बारिश में आपको हाथी के कान या दिल के आकार जैसे अरबी या टारो के पत्ते सभी जगह खूब दिखने लगते हैं। यहां तक कि सुपर मार्केट में भी ये उपलब्ध होते हैं। मां कहती है कि इस मौसम में अरबी के पत्तों को जरूर खाना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। अरबी के पत्तों से कई तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। पर ये न सिर्फ टेस्टी होते हैं, बल्कि आपकी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद (taro leaves benefits) हैं।
मेरी मम्मी का मानना है कि अरबी के पत्ते पोषण का भंडार हैं। आहार विशेषज्ञ भी उनकी इस बात का समर्थन करते हैं। वे मानते हैं कि एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों वाले अरबी के पत्तों में फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन बी 6 और फोलेट की मात्रा भरपूर होती है। मैग्नीशियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक और कॉपर भी इसमें मौजूद होते हैं।
इन पत्तों में हाई लेवल के एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो हार्मफुल फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद कर सकते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर में इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देते हैं, जो ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, कैंसर और हार्ट डिजीज के कारक बनते हैं।
अरबी के पत्ते में दो कॉमन एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड विटामिन सी और पॉलीफेनोल्स मौजूद होते हैं, जो रोगों की रोकथाम में मददगार होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाते हैं।
अरबी के पत्तों में लो कार्ब और लो फैट कंटेंट होने के कारण उनमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत कम होती है। इससे वेट लॉस और ब्लड शुगर दोनों को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। यही वजह है कि मानसून की बैलेंस डाइट में अरबी के पत्तों को शामिल किया जा सकता है।
यदि 150 ग्राम पकी हुई अरबी की पत्तियों को सेवन किया जाए, तो 3.2 ग्राम फाइबर मिलेगा। इनमें पानी की मात्रा (92.4%) भी अधिक होती है। इसकी वजह से अरबी के पत्ते खाने से आपको पेट भरा हुआ महसूस होगा। इसलिए अपनी वेट लॉस डाइट में अरबी के पत्तों को जरूर शामिल करना चाहिए।
अरबी के पत्तों में विटामिन ए और बीटा कैरोटिन पाया जाता है, जो आंखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखता है।
पोषक तत्वों से भरपूर साग-सब्जी हृदय को स्वस्थ रखती हैं। रिसर्च के आधार पर यदि नियमित तौर पर गहरे रंग के पत्तेदार साग का सेवन किया जाए, तो हृदय रोग के जोखिम को 15.8% तक कम किया जा सकता है। अरबी के पत्ते भी गहरे हरे रंग के होने के कारण फायदमेमेंद होते हैं। अरबी के पत्ते नाइट्रेट्स के भी अच्छे स्रोत हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हैं।
अरबी की पत्तियों में ऑक्सलेट की मात्रा अधिक होती है, जो पौधों में नेचुरल कंपाउंड के तौर पर पाए जाते हैं। किडनी स्टोंस वाले लोगों को ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थों से बचना जरूरी होता है। ऑक्सलेट स्टोंस के फाॅर्मेशन में योगदान करते हैं। कच्चे पत्ते टॉक्सिक होते हैं। बड़े पत्तों की अपेक्षा छोटे पत्तों में ऑक्सालेट की मात्रा अधिक होती है। हालांकि कच्चे होने पर वे दोनों जहरीले होते हैं।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कच्ची पत्तियों को संभालते समय कुछ लोगों को खुजली का अनुभव होता है। इसलिए दस्ताने पहनकर पत्तियों को छूना चाहिए।
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कस्टमाइज़ करेंअरबी के पत्तों में जहरीले ऑक्सलेट्स को निष्क्रिय करने के लिए उन्हें नरम होने तक पकाया जाना चाहिए। इसे कुछ मिनट तक उबाला जा सकता है।
अरबी के पत्तों को यदि रात भर पानी में डुबोकर रखा जाता है, तो खुजली नहीं होती है।
अरबी के पत्तों से बना पतोड़ तो आपने खूब खाया होगा। यदि आपको झटपट इसकी एक रेसिपी तैयार करनी है, तो अरबी पत्ता तरी को भी ट्राई कर सकती हैं।
250 ग्राम अरबी, एक बारीक कटी प्याज, एक टीस्पून अदरक लहसुन का पेस्ट, एक लाल मिर्च, दो हरी मिर्च, 2 टीस्पून सरसों का तेल, एक बारीक कटा टमाटर, तड़के के लिए1 टीस्पून राई, स्वादानुसार नमक।
अरबी के पत्तों को अच्छी तरह उबाल कर छान लें।
उबले पत्तों को अच्छी तरह काट लें।
एक पैन में तेल गर्म करें।
सरसों, सूखी लाल मिर्च और हरी मिर्च का तड़का लगाएं।
प्याज के थोड़ी देर भुन जाने पर अदरक लहसुन पेस्ट डाल दें।
भुनने पर स्वादानुसार नमक और टमाटर स्लाइसेज डाल दें।
भुन जाने पर अरबी के पत्तों को डालकर 1-2 मिनट तक चलाएं।
गर्म पानी डालकर थोड़ी देर चलाएं और फ्लेम ऑफ कर दें।
इस तरह तैयार हो गई अरबी पत्ता तरी सब्जी।जीरा राइस के साथ खाने में यह बेहद लजीज लगता है।
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