खाना हम सभी के जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, पर जीवन का एकमात्र उद्देश्य नहीं। अगर आप अपना वेट कंट्रोल कर स्वस्थ रहना चाहती हैं, तो यह जरूरी है कि आप भोजन करने के बेसिक नियमों को समझें। आयुर्वेद में इसे सहज ज्ञान युक्त भोजन (intuitive eating) का नाम दिया गया है। आप इसे माइंडफुल ईटिंग भी कह सकती हैं। जहां न सिर्फ भोजन का रंग, गंध और स्वाद महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ ही खाने की प्लेट के आकार का ध्यान रखना भी जरूरी है। आइए जानते हैं क्या है माइंडफुल ईटिंग और क्या हैं इसके बेसिक नियम।
माइंडफुल ईटिंग को आयुर्वेद में सहज ज्ञान युक्त भोजन (intuitive eating) कहा गया है। यह क्या है और इसका अभ्यास कैसे किया जाए, इस बारे में विस्तार से बता रहीं हैं जिंदल नेचर केयर इंस्टीट्यूट की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बबीना एनएम।
फिटनेस की राह पर चलना कोई आसान काम नहीं है। हर किसी को यह जानकारी अवश्य होनी चाहिए कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। रेस्ट्रिक्टेड डाइट और फैड डाइट स्थिति को और बदतर बना सकते हैं। इस तरह की डाइट अपनाने में समस्या घटने की बजाय और बढ़ जाती है। अध्ययनों से पता चला है कि गलत तरीके और गलत समय पर भोजन करने से समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तभी सहज ज्ञान युक्त भोजन (intuitive eating) की तस्वीर सामने आती है।
मनुष्य होने के नाते हमें भूख लगने पर खाना चाहिए और पेट भर जाने के बाद खाना नहीं खाना चाहिए। हालांकि यदि हम खाना खाने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध लगाते हैं, चाहे वह भावनात्मक हो या शारीरिक, तो वह खाने का आनंद छीन लेता है। यदि हम सहजता के साथ खाना खाते हैं, तो हम भावनात्मक संकेतों की बजाय भूख और तृप्ति मिलने तक खाते रहते हैं। इसमें किसी भी खाद्य पदार्थ को निषिद्ध नहीं माना जाता।
दूसरी ओर, माइंडफुल ईटिंग, माइंडफुलनेस की अवधारणा से उपजी है, जो वर्तमान क्षण में विचारों, भावनाओं और शारीरिक संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती है। जब कोई मन लगाकर खाता है यानी भोजन पर ध्यान केंद्रित करके खाता है, तो वह खाने की प्रक्रिया के दौरान सभी शारीरिक और भावनात्मक सेंस को संलग्न कर लेता है। यदि आप माइंडफुल ईटिंग करेंगी, तो तन और मन दोनों संतुष्ट हो पाएगा।
माइंडफुल ईटिंग से भोजन का स्वाद दोगूना हो जाता है और कई स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। इसका उद्देश्य भोजन के आनंद को बढ़ावा देना और खाने के माहौल को समझना है। यहां माइंडफुल ईटिंग से पहले कुछ बातों पर ध्यान देने को कहा गया है।
खाए जा रहे भोजन के रंग, गंध, स्वाद और बनावट पर ध्यान दें। यह भी जानें कि खाते समय कैसा महसूस होता है। इंद्रियों को पूरी तरह भोजन से जोड़ देने के लिए समय-समय पर रूक कर खाएं।
भोजन को अच्छी तरह से चबाने से मीलटाइम में अधिक समय लग पाएगा। इससे व्यक्ति भोजन के स्वाद का पूरी तरह से अनुभव ले पाएगा।
अपनी थाली में उतना ही भोजन डालें, जितना कि आपको जरूरत है। इससे न सिर्फ भोजन अधिक खाने से बचा जा सकेगा, बल्कि भोजन की बर्बादी को रोकने में भी मदद मिलेगी। एक व्यक्ति रात के खाने के लिए 9 इंच की प्लेट का उपयोग कर सकता है। प्लेट इससे अधिक बड़ी नहीं हो सकती है। यदि आप एक बार इसमें आवश्यक भोजन डाल लें और ध्यानपूर्वक खाएं, तो भोजन कभी बर्बाद नहीं होगा।
धीरे-धीरे खाने से व्यक्ति को खाने के बाद की संतुष्टि को समझने में मदद मिल सकती है। इससे भोजन का स्वाद भी पता चल पाएगा।
जो लोग भोजन पर ध्यान केंद्रित कर खाने की कोशिश करना चाहते हैं, उन्हें कुछ बातों पर ध्यान देना होगा।
भूख एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। शरीर को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यदि कोई शरीर के इस संकेत को अनदेखा करता है, तो वह भूख से अधिक खा सकता है, उसे खाने की क्रेविंग्स हो सकती है या बिन्ज ईटिंग का भी रिस्क रहता है। हमेशा अपने और भोजन के बीच एक मजबूत कड़ी बनाएं।
तुरंत वजन घटाने वाले किसी भी नुस्खे या आहार को न अपनाएं। फैड डाइट से कोई लाभ नहीं मिलता। जब आप माइंडफुल ईटिंग करेंगी, तो आपकी डाइट में शामिल कुछ भोजन आपके लिए सही मायने में काम करेंगे। इसी से आपको अपने फिटनेस लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
मनुष्य को वही खाना चाहिए, जो वह खाना चाहता है। कुछ खाद्य पदार्थों को खराब और कुछ को अच्छे के रूप में लेबल करना अच्छी बात नहीं है। यदि आप किसी भोजन की इच्छा होने के बावजूद खुद को उसे खाने से रोक रहीं हैं, तो न केवल आप किसी दूसरे भोजन को ज्यादा खा लेंगी, बल्कि ऐसा करके अपने स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।
एक्सरसाइज से न केवल एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है, बल्कि मूड भी ठीक होता है। इससे स्वास्थ्य और बॉडी इमेज भी सही होती है। जब आप नकारात्मक विचारों से जूझती हैं, तो उसका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। एक दिन में कितना वेट लॉस किया, इस पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, जीवंत और ऊर्जावान बनाए रखने वाली एक्सरसाइज करें।
जब भावनात्मक भूख (Emotional hunger) की बात आती है, तो यह भूख को पूरा करने की बजाय बेहतर महसूस करने/भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने का एक तरीका बन जाता है। शरीर को क्या चाहिए, इसकी बजाय वह कैसा महसूस करता है, इसके आधार पर खाने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। टहलना, ध्यान करना, जर्नलिंग करना या किसी मित्र को बुलाना जैसी आदतें भावनात्मक भूख को शांत कर सकती हैं।
ध्यान से खाने या माइंडफुल ईटिंग से न सिर्फ मन शांत होता है, बल्कि खुशी भी बढ़ सकती है। शरीर तो संतुष्ट होगा ही, इससे न सिर्फ कई पाचन संबंधी समस्याएं समाप्त होंगी, बल्कि आपका वजन भी नियंत्रित रहेगा।
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