क्‍या बरसात के मौसम में दूध-दही खाना छोड़ देना चाहिए? बड़ों की इस सलाह पर क्या कहता है विज्ञान

sardi jukaam mein dairy products ka sewan
जुकाम में दूध उत्पादों का सेवन। चित्र- शटरस्टॉक।
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 12:57 pm IST
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अक्सर आपने घर में देखा होगा कि दादी- नानी बरसात के मौसम में खासतौर से सावन में दूध और दूस से बने उत्‍पादों जैसे दही, छाछ वगैरह का सेवन करने से मना किया करती थीं। सावन के महीने की शुरुआत से ही दूध, दही, छाछ खाना बंद कर दिया जाता है। जबकि नाग पंचमी पर विशेष तौर से खीर बनाई और खिलाई जाती है।

हम इस पर अकसर कन्‍फ्यूज हो जाते हैं, कि भई क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं!  तो इस कन्‍फ्यूजन को दूर करने के लिए हमने साइंस का सहारा लिया। हमने यह जानने की कोशिश की कि बरसात के मौसम का हमारी सेहत और हमारी डाइट से आखिर क्‍या लेना-देना है! आज यही हम आपके साथ शेयर करने वाले हैं।

मौसम में बदलाव के साथ यह जरूरी है कि आप अपनी डाइट में भी बदलाव करें। चित्र : रुजुता दिवेकर

क्या है इस मान्यता के पीछे का लॉजिक

सावन में हम अपनी रेगुलर डाइट में कई बदलाव करते हैं। जो हरी सब्जियां हम अन्य दिनों में खाने की सलाह दी जाती है, वही हरी पत्‍तेदार सब्जियां इन दिनों अवॉइड करने को कहा जाता है। इसका सीधा सा कारण है कि यह मौसम बहुत से कीट-पतंगों का ब्रीडिंग सीजन होता है। इस दौरान इन हरी पत्‍तेदार सब्जियों में भी बहुत ज्‍यादा कीड़े होने लगते हैं। इनसे बचने के लिए इस मौसम में हरी पत्‍तेदार सब्जियां खाने से बचने की सलाह दी जाती है।

पर दूध-दही छोड़ने का लॉजिक क्‍या है

दरसल इसके पीछे का लॉजिक यह है कि पुराने समय में गाय-भैंस चरने के लिए खुली छोड़ दी जाती थी। बारिश के समय में मौसमी पौधे और घास फूस उग जाते थे, जिन्हें गाय भैंस खा सकती थीं। किसी भी पशुपालक के लिए इतना ध्यान रखना सम्भव नहीं था कि उसके जानवर क्या खा रहे हैं। कई बार जंगली घास खाने से दूध में अजीब महक या स्वाद आ जाता था। उस समय दूध संभाल कर रखने के लिए फ्रिज भी नहीं हुआ करते थे। जिसके कारण दूध जल्दी फट जाता था।

दूध पीकर बच्चों को कोई इन्फेक्शन न हो जाए, इसलिए बड़े-बुजुर्ग दूध का सेवन करने से मना करते थे।

सावन में नहीं खाना चाहिए दूध दही, बड़ों की इस सलाह पर क्या कहता है साइंस। चित्र: शटरस्‍टॉक

मॉडर्न समय में दूध से परहेज करें या नहीं?

आज के समय में सभी पैकेट बन्द दूध खरीदते हैं। इतना ही नहीं, पशुपालन भी पूरी तरह से साइंटिफिक हो गया है। डेरी फार्म्स में गाय क्या खा रहीं हैं इसका ख़ास ख्‍याल रखा जाता है। पैकेट में मिलने वाला दूध भी पास्चराइज़ड होता है और उसमें इन्फेक्शन के चान्सेस ना के बराबर ही हैं।
इसलिए आज के समय में सावन में दूध, दही खाने में कोई हर्ज़ नहीं है, मगर हां कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानी ज़रूर बरतनी चाहिए।

इन बातों का रखें खास ध्यान

1. दूध पीने में इन्फेक्शन का कोई खतरा नहीं, लेकिन इस मौसम में ठंडा दूध आपको बीमार कर सकता है। सावन में दूध पीने का सबसे सही तरीका है दूध को गर्म करके पीना। यह हम नहीं कह रहे, मुंबई बेस्ड हेल्थ एंड फ़ूड एक्सपर्ट नीता लाम्बा कह रहीं हैं। नीता मानसून में गर्म दूध ही पीने की सलाह देती हैं। गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम से भी बचे रहेंगे और इम्यूनिटी भी बूस्‍ट होगी।

2. दही और छाछ शाम के वक्त खाने से बचें। दिन में खाने के साथ ही दही लेना चाहिए। जानी-मानी माईक्रोबायोटिक हेल्थ कोच शिल्पा अरोड़ा कहती हैं कि ठंडे मौसम में दही को अवॉइड करना चाहिए। लेकिन अगर आप दही पसन्द करती हैं और नहीं छोड़ना चाहती तो दही में काली मिर्च और काला नमक मिलाकर खा सकती हैं।

3. गला खराब हो तो दही बिल्कुल ना खाएं। अगर आपको साइनस की समस्या रहती है तो भी दही खाने से बचना चाहिए।

अब जब हमने आपके सभी डाउट क्लियर कर दिए हैं, तो सावन में जमकर मस्ती करें और स्वस्थ रहें। और अगली बार जब कोई आपको सावन में दूध पीने से रोके, तो उन्हें सही लॉजिक भी ज़रूर समझाएं।

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पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते। ...और पढ़ें

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