शिल्पा शेट्टी ने अपनाया वीगन लाइफस्टाइल, जानिए क्या हैं वीगन डाइट के फायदे

वीगन लाइफस्टाइल पिछले कुछ वर्षों में काफी पॉपुलर हुआ है, यह पर्यावरण के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। आइए जानते हैं वीगनिज़्कम की एबीसीडी।
वीगन डाइट प्‍लान में आप सिर्फ प्‍लांट बेस्‍ड उत्‍पादों का उपयोग करते हैं। चित्र: Insta/shilpashetty
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 12:59 pm IST
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शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने पिछले दिनों अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट की, जिसमें शिल्पा अपने बेटे विहान के साथ अपने बगीचे में बंद गोभी और लौकियां तोड़ रहीं थी। इस वीडियो के साथ शिल्पा ने कैप्शन में बताया कि वह नॉनवेज छोड़कर वीगन लाइफस्टाइल को अपना रहीं हैं।

शिल्पा ने अपनी पोस्ट में लिखा,”मैं वीगन लाइफस्टाइल को काफी समय से अपनाना चाहती थी, और फाइनली मैंने यह निर्णय ले लिया। योग कई वर्षों से मेरे जीवन का हिस्सा रहा है, मगर मुझे हमेशा एक कमी महसूस होती रही। वीगनिज़्म अपनाने के बाद वह कमी पूरी हो गयी है। मैं बचपन से नॉनवेज काफी पसंद करती आई हूं।

 

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Ahh! My ultimate dream, to grow my own, but for now… I have something to share. Since I’ve shared many milestones here, this is something… that’s a very personal choice, a hard decision for me; seemed impossible at one time, but it felt like a ‘calling’ of sorts. The shift happened gradually and NOW, I have accepted “vegetarianism” completely. Primarily, because I wanted to reduce my carbon footprint in the environment. Over the years, I’ve realised that cultivating livestock for food, has not only destroyed forests but also been the largest sources of carbon dioxide, methane, and nitrous-oxide emissions. These are majorly responsible for the climate change our planet is experiencing. Also, following a vegetarian diet is not only beneficial for animals, but also can actually protect us from heart disease, diabetes, obesity, can improve & also reverse cardiovascular health, and some major diseases. It’s the best change for OUR health and the health of the PLANET. So, to give back to nature as best as I can, here’s a choice I’ve made for myself. Given my roots (Mangalorean), our diet always comprised of certain elements, meals would often feel incomplete without fish/ chicken as they became habits, then becoming an addiction. But ever since I adopted Yoga as a way of life, I always felt incomplete. I needed to step up… 45 years into this journey of life, and I’ve finally made the switch. In the past, being a hardcore non-vegetarian, even my YouTube channel has a lot of non-vegetarian recipes! I WON’T be deleting any of those, as they have been shot but going forward I WILL be focusing mainly on the vegetarian recipes. You all are and have been my extended family & my well-wishers for so many years, hence keeping you posted, about this important step. Every CHOICE has a CONSEQUENCE, make sure you make the right one ? With Gratitude, Shilpa Shetty Kundra ❤️??? . . . . #SwasthRahoMastRaho #vegetarian #gratitude #health #planet #change #choice #eatclean #mondaymotivation

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मेरे यूट्यूब चैनल पर भी कई नॉनवेज रेसिपी मौजूद हैं। मैं उन वीडियो को डिलीट नहीं करूंगी क्योंकि वह मेरी ज़िंदगी का एक हिस्सा रहा है। मगर आगे के लिए मैंने खुद को बदल लिया है और मैं खुश हूं। मैं अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करना चाहती हूं।”

क्या है वीगन लाइफस्टाइल?

वीगन लाइफस्टाइल का अर्थ है अपनी जीवनशैली से सभी प्रकार के एनिमल प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल को खत्म कर देना। यह केवल खानपान तक ही लिमिटेड नहीं है। वीगन लाइफस्टा इल अपनाने पर आप मांस, अंडे के साथ-साथ डेरी प्रोडक्ट्स, एनिमल स्किन के बने कपड़े, जूते, बैग इत्यादि सब त्याग देते हैं।

यह आपकी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी ज्‍यादा फायदेमंद है। चित्र: शटरस्‍टॉक

इस लाइफस्टाइल के पीछे कई कारण हैं, जिनमें एनिमल क्रुएलिटी को रोकना और कार्बन फुटप्रिंट को कम करना मुख्य रूप से प्रचलित हैं।

दरसल, पश्चिमी देशों में नॉनवेज रोज़ाना भोजन का एक बड़ा अंग होता है, और उनका नॉनवेज कंसम्पशन काफी अधिक है। 2010 में संयुक्तक राष्ट्रर की एक रिपोर्ट के अनुसार “जिस दर से मांसाहार बढ़ रहा है, आने वाले समय में हमारे नेचुरल रिसोर्सेज पर इसका बहुत दुष्प्रभाव पड़ेगा।”

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लाइवस्टॉक फार्मिंग यानी पशुपालन में पूरे विश्व की 60% उपजाऊ जमीन का इस्तेमाल हो रहा है। जिसका प्रयोग खेती के लिए किया जा सकता है, जबकि इससे पैदा होने वाला भोजन खेती से पैदा होने वाले भोजन से काफी कम है।

इतना ही नहीं, इस तरह के एनिमल फार्म्स में पशुओं को बदतर स्थिति में रखा जाता है, जहां उन्हें ज़रूरत से ज्यादा खिलाया जाता है ताकि ज्यादा मांस मिल सके। इन पशुओं को छोटे-छोटे पिंजड़ों में कैद रखा जाता है। किसी पशु को भोजन के लिए मारने से ज्यादा बुरा है, उसके जीवन को इस प्रकार दयनीय बना देना।

अब ज्‍यादातर लोग वीगन डाइट को फॉलो कर रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

इन कई कारणों से लोगों ने वीगन लाइफस्टाइल को अपनाया है। विदेशों में कई सेलेब्रिटीज़ वीगानिज़्म को प्रमोट करते नज़र आते हैं।

वीगन क्यों?

आसान शब्दो में ऊर्जा का प्रभाव समझाएं तो पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत है सूर्य। लेकिन सूर्य की ऊर्जा से तो हम पेट नहीं भर सकते। सूर्य की इस ऊर्जा का 10% इस्तेमाल पेड़-पौधे करते हैं। जब हम इन पौधों को खाते हैं तो पौधों में मौजूद ऊर्जा का 10% हमें मिलता है। इसी प्रकार जो जानवर पौधों को खाते हैं, उन्हें भी 10% ऊर्जा मिलती है। जब हम इन जानवरों को खाते हैं, तो हमें जानवरों में मौजूद ऊर्जा का 10% ही मिलता है। यानी पौधों को खाने पर हमें ज्यादा ऊर्जा मिलती है, जानवरों के मुकाबले।

मामला सेहत का हो तो शाकाहार अपनाने में क्या बुराई है। चित्र : शटरस्टॉक

आसान शब्दों में समझें तो यदि 1000 जूल(ऊर्जा मापने की यूनिट) ऊर्जा सूरज की किरणों में है तो पौधों में उसका 10% यानी 100 जूल जाएगा। पौधे खाने से हमें 10 जूल ऊर्जा मिलेगी। उस पौधे को खाने वाली बकरी को भी 10 जूल ऊर्जा मिलेगी। जब हम इस बकरी को खाएंगे तो हमें केवल 1 जूल ऊर्जा मिलेगी। इस प्रकार आप देख सकते हैं कैसे पौधों को खाने पर हमें ज्यादा ऊर्जा मिलती है, जानवरों को खाने के मुकाबले।

आपको जानने चाहिए वीगन डाइट के फायदे

  1. इतना ही नहीं शाकाहार से कार्डिओवेस्क्युलर बीमारियां भी दूर रहती हैं।
  2.  इतना ही नहीं शाकाहार से कार्डिओवेस्क्युलर बीमारियां भी दूर रहती हैं।
  3. शाकाहार दिल को तंदुरुस्त रख कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।
  4. इतना ही नहीं वीगन डाइट से मोटापा भी दूर रहता है, क्योंकि इसमें फैट की मात्रा ना के बराबर होती है। 
  5. यह पचने में भी आसान होता है जिसके कारण पेट सम्बन्धी रोगों को भी यह दूर रखता है।
वीगन डाइट कार्डियोवस्‍कुलर डिसीज के जोखिम को कम करती हैै। चित्र: शटरस्‍टॉक

क्या हमें भी वीगन लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए?

भारत में शुरू से ही शाकाहार प्रमुख रहा है। देश के कई हिस्सों में मांसाहार भी प्रचलित है। मगर भारत में मांसाहार दैनिक आहार का हिस्सा नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मांसाहार पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। लेकिन यह निर्णय आपका अपना है।

चलते चलते 

भोजन बर्बाद बिल्कुल न करें। दुनिया की 14% आबादी भूख से मर रही है, ऐसे में आप जो भी खाएं, यह ज़रूर ध्यान रखें कि आने वाली जनरेशन के लिए एक बेहतर विश्व छोड़कर जाएं।
याद रखें, हमें यह जगत अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिला है, हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है।

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पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते। ...और पढ़ें

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