मेडिकल हेल्थकेयर प्रोफेशनल हमेशा लिवर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार के महत्व के बारे में बताते हैं। दरअसल फैटी लिवर डिजीज का एक प्रमुख कारण हमारा खानपान है। फैटी लिवर के कारण लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर हो सकता है। इन गंभीर रोगों से बचाव के लिए आहार (Mediterranean diet for Fatty Liver Disease) और जीवनशैली में बदलाव सबसे अधिक जरूरी है।
न्यूट्रिशनिस्ट शिखा द्विवेदी कहती हैं, ‘नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के लिए अभी तक कोई मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि स्वस्थ आहार और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से लिवर की क्षति को शुरू होने से रोकने में मदद ली जा सकती है। लिवर की बीमारी के प्रारंभिक चरण में होने पर उसे ठीक करने का यह सबसे बढ़िया तरीका है। स्वस्थ आहार स्वस्थ जीवनशैली का एक भाग है। इसलिए इसमें बदलाव पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है। इसमें हेल्दी फ़ूड, एक्सरसाइज और भरपूर गुणवत्ता वाली नींद भी शामिल है।’ .
मेडिटेरेनियन डाइट में अधिक फल और सब्जियां शामिल होती हैं। अधिक साबुत अनाज, अधिक ड्राई फ्रूट्स और बीन्स, लीन मीट, न के बराबर रेड मीट, कम मिठाइयां और कम एडेड शुगर लेने के लिए कहा जाता है।
न्यूट्रिशनिस्ट शिखा के अनुसार, भारत में वजन घटाने के लिए 1990 के दशक में मेडिटेरेनियन डाइट ने खूब लोकप्रियता हासिल की। इस डाइट का खूब प्रचार हुआ। यह आहार भूमध्यसागरीय देशों के व्यंजनों पर आधारित होता है। अल्बानिया, अल्जीरिया, अण्डोरा, ऑस्ट्रिया, बेलारूस जैसे 22 देशों वाला भूमध्यसागरीय देशों में बहुत पुराने समय से प्लांट बेस्ड फ़ूड खाने का चलन है। मेडिटेरेनियन डाइट में फल, अनाज, अनाज, फलियां, ड्राई फ्रूट्स, सीड्स की मात्रा अधिक होती है। इसमें ऑलिव आयल का अधिक प्रयोग किया जाता है। इसलिए यह हार्ट और लिवर के लिए सबसे अधिक उपयोगी माना जाता है।
इस आहार में स्वादिष्ट जड़ी-बूटियां और मसाले को खाने पर भी जोर दिया जाता है। ये लिवर और हार्ट के लिए बढ़िया होते हैं। इस डाइट में सप्ताह में कम से कम दो बार मछली और सी फ़ूड को शामिल किया जाता है। अंडे, हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट जैसे कि पनीर और दही को सीमित मात्रा में लिया जाता है।
नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज वाले लोगों के लिए अच्छा होने के अलावा, यह आहार हृदय रोग के कम जोखिम से जुड़ा हुआ है। यह रक्तचाप और खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। यह आहार इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हार्ट डिजीज और डायबिटीज दोनों ही फैटी लिवर डिजीज के जोखिम से जुड़े कारक हैं।
यह सच है कि लोगों के लिए मेडिटेरिनियन डाइट को अपनाना कठिन होता है। इसमें छना और तला फ़ूड शामिल नहीं होने के कारण हमें इसे रोज खाना अच्छा नहीं लग सकता है। हम इसके बदले में जंक फूड और अन्य अन्हेल्दी फ़ूड खाना चाह सकते हैं। यह जरूरी है कि फैटी लिवर डिजीज वाले लोग अपने मन और आहार पर कंट्रोल रख सकें। अपने आहार पर नियन्त्रण के लिए पोषण विशेषज्ञ की मदद ले सकती हैं। यहां यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति का शरीर और उसकी क्षमता अलग-अलग होती है । उसकी ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं। इसलिए किसी भी आहार को शुरू करने से पहले पोषण विशेषज्ञ की सलाह लेनी जरूरी है।
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