सर्दियों में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन बढ़ जाता है। मेथी, पालक के साथ-साथ बथुआ सर्दियों में बहुत लाभदायक और लोकप्रिय होता है। बथुआ एक हरा साग है जिसका सेवन सर्दियों में बहुत लाभकारी है। बथुआ की खेती आलू के साथ ही होती है। इसके सेवन के भी कई तरीके हैं जैसे बथुआ के परांठे, बथुआ का रायता, बथुए की सब्जी इत्यादि।
बथुआ के पत्तों का सेवन उनके अमीनो एसिड की उच्च स्तर के लिए किया जाता है, जो कोशिका निर्माण और कोशिकाओं की मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है। अमीनो एसिड शरीर की मरम्मत के लिए बहुत फायदेमंद है।
बथुआ सर्दियों का हरा पत्तेदार साग है जो फाइबर का समृद्ध स्रोत है। पेट संबंधी सभी समस्याओं के लिए बथुआ बहुत फायदेमंद है।
सभी हरी सब्जियों की तरह, बथुआ कैलोरी में बहुत कम है और अगर कोई अपना वजन कम करना चाहता है, तो इसका सेवन किया जाना फायदेमंद साबित हो सकता है। यूएसडीए के आंकड़ों के अनुसार, 100 ग्राम बथुए में सिर्फ 43 कैलोरी होती है।
बथुआ कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन ए, सी और बी 6 से भरपूर होता है। ये सभी पोषक तत्व बथुआ को उल्लेखनीय रूप से पौष्टिक और सर्दियों में आवश्यक आहार बनाते हैं।
बथुए का रायता बनाने के लिए आपको चाहिए एक कप बथुआ, एक कप दही, स्वादानुसार नमक, भुना जीरा पाउडर, जीरा और एक चम्मच सरसों का तेल।
1. सबसे पहले बथुए को उबाल लें और मिक्सर में पीस कर पेस्ट बना लें।
2. फेंटे हुए दही में बथुए के पेस्ट को मिलाकर अच्छे से मिक्स करें। इसमें नमक और भुना जीरा पाउडर मिलाएं।
3. एक चमचे में सरसों का तेल गर्म करें और उसमें जीरा डालें। इस छौंक को रायते में डालें। आपका रायता तैयार है।
1. कब्ज: बाथुआ पाचन तंत्र को ताकत देता है और कब्ज दूर करता है। बथुए के सेवन से पेट सम्बंधी सभी समस्याओं से निजात मिलती है।
2. पथरी: किडनी के स्वास्थ्य के लिए बथुआ बहुत फायदेमंद है। अगर आपको किडनी में पथरी है तो बथुए के रस का नियमित सेवन आपके लिये बहुत लाभदायक होता है।
3. अनियमित पीरियड्स: आयरन से भरपूर बथुआ अनियमित मासिक धर्म को सही करने का सबसे कारगर उपाय है।