एक कहावत अक्सर सुनने को मिलती है कि सुबह का नाश्ता राजा की तरह करें, और रात का खाना निर्धन की तरह खाओ। मगर लोग इससे पूरी तरह से उलट हैवी डिनर करने से परहेज नहीं करते हैं। दरअसल, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान के चलते रात के समय अधिकतर लोग ओवरइटिंग का शिकार होते है, जिससे शरीर में कैलोरीज़ और फैट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे वेटगेन के अलावा हृदय रोगों और डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ जाता है। क्या वाकई डिनर दिनभर की सबसे छोटी मील होनी चाहिए (eating small meals at night) । जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि दिन ढलने के साथ मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। इससे शरीर में मौजूद ग्लूकोज की मात्रा ऊर्जा की जगह शरीर में फैट के रूप में एकत्रित हो जाती है। कैलोरी स्टोरेज बढ़ने से वेटगेन के अलावा रक्त शर्करा का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही पाचन संबधी समस्याएं भी बढ़ जाती है।
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रायोनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की रिपोर्ट के अनुसार वे लोग जो शरीर में जमा कैलेरीज़ को बर्न करना चाहते है। उनके लिए हेल्दी ब्रेकफास्ट फायदेमंद साबित होता है। वहीं उन्हें दोपहर और रात के खाने में हल्की और छोटी मील्स लेनी चाहिए।
विले ऑनलाइन लाइब्रेरी के अनुसार जिन लोगों ने नाश्ते या दोपहर के भोजन में सबसे अधिक कैलोरी का सेवन किया उनका वजन रात के खाने में (eating small meals at night) सबसे अधिक कैलोरी का सेवन करने वालों की तुलना में कम पाया गया। सेल मेटाबॉलिज्म की रिपोर्ट के अनुसार जब लोग दिन की सबसे हैवी मील नाश्ते में लेते हैं, तो उन्हें दिन भर में कम भूख लगती है, जिसे वेटलॉस से जोड़कर देखा जा सकता है।
रात का खाना संतुनित और जल्दी खाने से इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति अधिक रिसपॉन्सिव हो जाती हैं। ये रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और इंसुलिन रज़िस्टेंस के जोखिम को कम करने में मदद करती है। इससे शुगर स्पाइक के जोखिम से भी बचा जा सकता है।
सोने के समय से पहले हैवी मील्स खाने से असुविधा या अपच का सामना करना पड़ता है, जिससे नींद में बाधा का सामना करना पड़ता है। एक्सपर्ट के अनुसार छोटी मील्स लेने से खाने को पचाने का समय मिल जाता है (eating small meals at night), जिससे छाती में जलन की समस्या से बचा जा सकता है। ऐसे में नींद की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए स्मॉल मील लें।
शाम को देर से ज्यादा मात्रा में खाना खाने से हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता हैं। दरअसल, स्पीइसी और ऑयली फूड खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बनी रहती है और अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। संतुलित आहार शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन को उचित बनाए रखने में मदद करता है।
सोने से पहले कम से कम दो घंटे का अंतराल होना चाहिए। बेहतर पाचन में मदद के लिए रात के खाने के बाद 20 मिनट की धीमी सैर भी कर सकते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन और कोर्टिसोल समेत सभी हार्मोन में बैलेंस बना रहता है।
रात में ज्यादा खाने वाले लोगों के शरीर में कैलेरी की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है। ऐसे में वजन कंट्रोल करने के लिए शाम के समय हल्का और जल्दी खाना खा लेना चाहिए। इससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है और वेटलॉस में सहायक साबित होती है।
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