जब भी आप वजन घटाने का लक्ष्य लेकर चलती हैं, आपको बहुत सारे सुझाव दिए जाते हैं। वजन घटाने के लिए मूलतः दो ही तरह की डाइट होती हैं- कार्बोहाइड्रेट में कम यानी लो-कार्ब्स डाइट (low carbs or low calorie) जिसमें आप अपनी डाइट से कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन निकाल देते हैं। इसमें चीनी, स्टार्च युक्त भोजन को डाइट से बिल्कुल हटा दिया जाता है। इनमें से अधिकांश खाली कैलोरी ही होती हैं।
या फिर लो-कैलोरी डाइट जिसमें आप जितनी कैलोरी खर्च कर रहे हैं उससे कम कैलोरी लेना। मायो क्लीनिक की रिसर्च के अनुसार आप जितनी कैलोरी खा रही हैं उससे 3500 कैलोरी अधिक बर्न करने का अर्थ है 0.45 ग्राम वजन कम करना। अगर आप हर दिन 500 कैलोरी कम खाएं तो आप एक हफ्ते में वजन में फर्क आसानी से देख सकती हैं।
दोनों में से कोई भी डाइट अपनाएं, जरूरी है कि आप जो भी खा रहीं हैं उसका लेबल पढ़ें। कैलोरी गिनने वाले तरीके में यह ज्यादा आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप हर बार जो खा रही हैं उसका आपको हिसाब रहेगा। कई बार आप जो भी फूड खरीद रहे हैं वह एक बार से अधिक मील्स के लिए इस्तेमाल होगा। ऐसे में कैलोरी का हिसाब रखना जरूरी है।
जब आप लेबल पढ़ेंगी तो आपको यह भी पता चलेगा कि आप जो खा रहीं हैं उसमें कितना कार्बोहाइड्रेट है। यहां पर आपको तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए- टोटल कार्बोहाइड्रेट यानी उस फूड में कुल मिलाकर कितना कार्ब्स है, डाइटरी फाइबर जो आपको उसमें मौजूद फाइबर की जानकारी देगा और शुगर की मात्रा जिसमे प्राकृतिक और अलग से मिलाई गयी शुगर दोनों होती हैं।
आपके भोजन का पोर्शन भी दोनों ही तरीकों में बहुत मायने रखता है। अगर आप कैलोरी गिन रही हैं तो आप जो खा रहे हैं उसमें कितनी कैलोरी है यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। हालांकि आप लेबल पढ़ सकते हैं, लेकिन इसमें कैलोरी का हिसाब रखना मुश्किल होता है।
कार्ब्स पर लगाम लगा रही हैं तो भी पोर्शन का साइज नियंत्रित करना जरूरी है। कई बार लोग भोजन की मात्रा में मौजूद कार्ब्स को याद रखते हैं। ताकि उसे कंट्रोल किया जा सके।
जिन लोगों में लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां जैसे ओबेसिटी, डायबिटीज और हाइपरटेंशन होती हैं, उन्हें लो-कैलोरी डाइट की सलाह दी जाती है। ढेरों रिसर्च में पाया गया है कि अत्यधिक वेट बहुत सी बीमारियों का कारण है इसलिए इस एक्स्ट्रा वेट को कम करना महत्वपूर्ण है।
टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को कार्बोहाइड्रेट काउंट करने का तरीका ज्यादा फायदा करता है। यही नहीं टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए भी, जिन्हें इंसुलिन लेनी होती है, कार्बोहाइड्रेट का हिसाब रखना जरूरी होता है।
यह सच है कि दोनों ही तरीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन कैलोरी गिनना ज्यादा आसान है और लम्बे समय तक इसे फॉलो किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी फूड में आप कैलोरी का हिसाब आसानी से रख सकती हैं। और वजन घटाने के लिए कैलोरी डेफिसिट बहुत आवश्यक है।
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप जितने चाहें कार्ब्स खा लें। आपको अपने कार्ब्स का सेवन बहुत सीमित रखना चाहिए। आपके भोजन के 50 से 65 प्रतिशत से अधिक कार्बोहाइड्रेट नहीं होने चाहिए। याद रखें, वजन घटाने के साथ-साथ हेल्दी रहना भी जरूरी है। इसके लिये आपको बैलेंस डाइट लेनी चाहिए।
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