कोम्बुचा टी आपकी हार्ट हेल्थ के लिए भी है फायदेमंद, जानिए ये कैसे बनती है

बैक्टीरिया और यीस्ट को मिलाकर तैयार की गई फर्मेंटिड प्रोबायोटिक ड्रिंक कॉम्बुचा टी के सेवन से गट माइक्रोब्योम को मदद मिलती है। जानते हैं कॉम्‍बुचा चाय किस प्रका
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कोम्बुचा में लेक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो प्रोबायोटिक फंक्शन में मदद करते हैं। चित्र ; शटरस्टॉक
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इनपुट फ्राॅम

शरीर को हेल्दी और फिट बनाए रखने के लिए लोग एक्सरसाइज़ से लेकर फैंसी डाइट तक सभी ट्रेंडिग चीजों को एक के बाद एक ट्राई करने लगते हैं। मगर कई बार नतीजे अपेक्षा के अनुसार नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में मायूस होने के स्थान पर इन दिनों ट्रेंड में रहने वाली कॉम्‍बुचा चाय वेटगेन की समस्या को हल करने में मदद कर सकती हैं। प्रोबायोटिक से भरपूर कॉम्बुचा टी के सेवन से गट माइक्रोब्योम को मदद मिलती है। जानते हैं कॉम्‍बुचा चाय किस प्रकार से है वेटलॉस में मददगार।

कोम्बुचा टी है किन खूबियों से भरपूर

कोम्बुचा टी ग्रीन टी के सामन एक ऐसा प्रोबायोटिक ड्रिंक है, जो गट हेल्थ को मज़बूत रखने में मदद करता है। इससे वेटलॉस में मदद मिलती है। सदियों पुराने इस पेय पदार्थ की शुरूआत चीन और जापान में हुई थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कोम्बुचा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा शरीर में मौजूद हार्मफुल बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करते है। दरअसल, कोम्बुचा में लेक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो प्रोबायोटिक फंक्शन में मदद करते हैं।

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कोम्बुचा टी का सेवन दिन में एक से तीन बार किया जा सकता है। चित्र ; शटरस्टॉक

काम्बुचा टी किस प्रकार से तैयार की जाती है

बैक्टीरिया और यीस्ट को मिलाकर तैयार किए गए फर्मेंटिड पेय पदार्थ को कोम्बुचा टी कहा जाता है। इसे तैयार करने के लिए यीस्ट, चीनी और ब्लैक टी का प्रयोग किया जाता हैं। मिश्रण को बनाकर एक सप्ताह या उससे अधिक के लिए अलग से रखा जाता है। इस समय अवधि में बैक्टीरिया और एसिड बनते हैं। इस प्रक्रिया को फर्मेंटेशन कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे कैबेज को सौकरकूट या किमची की तरह से प्रिजर्व किया जाता है। वैसे ही जैसे दूध को दही में बदल दिया जाता है।

बैक्टीरिया और एसिड मिलकर एक लेयर बनाते हैं, जिसे स्कूबी यानि सिमबायोटिक कल्चर ऑफ बैक्टीरिया एंड यीस्ट कहा जाता है। कोम्बुचा में विटामिन बी व लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं। सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार चार औंस कोम्बुचा टी का सेवन दिन में एक से तीन बार किया जा सकता है। इसके अत्यधिक सेवन से सिरदर्द, नॉज़िया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या व कीटोएसिडोसिस का सामना करना पड़ सकता है।

वेटलॉस में किस प्रकार से है कोम्बुचा टी है फायदेमंद

कोम्बुचा टी के सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इसे पीने से शरीर डिटॉक्सीफाई हो जाता है और शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरीज से मुक्ति मिल जाती है। इस लो.कैलोरी ड्रिंक की मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटलॉस में मदद मिलती है।

सेलिब्रिटी पोषण विशेषज्ञ नुपुर पाटिल बताती हैं कि कोम्बुचा टेंगी टेस्ट से भरपूर एक फर्मेंटिड पेय पदार्थ है। इसे बैक्टीरिया और खमीर के साथ बनाया जाता है। इसके सेवन से वेटलॉस, पेट के स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स, एंटीऑक्सिडेंट और इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती हैं। ये टी खासतौर से वेटलॉस, डाइजेशन इंप्रूव करने, ऊर्जा बढ़ाने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए जानी जाती है।

Kombucha tea kaise tayaar ki jaati hai
ग्रीन टी और ब्लैक टी के समान ही कोम्बुचा बेहद फायदेमंद पेय पदार्थ है। इसे यीस्ट और बैक्टीरिया के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

जानें कोम्बुचा टी के अन्य फायदे

1. तनाव को करें कम

एनर्जी बूस्टर कोम्बुचा टी का सेवन करने से चिंता और तनाव कम होने लगते हैं। इसके अलावा नींद न आने की समस्या भी हल होने लगती है और मूड स्विग से भी राहत मिल जाती है। इसे मॉडरेट ढ़ंग से पीने से दिमाग रिलैक्स हो जाता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते हैं।

2. फाइबर की कमी करे दूर

ग्रीन टी और ब्लैक टी के समान ही कोम्बुचा बेहद फायदेमंद पेय पदार्थ है। इसे यीस्ट और बैक्टीरिया के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। कोम्बुचा को स्कूबी यानि सिमबायोटिक कल्चर ऑफ बैक्टीरिया एंड यीस्ट भी कहा जाता है। इसमें सॉल्युबल फाइबर पाया जाता है, जिससे डाइजेशन इंप्रूव होता है और हार्मफुल केमिकल्स से मुक्ति मिल जाती है।

3. हृदय रोगों से बचाए

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार चूहों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोम्बुचा टी के सेवन से शरीर में बढ़ने वाले बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसकी मदद से शरीर को ऑक्सीडेशन से बचाती है। इसके सेवन से शरीर में हृदय संबधी समस्याओं का खतरा घटने लगता है।

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