कीटो डाइट अपनाना चाहती हैं, तो पहले कीटो से जुड़ी इन समस्याओं को भी जान लें

कीटो डाइट से वेट लॉस के गुणगान तो आपने ज़रूर सुने होंगे, लेकिन यहां सब कुछ उतना अच्छा भी नहीं है! कीटो डाइट की इन ख़ामियों को नज़रन्दाज़ नहीं किया जा सकता।
कीटो डाइट बहुत फेमस है, लेकिन जरूरी नहीं कि ये सभी को सूट करे। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 10 Dec 2020, 12:57 pm IST
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आजकल कीटो डाइट जिम लवर्स के बीच काफी प्रचलित है, लेकिन असल में कीटोजेनिक डाइट एपिलेप्सी के मरीजों के लिए बनाई गई थी। लेकिन अपनी वेट लॉस एफिशिएंसी के कारण यह सेलेब्रिटीज़ के बीच काफी पॉपुलर हो गयी। हुमा कुरैशी और आलिया भट्ट जैसे कई सेलेब्रिटीज़ कीटो डाइट को फॉलो करते हैं और बढ़ चढ़कर इसका प्रोमोशन भी करते हैं।

इतना ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी कीटो डाइट प्लान की लोकप्रियता कम नहीं है। किम कर्दाशियां से लेकर हैली बैरी तक कीटो डाइट को फॉलो करते हैं।

क्या है कीटो डाइट?

कीटोजेनिक डाइट एक लो कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट डाइट है। कार्बोहाइड्रेट ना होने के कारण ब्लड में शुगर लेवल कम हो जाता है और एनर्जी के लिए बॉडी को फैट बर्न करना पड़ता है। इस तरह बॉडी का एक्सेस फैट बर्न होता है और वेट लॉस भी होता है। एक हेल्थ एंड फ़िटनेस एप्प ‘हैल्दिफ़ाई मी’ के सर्वे के अनुसार कीटो डाइट 2019 में इंडिया में फ़िटनेस और वेट लॉस के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित रही।

क्या आप भी लोगों से कीटो डाइट प्लान की तारीफ़ सुनकर कीटो ट्राय करना चाहते हैं, तो रुकिए और इन बातों पर भी गौर करिए।

1. कीटो फ़्लू

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के ब्लॉग के अनुसार कीटो फ्लू इस डाइट का सबसे बड़ा ड्राबैक है। शोधकर्ताओं के अनुसार कीटो फ्लू यह डाइट को शुरू करने के 2 से 7 दिन के बीच होता है। जिसमें सर दर्द, थकान, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, ठीक से सो ना पाना और कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्याएं होती हैं।

कीटो डाइट से चिड़चिड़ापन और नींद न आने जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

इतना ही नहीं यह डाइट आपको डीहाइड्रेट भी कर देती है, इसीलिए इसे फॉलो करते वक्त खूब सारा पानी पीने की सलाह दी जाती है।

2. कीटो डाइट में फाइबर की कमी

कीटो और एटकिन्स जैसी वेट लॉस डाइट्स फाइबर में कम होती हैं, जबकि फाइबर हमारी बॉडी के लिए बहुत ज़रूरी है। खाने में मौजूद फाइबर हमारे पेट के बैक्टीरिया के लिए भोजन का काम करते हैं।

जर्नल साइंस ने 2018 की एक स्टडी में पाया कि इस फाइबर का इस्तेमाल करके बैक्टीरिया शॉर्ट-चेन फैटी एसिड्स बनाते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। यानी ज्यादा फाइबर वाली डाइट डायबिटीज को कंट्रोल रखती है। इतना ही नहीं बीएमजे जर्नल की रिसर्च में पाया गया कि फाइबर खाने से कॉलोनो-रेक्टल कैंसर की सम्भावना भी घटती हैं।
कीटो डाइट में फाइबर की कमी के कारण यह सभी समस्याएं पैदा होने का खतरा रहता है।

3. फिजिकल परफॉर्मेंस घटाता है कीटो

अगर आप एथलीट हैं या ज्यादा फिजिकल ऐक्टिविटी करते हैं तो कीटो डाइट फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है।

कीटो डाइट से एथलीट्स की परफॉर्मेस घट जाती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

जर्नल ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसिन एंड फिजिकल फ़िटनेस में प्रकाशित 2018 की एक स्टडी के अनुसार कीटो डाइट को शॉर्ट टर्म के लिए फ़ॉलो करने से एथलीट्स की परफॉर्मेंस पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है।

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4. कीटोएसिडोसिस

जर्नल ऑफ़ मेडिकल केस रिपोर्ट्स की स्टडी में पाया गया कि लो कार्ब और हाई फैट डाइट के कारण डियाबिटिक कीटो एसिडोसिस (DKA) की गम्भीर समस्या खड़ी हो जाती है। DKA में बॉडी फैट को तेजी से तोड़ने लगती है, और लिवर इस फैट को कीटोन्स में बदलता जाता है जो हमारे खून को एसिडिक बना देता है। यह स्थिति हमारी बॉडी के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक होती है।

5. कार्डियोवेस्कुलर बीमारी और कैंसर का ख़तरा बढ़ाती है कीटो डाइट

मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ लोड्ज़, पोलैण्ड की एक स्टडी में पाया गया कि कीटो जैसी लो-कार्ब डाइट से हृदय सम्बन्धी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। यही नहीं, कीटो डाइट से कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।

बैलेंस डाइट सबसे बेहतर है, वजन घटाने के लिए अपनी सेहत से खिलवाड़ ना करें। फिट रहने का सबसे अच्छा तरीका होता है एक्सरसाइज़ और हेल्दी डाइट। किसी भी स्ट्रिक्ट डाइट को फॉलो करने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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