मानसून का मौसम गर्मागर्म मोमोज खाने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है। यदि आप भी मोमो लवर हैं तो आप इस बात से बिल्कुल सहमत होंगी। पर क्या आप जानती हैं कि हाल ही में एक व्यक्ति की मोमो को निगलने से मौत हो गयी? ऐसे में इसके साइड एफेक्ट्स (Side Effects of momos) के बारे में जानना और भी महत्वपूर्ण है। इसलिए अब समय आ गया है कि आप इन गरमा-गरम डंपलिंग का सेवन सावधानी से करें।
हाल ही में एक मामले में एम्स के डॉक्टरों ने मोमाेज खाते वक्त सावधानी बरतने की सलाह दी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति की मोमो निगलने की वजह से दम घुट कर मौत हो गई। क्योंकि यह उसके ऊपरी वायुमार्ग में फंस गया था। इस मामले ने एक बार फिर से हम सभी का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित किया है कि खाना अच्छे से चबाकर खाना कितना ज़रूरी है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग से पोस्ट मॉर्टम कंप्यूटेड टोमोग्राफी में कैप्चर की गई दुर्लभ केस रिपोर्ट, कॉर्पस एलियनम, जर्नल ऑफ फॉरेंसिक इमेजिंग में प्रकाशित हुई है।
हाल के वर्षों में, मोमोज को सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच व्यापक लोकप्रियता मिली है। स्ट्रीट फूड के शौकीनों के बीच फ्राइड, तंदूरी, स्टीम्ड, करी मोमोज वैरायटी का क्रेज बढ़ा है। मगर यदि, पोषण विशेषज्ञों की सलाह मानें, तो मोमोज के दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
न्यूट्रिशनिस्ट अवनि कौल हेल्थ शॉट्स को बताती हैं, “मोमोज बेहद ठंडे मौसम के लिए बनाए गए थे, जहां लोगों को दैनिक कठोर जलवायु में जीवित रहने और पहाड़ी इलाकों में रहने के लिए उच्च वसा वाले भोजन का सेवन करने की आवश्यकता होती है। जब शहर के गतिहीन जीवन जीने वाले लोग मोमोज खाते हैं, तो इससे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हो सकता है।”
मोमोज मैदे से बनाए जाते हैं, जो गेहूं के आटे का सबसे प्रोसेस्ड रूप है और मैदा बनाने की प्रक्रिया से गेहूं के अधिकांश आवश्यक पोषक तत्व (97 प्रतिशत फाइबर सहित) नष्ट हो जाते हैं।
कौल हमें यह बताती हैं: “व्यवसायिक रूप से बनने वाला मैदा आमतौर पर ब्लीच और रसायनों का उपयोग करके बनाया जाता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले ब्लीच और रसायन शरीर के लिए बहुत जहरीले और अस्वस्थ होते हैं। मैदा एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है जो मोटापा, मधुमेह और गंभीर आंत के मुद्दों को ट्रिगर करता है।
कौल कहती हैं कि भारतीय मोमो सॉस या डिप मिर्च पाउडर के भारी उपयोग से तैयार किया जाता है जो बवासीर को ट्रिगर कर सकता है।
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप मोमोज कहां से खा रही हैं। “मोमोज, भारतीय सड़क किनारे विक्रेताओं द्वारा तैयार किए और बेचे जाते हैं। बहुत समय बिना पके हुए, खराब पके हुए गोभी और गाजर, और मीट का उपयोग करते हैं, जिससे पेट में संक्रमण और शरीर में टोक्सिन्स का खतरा बढ़ सकता है।”
भोजन कैसा भी हो इसे अच्छी तरह से चबाया जाना चाहिए। कौल बताती हैं, “चाहे आप मोमोज खा रही हों या कोई भी और भोजन, हर खाने को पहले अच्छी तरह से चबाएं। कम से कम 20 – 25 बार।”
“आप जितना ज़्यादा और अच्छे से खाने को चबाएंगी, पाचन तंत्र के लिए भोजन को पचाना और भी आसान हो जाता है। यह देखा गया है कि जो लोग भोजन को ठीक से नहीं चबाते और जल्दी से जल्दी निगल जाते हैं, उन्हें बार-बार पाचन संबंधी विकारों का सामना करना पड़ता है।
अगली बार जब आप डंपलिंग खाएं, तो ध्यान रखें मोमोज के ये साइड इफेक्ट!
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