष्ट किया है। मेरा विश्वास है कि हर्बल उपचार की हमारी महान परंपरा से भारत के पास शेष दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। आज पूरा विश्व प्रकृति और आयुर्वेद जैसे सिस्टम को प्रबुद्ध निगाहों से देख रहा है।
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