कभी थकान दूर करने के लिए, तो कभी नींद से बचने के लिए कॉफी या चाय का एक मग ही काफी है। एनर्जी ड्रिंक के रूप में प्रचलित कॉफी युवाओं की पहली पसंद है, फिर चाहे वो कोल्ड हो या हॉट। वहीं बहुत से लोग दिन में एक के बाद एक न जाने कितने कप चाय के पी लेते हैं। मगर ज्यादा मात्रा में कैफीन इनटेक स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का भी कारण बनने लगती है। ऊर्जा के स्त्रोत को सीमित करने के शरीर को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सकता है। जानते हैं कैफीन की ओवरडोज़ (caffeine overdose) किस प्रकार से है स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक।
इस बारे में डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि ब्रेन और हार्ट के लिए कैफीन नुकसानदायक है। इससे न्यूरालॉजिकल डिसऑर्डर और हृदय रोगों का खतरा रहता हैं। शरीर में टॉक्सिसिटी को बढ़ाने वाली कैफीन की मात्रा चाय और कॉफी में पाई जाती है। इससे काफी, दूध और चीनी में मसैजूद कैलोरीज़ बॉडी कंज्यूम करने लगते हैं, जो मोटापे का कारण बनने लगती है। इससे टेस्ट बड्स भी प्रभावित होते हैं। इसके अलावा ज्यादा कैफीन (caffeine) से शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के एक्जॉर्बशन को भी रोकती है।
अधिकतर लोग आलस्य और नींद को दूर करने के लिए कैफीन का नियमित सेवन करते हैं। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार कैफीन का सेवन करने से ब्रेन में केमिकल्स स्टीम्यूलेट होने लगते है। ऐसे में कैफीन (caffeine) की हाई डोज़ जिटरनेस और एंग्ज़ाइटी (anxiety) को बढ़ा देती है। इससे न्यूरोटॉक्सीसिटी का खतरा बना रहता है। शरीर को कॉफी पीने से नुकसान (side effects of coffee) झेलना पड़ता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैफीन (caffeine) का सेवन करने से नॉरएड्रेनालाईन और नॉरपेनेफ्रिन का रिलीज बढ़ने लगता है। इससे हृदय गति और ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ने लगता है। हृदय रोगों के खतरे से बचने के लिए कैफीन को मॉडरेट ढ़ंग से पीएं और रोज़ाना सेवन करने से बचें। इसके अलावा कैफीन रिच एनर्जी ड्रिंक (energy drink) न पीएं।
कैफीन (caffeine) एसिडिटी को ट्रिगर करता है। कैफीन इनटेक से एसोफेजियल स्फिंक्टर रिलैक्स हो जाता है, जो एसिडिटी का कारण बन जाता है। इससे पेट में एसिड तेज़ी से रिलीज़ होने लगता है, जिससे ये एसोफेगस में वापिस लौटने लगता है। रोज़ाना कैफीनयुक्त फूड और बैवरेजिज का सेवन करने से गैस्ट्रिक सिक्रीशन (gastric secretion) रिलीज़ होने लगता है। इससे अपच, ब्लोटिंग, पेट दर्द और कब्ज का सामना करना पड़ता है।
नियमित कैफीन (caffeine) के सेवन से प्रोसेस्ड फूड (processed food) के लिए क्रेविंग्स बढ़ने लगती हैं। इसके अलावा कॉफी और चाय में दूध, चीनी मिलाकर पीने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ स्टोर होने लगती हैं। लगातार इस प्रकार से सेवन करने से मोटोपे का सामना करना पड़ता है और ओवरइटिंग से भी दो चार होना पड़ता है।
कैफीन (caffeine) से ब्रेन एलर्ट होने लगता है, जिसका प्रभाव नींद की गुणवत्ता पर दिखने लगता है। इससे इंसोमनिया का खतरा बना रहता है और नींद नहीं आ पाती है। कैफीन मस्तिष्क में नींद को बढ़ावा देने वाले रिसेप्टर्स को अवरुद्ध करने का काम करती है जिसे एडेनोसाइन रिसेप्टर्स भी कहा जाता है।
डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि 20 से 200 ग्राम तक कैफीन (caffeine) का सेवन एक दिन में किया जा सकता है। अगर उससे अधिक कैफीन लेते हैं, तो उससे एंग्जाइटी, नर्वसनेस और ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं अमेरिकन अकेडमी और पीडियाटरिक्स के मुताबिक 18 साल की उम्र तक 100 ग्राम कैफीन का सेवन करना चाहिए।
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