दूध या दही, जानें किसे अपनी डाइट में शामिल करना आपके लिए बेहतर विकल्प है

दूध में कैसिइन, ग्लोब्युलिन और एल्ब्यूमिन तीन प्रोटीन मौजूद होते हैं। वे आपको लंबे समय तक तृप्त और पूर्ण रखने में मदद करते हैं। दही आंत के लिए अच्छे बैक्टीरिया का बेहतरीन स्रोत है। नियमित रूप से दही खाने से पाचन अच्छा रहता है।

chhach dahi se bhi zyada behtar hai
भले ही दही और योगर्ट देखने में एक जैसे लगते हों, मगर उनके स्वाद, बनाने के तरीके, फायदे और न्यूट्रिशन वैल्यू तक इनमें कई अंतर पाए जाते हैं। चित्र अडोबी स्टॉक
  • 120

दूध और दही दोनों कैलोरी के हिसाब से समान हैं। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंत को लाभकारी बैक्टीरिया प्रदान करते हैं, एक स्वस्थ आंत सीधे स्वस्थ पाचन से जुड़ा है। जामनगर की न्यूट्रिशनिस्ट अनिता जेना का भी मानना ​​है कि वजन घटाने के लिए दही, दूध से बेहतर है हालांकि दूध और दही में कैलोरी की मात्रा लगभग समान होती है लेकिन दही दूध के मुकाबले आपके पाचन तंत्र पर ज़्यादा जोर नहीं डालता। वयस्कों को स्किम्ड या कम वसा वाला दूध और स्किम्ड दूध से बना दही खाना चाहिए। बच्चों को पूर्ण वसा (full fat) वाला दूध और पूर्ण वसा वाले दूध से बना दही (full fat curd) खाना चाहिए।

पचने में आसान है दही 
न्यूट्रीशनिस्ट जेना कहती हैं, “दूध और दही वजन घटाने के लिए ही नहीं वजन बढ़ाने के लिए भी दही निश्चित रूप से एक स्वस्थ विकल्प है। दही पचाने में आसान होता है क्योंकि दही जमाने के दौरान प्रोटीन आंशिक रूप से विकृत हो जाता है।”

वजन घटाने ही नहीं बढाने में भी बेहतर है
अनिता कहती हैं कि दही और दूध दोनों वजन बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं।वजन बढ़ाने के लिए खाए जाने वाले आहार में भी दूध और दही दोनों का उपयोग किया जा सकता है। वजन बढ़ाने के लिए फुल क्रीम दूध और फुल क्रीम दही को शामिल किया जा सकता है।आप चाहें तो मीठी लस्सी, बनाना मिल्क शेक, बादाम ठंडाई के साथ दूध आदि बना सकते हैं। लेकिन दही इस काम में अच्छी इसलिए है क्योंकि दही आपके पाचन तंत्र को अपने प्रोबायोटिक्स की मदद से दुरुस्त रखती है ।

आहार में दूध या दही को शामिल करने के कारण

यह समझना महत्वपूर्ण है कि दूध और दही, जो प्राकृतिक होने के साथ ही हार्मोन फ्री है, संतुलित आहार का हिस्सा होना चाहिए।

1. दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। प्रोटीन मानव शरीर के निर्माण में महत्वपूर्ण है। यह मैक्रोन्यूट्रिएंट है जो भूख के हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए भी जिम्मेदार है।दही यहां भी बेहतर इसलिए है कि यह कब्ज़ होने से रोकती है।
2. दूध में कैसिइन, ग्लोब्युलिन और एल्ब्यूमिन तीन प्रोटीन मौजूद होते हैं। वे आपको लंबे समय तक तृप्त और पूर्ण रखने में मदद करते हैं।
3. दही आंत के लिए अच्छे बैक्टीरिया का बेहतरीन स्रोत है। नियमित रूप से दही खाने से पाचन अच्छा रहता है।

दूध पीने से शरीर को जहां ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं वहीं दही कब्ज़ से राहत देता है। चित्र : शटरस्टॉक

4. दही में पाए जाने वाले एक्टिव कल्चर रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं से लड़ सकते हैं, इस प्रकार आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के मुताबिक, 200 ग्राम दही खाने से इम्यूनिटी बढ़ाने में उतना ही असरदार हो सकता है जितना कि पिल्स।
5. दही और दूध दोनों का त्वचा पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। जहां दूध को सौम्य क्लींजर और मॉइस्चराइजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं दही को एक्सफोलिएटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। दही त्वचा के दाग-धब्बों और त्वचा पर मृत कोशिकाओं को कम करने में मदद कर सकता है।
6. दूध और दही में पोटेशियम की मात्रा इन्हें हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद बनाती है। पोटेशियम उच्च रक्तचाप पर सोडियम के प्रभाव को कम करता है। जितना अधिक आप पोटेशियम खाते हैं, उतना ही अधिक सोडियम आप मूत्र के माध्यम से कम कर सकती हैं।

ध्यान रहे 
प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ डेयरी उत्पादों में फैट भी होता है। बहुत अधिक दही खाने या रोजाना एक गिलास से अधिक दूध पीने से आपके वजन घटाना मुश्किल हो सकता है। अनिता सलाह देती हैं कि दिन के दौरान अपने कुल कैलोरी सेवन के आधार पर दूध और/या दही के सेवन किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें: बरसात के मौसम में अपने पैरों का रखें इस तरह ख्याल, नहीं तो हो सकता है फंगल इन्फेक्शन

  • 120
nextstory

हेल्थशॉट्स पीरियड ट्रैकर का उपयोग करके अपने
मासिक धर्म के स्वास्थ्य को ट्रैक करें

ट्रैक करें