क्‍या सिलबट्टे पर पिसी चटनी का आपके स्‍वास्‍थ्‍य से कोई संबंध है? आइए पता करते हैं

हमारी दादी-नानी लेकर कुछ डायटीशियन तक कर रहीं हैं सिलबट्टे की सिफारिश, पर क्‍या ये वाकई उतना महत्‍वपूर्ण है!
सिलबट्टे पर पिसी चटनी का स्वाद ही अलग होता है. चित्र : शटरस्टॉक
सिलबट्टे पर पिसी चटनी का स्वाद ही अलग होता है. चित्र : शटरस्टॉक

नॉस्‍टेलजिया एक मानसिक स्थिति और मानवीय स्‍वभाव हैं। जब हम स्‍मृतियों में दाखिल होते हैं, तो उन चीजों को भी बहुत शिद्दत से याद करते हैं, जिनसे हम अपनी सुविधा के कारण आगे बढ़ आए होते हैं। ऐसा ही नॉस्‍टेलजिया हाथ से चलने वाले रसोई के पुराने उपकरणों के प्रत‍ि भी है। इन दिनों सोशल मीडिया पर सिलबट्टे की सिफारिश की जा रही है। पर हम हमेशा किसी भी बात को स्‍वास्‍थ्‍य के तर्क पर कसते हैं। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं क‍ि क्‍या वाकई सिलबट्टे का आपके स्‍वास्‍थ्‍य पर कोई असर पड़ता है।

यकीनन यादगार है सिल बट्टे का स्वाद

आधुनिक मशीनी युग में रसोई के बढ़ते उपकरणों नें भोजन बनाना बेहद आसान कर दिया है परंतु कभी – कभी ऐसा भी लगता है कि वो परंपरिक स्वाद अब खाने में नहीं रहा। आखिर ऐसा क्यों है? हाथ की बनी रोटी हो या सिल बट्टे की चटनी, लोग आज भी इनका स्वाद याद करते हैं।

मुझे आज भी याद है कि दादी हमेशा सिल बट्टे पर चटनी पीस कर खिलाती थीं, इसी तरह घर का मसाला भी हर रोज़ सिल बट्टे पर ही ताज़ा पीसा जाता था। लेकिन मेरे लिए या मेरी मम्‍मी के लिए ये कभी भी संभव नहीं हो पाया। हमारी ही तरह कई भारतीय घरों में शायद आपको आज भी सिल बट्टा किसी कोने में रखा हुआ मिल जाएगा, मगर प्रोफेशनल जरूरतों और भागदौड़ के बीच इसका इस्तेमाल कितना किया जाता होगा, इसका अंदाज़ा हम सभी लगा सकते हैं!

आज, इलैक्ट्रिक ब्लैंडर, मिक्सर, ग्राइंडर और फूड प्रोसेसर के आगमन के साथ, खाना तो जल्दी बन जाता है। मगर हम उस स्वाद को आज भी मिस करते हैं।

सिलबट्टे की चटनी स्‍वाद ही नहीं सेहत के लिए भी फायदेमंद है। चित्र: इंटरनेट

सिल बट्टे के बारे में क्‍या है लोगों की राय

इंस्‍टाग्राम पर बकायदा सिलबट्टा नाम से एक पेज है, जिसमें लोग इसके स्‍वाद को याद करते हैं। इसका समर्थन करने वाले मानते हैं क‍ि सिल बट्टे पर चटनी या मसाले पीसने से उनका प्राकृतिक तेल बाहर आता है। साथ ही, सिल बट्टे पर सब्जी के एक-एक कण पर दबाव ज्यादा पड़ता है, जिससे सुगंध और स्वाद दोनों बढ़ता है।

वहीँ मिक्सी में चटनी या मसाले पीसने से कोई दबाव नहीं पड़ता है, सिर्फ गर्मी और तेज़ ब्लेड की मदद से सामग्री बारीक हो जाती है।

इससे आपकी भूख बढ़ती है

सिल बट्टे पर मसाला पीसने से मसालों की खुशबू धीरे-धीरे फैलती है। यह खुशबू आपकी नाक के ज़रिए आपके मस्तिष्क तक पहुंचती है और आपको इसके प्रति आकर्षित करती है। इस तरह सिल बट्टे पर पिसे भोजन में आपकी रूचि भी बढ़ती है, जिससे आपकी भूख भी बढ़ती है।

प्राकृतिक तौर पर बना भोजन ज्यादा फायदेमंद होता है

सेलिब्रिटी डायटीशियन रुजुता दिवेकर भी इसकी सिफारिश करती हैं। वे मानती हैं क‍ि आहार सस्‍टेनेबल होना चाहिए और हमें अपने पूर्वजों के उपकरणों और आहार को अपनाना चाहिए। साथ ही वे इसे फि‍ट रहने का भी बढ़ि‍या माध्‍यम मानती हैं।

सिल बट्टे पर चटनी या कुछ भी पीसने में थोड़ी मेहनत लगती है, क्योंकि आपको बट्टे को खुद अपने हाथों से चलाना पड़ता है। सिल पर मसाला रख कर उसे बट्टे की मदद से पीसने में आपके हाथों की अच्छी खासी कसरत हो जाती है।

अगर आप सिल बट्टेे पर चटनी बनाती हैं, तो बहुुत सारे विटामिन और खनिज आपको नेचुरल फॉर्म मेें मिलते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

पर क्‍या इस पर कोई वैज्ञानिक शोध है

तो जवाब है नहीं! दुर्भाग्‍य से इसकी सिफारिश करने वालों ने अभी तक इसके शोध पर ध्‍यान नहीं दिया है। सिर्फ भारत में ही नहीं दक्षिण अमेरिका में भी पारंपरिक रसोई के उपकरणों में सिल बट्टा शामिल रहा है। जिसे बेटन (Batan) और उना (Una) कहा जाता है। पर वहां भी अभी तक इसके स्‍वास्‍थ्‍य लाभों पर कोई शोध हमें नहीं मिलता। अगर आपको मिलता है, तो हमें जरूर बताएं। आखिर सेहत के लिए हमें खुद को अपडेट करना ही चाहिए।

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लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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