हम सभी ने एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल के बहुत सारे लाभ सुने होंगे। और हो भी क्यों न, सभी इसकी तारीफ जो कर रहे हैं। हेल्थ के मामले ये वाकई जैकपॉट है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए जरूरी एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है।
जिसे पॉलीफेनोल और मोनोअनसैचुरेटेड फैट कहा जाता है। ये हमें बैड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने और गुड’ एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मददगार है। तो क्या हम इसे हर तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं?
खैर, जवाब है नहीं ! यहां हैं वे 4 कारण जिनकी वजह से हर चीज में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना हेल्दी नहीं होगा। आइए जानते हैं क्यों-
फेनोलिक यौगिक एंटीऑक्सिडेंट का एक पावरहाउस हैं। हालांकि ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पॉलीफेनॉल्स हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। पर पकाने के दौरान ये दुष्प्रभाव छोड़ने लगते हैं।
अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जैतून का तेल में पाए जानेे वाले एहाइड्रॉक्सीटीरोसोल या ल्यूटोलिन जैसे फिनोल और पॉलीफेनोल हीट में अस्थिर हो जाते हैं। और तेज़ी से धुएं में बदलने लगते हैंं।
इसका स्मोक लेवल कम है। जिससे यह हेल्दी यौगिकों को खोने लगता है और हार्ट के लिए नुकसानदायक कंपाउड्स का निर्माण करने लगता है। तो, फ्रेंच फ्राइज़ बनाने के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
जैतून का तेल ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है। ओमेगा 3 फैटी एसिड क्या हैं? अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, ये “पूरे शरीर में मौजूद टिश्यू और सेल्स के निर्माण में जरूरी कंपोनेंट हैं। खासतौर से रेटिना, ब्रेन और स्पर्म में पाए जाते हैं।”
शोध में आगे कहा गया है कि फैटी एसिड गर्मी के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं, जैतून के तेल के गरम होने पर ये आवश्यक एसिड नष्ट हो जाते हैं। तो, जैतून का तेल गर्म करना एक समझदारी भरा विकल्प तो नहीं ही है। क्योंकि गर्म होने पर इसमें मौजूद हेल्दी कंपोनेंट टूटने लगते हैं।
किसी भी चीज में जब ऑलिव ऑयल को डाला जाता है तो यह काफी अच्छा लगता है। वास्तव में जैतून का तेल कम तापमान पर ही बेहतर रिजल्ट देता है।
जैतून के तेल को जब हाई टेंपरेचर पर गर्म किया जाता है तब उसमें से विषाक्त धुआं निकलने लगता है। जिसमें खाना पकाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस संदर्भ में हुई रिसर्च में सामने आया है कि स्मोक लेवल से ज्यादा गर्म होने पर ग्लिसरॉल कंपोनेंट्स एक्रोलीन में परिवर्तित हो जाते हैं। इसकी अधिकता बहुत सारे स्वास्थ्य जोखिमों को साथ लेकर आती है। सबसे खराब बात, कि आपको यह ध्यान ही नहीं रहता कि आप कितने जहरीले धुएं में सांस ले रहीं हैं, जब आप इसे फ्राय करने में इस्तेमाल कर रहीं हैं।
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कस्टमाइज़ करेंकुछ लोगों ने इसे अन्य तेलों के साथ मिलाकर इसकी शुद्धता को कम किया है। कई ब्रांडों ने सोयाबीन तेल, कैनोला ऑयल, हेज़लनट ऑयल, और निम्न श्रेणी के जैतून के तेल को इसमें मिलाकर बेचना शुरू किया है। यानी महंगा तेल खरीदने का मतलब हमेशा शुद्ध तेल खरीदना नहीं होता।
आप जानकर हैरान हो जाएंगी, 2011 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जैतून के तेल के 5 सबसे अच्छे ब्रांड के बिक रहे 73% तेल उन मानकों पर खरे नहीं पाए गए जो ऑलिव ऑयल की शुद्धता के लिए यूरोपीय नियामकों द्वारा एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल के लिए तय किए गए हैं।
वे वास्तव में सोया, मक्का जैसे अन्य वनस्पति तेलों या हेज़लनट, या कनोला ऑयल जैसे तेलों की मिलावट इसमें करते हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया कि एडल्ट्रेटिड ओलिव ऑयल में प्रोसेस्ड वेजीटेबल ऑयल भी मिलाए गए हैं। यह तभी पता चल सकता है जब आप अपने एक्स्ट्रा वर्जिन कुकिंग ऑयल को टेस्ट करें।
जैतून का तेल एक शानदार हेल्दी ऑयल है, लेकिन आपको इसके साथ खाना पकाने से बचना चाहिए। उबली हुई सब्जियों, सूप या रोटी पर इसे इस्तेमाल कर दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है।