क्या हम आज भी उस तरह ही व्रत रखते हैं, जिस तरह हमारी मां या नानी रखा करती थीं? जवाब है नहीं। व्रत का स्वरूप बदला है और बदलते स्वरूप की ही देन है वेट लॉस फास्टिंग। इसका ही एक रूप इंटरमिटेंट फास्टिंग भी है। जहां एक ओर वजन कम करना एक अच्छा लक्ष्य है। हमें जानना जरूरी है कि क्या वेट लॉस फास्टिंग असल मे आपको कोई फायदा दे रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस पारंपरिक रूप से व्रत रखा जाता था, वह हमारे शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद था?
आप व्रत या उपवास के बारे में क्या जानती हैं? शायद सिर्फ यही कि यह हमारे कल्चर का हिस्सा है। सेलेब्रिटी डायटीशियन रुजुता दिवाकर बताती हैं, “उपवास शब्द का संस्कृत में अर्थ है परम सत्य के करीब होना। इसे आप दूसरे शब्दों में आत्म निरीक्षण भी कह सकते हैं।
उपवास का अर्थ है यह समझना कि यह जो शरीर है वह नश्वर है। इस नश्वर शरीर को एक माध्यम की तरह उपयोग कर के हमें आत्मा को समझना है, शक्ति या ऊर्जा को समझना है जो कि अमर है। उपवास का अर्थ भूखा रहना नहीं है, बल्कि यह आध्यात्म पर केंद्रित है।”
वे बताती हैं, “उपवास या व्रत हमारी संस्कृति का हिस्सा है। यह एक जीवित संस्कृति है जो सदियों से चलती आयी है। उपवास का अर्थ खाना ना खाना या कुछ घण्टे भूखे रहना नहीं है, बल्कि कुछ खास भोजन जैसे फलाहार, दूध, कूट्टू के व्यंजन, साबूदाना के व्यंजनों को सेलिब्रेट करना है।”
यह एक व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि पूरे समाज को जोड़ता है, साथ लाता है। व्रत में हम सिर्फ सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं जिससे हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
“चाहें आप इसे उपवास के नाम से जानें, पर्युषण के नाम से जानें या रमजान कहें, इसका उद्देश्य सबको एक परम शक्ति की ओर मोड़ना और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ही होता है। इस दौरान शरीर अपने आप ही डीटॉक्स हो जाता है। इसे सिर्फ वेट लॉस के उद्देश्य से नहीं किया जाता”, मानती हैं रुजुता।
वेट लॉस फास्टिंग यानी वजन घटाने के लिए व्रत रखना। यह एक नया ट्रेंड है जो पिछले दशक में ही प्रचलित हुआ है। इसका एकमात्र उद्देश्य वजन घटाना ही है। जहां एक ओर वजन कम करना या फिटनेस कोई गलत उद्देश्य नहीं है, लेकिन वेट लॉस फास्टिंग का तरीका आपको फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
“वेट लॉस फास्टिंग या इंटरमिटेंट फास्टिंग में आप 16 से 20 घण्टे भूखे रहते हैं। इसका कोई अंत नहीं है। कई बार तो कई महीनों तक फास्टिंग करने के बाद भी मनचाहे परिणाम नहीं मिलते”, बताती हैं रुजुता।
वेट लॉस के लिए एक्सरसाइज करें और अच्छी स्वस्थ डाइट अपनाएं। भूखा रहना वजन कम करने का सही तरीका नहीं है। रुजुता मानती हैं कि वेट लॉस फास्टिंग सिर्फ सोशल मीडिया का शोर शराबा है और इसके फायदे से ज्यादा नुकसान हैं।
“घण्टों भूखे रहने से आपका लीन बॉडी मास खत्म होता है, जबकि ना तो आप फिट होते हैं न फैट बर्न होता है”, कहती हैं रुजुता दिवाकर।
1.वेट लॉस फास्टिंग फैट को बर्न नहीं करती। बल्कि भूखे रहने के कारण ऊर्जा और पोषण के लिए मांसपेशियां ब्रेक डाउन होती हैं। इससे आपका मसल्स मास कम होता है फैट नहीं।
2.आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं। यही नहीं, आपको हर वक्त थकान महसूस होती है।
3.इसका कोई मानसिक या आध्यात्मिक लाभ नहीं है। बजाय इसके अगर पारंपरिक तरीके से व्रत रखा जाए तो वह शरीर के लिए अधिक फायदेमंद है।
वेट लॉस के ट्रेंड के पीछे ना भागें। अपने स्वास्थ्य के लिए सही रास्ता चुनें। हमारी संस्कृति में स्वस्थ रहने के सभी तरीके मौजूद हैं, जो सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी आपको स्वस्थ बनाएंगे।
इस नवरात्र, व्रत के सही रूप को जानें और चुनें।