क्यों कुछ लोगों को हजम नहीं होता दूध, क्या है इसका कारण और उपचार
क्या आपने कभी गिनती की है कि दिन भर में आप कितनी बार दूध या दूध से जुड़े प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं? फ़र्ज़ करिए कि किसी वजह से आपको इन सब का इस्तेमाल करने से रोक दिया जाए तो? कुछ लोगों के साथ ऐसा ही है। जिन्हें दूध या दूध से बना कोई भी सामान नहीं पचता। यही कारण है कि उन्हें दूध से ज़रूरी दूरी बरतनी पड़ती है। क्यों होता है ऐसा? और कुछ लोगों को ऐसी दिक्कत होती है। आइए समझते हैं।
क्यों होती है दूध पचने में दिक्कत? (Causes of Lactose intolerance)
1. लैक्टोज इनटॉलरेंस
शरीर में लैक्टेज एंजाइम की कमी होने से दूध की शुगर (लैक्टोज) नहीं पचती। इससे गैस, पेट फूलना, और दस्त हो सकते हैं।
2. दूध से एलर्जी
कुछ लोगों का शरीर दूध के प्रोटीन को सह नहीं पाता, जिससे पेट दर्द, उल्टी या रैश हो सकते हैं।
3. कमजोर पाचन
कमजोर पाचन तंत्र वाले लोग दूध को ठीक से नहीं पचा पाते।
4. ठंडा या गर्म दूध
बहुत ठंडा या बहुत गर्म दूध पेट पर असर डालता है। इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दोनों, बहुत गर्म या बहुत ठंडा दूध ना रहे।
5. खाने के बाद दूध
मसालेदार खाना खाने के तुरंत बाद दूध पीने से पाचन में दिक्कत होती है। इससे हमेशा बचना चाहिए।
6. दूध की क्वालिटी
मिलावटी या प्रोसेस्ड दूध कई बार समस्या पैदा करता है। यह सबसे बड़ी वजह हो सकती है।
7. और बीमारियां
एसिडिटी, IBS, या गैस्ट्रिक समस्या से जूझ रहे लोगों को वैसे भी दूध से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इन लोगों को दूध पचाने में परेशानी होनी तय है।
क्यों नहीं पचता है दूध? (Causes of Lactose intolerance)
यह सच है कि दूध कई मायने में फायदेमंद है। आदर्श स्थितियों में डॉक्टर्स भी लोगों को 250 ग्राम दूध नियमित दूध पीने की सलाह देते हैं लेकिन कुछ लोगों को यह सुख मयस्सर नहीं है। वह इसलिए कि उनके शरीर में दूध को पचाने वाले एंजाइम ही ख़त्म हो जाते हैं।
दरअसल इंसानी शरीर में 2 साल की उम्र तक लेक्टोज एंजाइम बनता है। लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगती है इस एंजाइम के बनने की स्पीड घटने लगती है। अब जो एंजाइम दूध को पचाने में मदद कर रहा है उसी का बनना अगर कम हो जाए तो फ़र्ज़ कीजिये दूध भला कैसे पचेगा? लैक्टोज़ इनटॉलरेंस में दूध या उसकी चीजें खाने के 1-2 घंटे में लक्षण दिखते हैं, जो 48 घंटे तक रह सकते हैं। लक्षणों की गंभीरता लैक्टोज़ की मात्रा पर निर्भर करती है।
किसी भी खाने को पचाने में शरीर के पीएच वैल्यू की अहमियत ही मायने रखती है। आदर्श स्थिति में शरीर की PH वैल्यू 7 से 7.5 होती है। अगर आप इसके ऊपर के पीएच वैल्यू का खाना खा लेते हैं तो वह खाना आपको नहीं पचेगा। अगर आपके शरीर की PH वैल्यू 7 से कम है तब आपको खाने में दूध जैसी चीज़ अवॉयड करनी पड़ेगी।
लेक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण (Symptoms of Lactose intolerance)
दरअसल, लैक्टोज इनटॉलेरेंस से जूझ रहे लोगों की छोटी आंत दूध नहीं पचा पाती। अब अगर ऐसा होता है तो वो दूध बिना पचे ही बड़ी आंत में चला जाता है। वहां जा कर वह दूध सड़ता है और गैस,पेट दर्द,पेट में सूजन और कई बार लिवर में सूजन के तौर पर परिणाम सामने आते हैं।
जानें लेक्टोज इंटॉलरेंस का इलाज़
फिजिशियन डॉक्टर ओपी राय कहते हैं लैक्टोज इंटॉलरेंस का इलाज़ एंडोस्कोपिक बायोप्सी की मदद से किया जा सकता है। इस इलाज़ के दौरान पीड़ित व्यक्ति को 2 घण्टे तक 15 मिनट के अंतराल में एक ट्यूब में सांस लेने की आवश्यकता होती है। इसके बाद डॉक्टर्स यह देखते हैं कि मरीज़ की सांस में हाइड्रोजन कितनी है।
इसके बाद यही बायोप्सी छोटी आंत की भी जा सकती है। आंत में मौजूद लैक्टोज के मात्रा की गणना की जाती है ताकि स्थिति का अंदाज़ा लगा कर सही और माकूल इलाज़ दिया जा सके।
लेक्टोज इन्टॉलरेंस का उपचार (Lactose intolerance treatment)
जन्म के समय से दो साल तक सभी दूध पचा लेते हैं। लेकिन इसके बाद जब लैक्टोज की कमी शुरू होती है तो कुछ लोगों को दूध उत्पाद पचने में मुश्किल होने लगती लगती है। विटामिन डी का प्रमुख स्त्रोत दूध अगर सही और पर्याप्त मात्रा में शरीर के अंदर ना जाए तो व्यक्ति को और भी दिक्कतें होने लगती है। इसलिए लैक्टो इन्टोलेरेंस का इलाज़ बहुत ज़रूरी है।
लेक्टोज इन्टॉलरेंस से बचाव के उपाय (Tips to avoid Lactose intolerance)
कई बार लैक्टोज इनटॉलेरेंस से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर बकरी का या गाय का दूध पीने की सलाह देते हैं लेकिन वह सिचुएशन पर डिपेंड करता है। सिचुएशन क्रिटिकल हो तो आपको पूरी तरह से दूध अवॉयड कर के इलाज की ओर बढ़ना चाहिए।