शारदीय नवरात्रि (Navratri 2023) की शुरुआत कुछ दिनों बाद होने वाली है। 9 दिनों तक चलने वाली पूजा में महिलाएं फास्ट (Navratri fasting) भी रखेंगी। अक्सर फास्ट के दौरान हम कैलोरीज का ध्यान तो रखते हैं, लेकिन फॉस्फोरस इंटेक चेक करना भूल जाते हैं। उपवास के दौरान डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड फूड और हाई प्रोटीन डाइट के साथ कभी-कभी हाई फास्फोरस भी शरीर में चला जाता है। हालांकि फॉस्फोरस हमारी हड्डियों और शरीर की मजबूती के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पर इसका ज्यादा मात्रा में सेवन किडनी के स्वास्थ्य को नुकसान (high phosphorus side effects) पहुंचा सकता है।
नवरात्रि फास्टिंग के दौरान किडनी हेल्थ के लिए फॉस्फोरस की मात्रा पर भी ध्यान दें। अधिक फास्फोरस का सेवन शरीर को नुकसान (high phosphorus side effects) पहुंचा सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए फॉस्फोरस की कितनी मात्रा जरूरी है इसके लिए हमने बात की सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रंजीत यादव से।
फॉस्फोरस हमारी हड्डियों में पाया जाने वाला मिनरल है। कैल्शियम के साथ-साथ फॉस्फोरस भी हड्डियों को मजबूती देता है। यह शरीर के अन्य अंगों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉ. रंजीत कहते हैं, ‘एक स्वस्थ व्यक्ति की किडनी ब्लड से एक्स्ट्रा फाॅस्फोरस को हटा सकती है। लेकिन जब शरीर क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित हो जाता है, तो किडनी पूरी तरह से फॉस्फोरस को नहीं निकाल पाती है। जिससे हाई फाॅस्फोरस लेवल शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। एक्स्ट्रा फाॅस्फोरस शरीर से कैल्शियम को बाहर निकालने लग जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हाई फॉस्फोरस और कैल्शियम लेवल से ब्लड वेसल्स, लंग्स, आई और हार्ट में भी कैल्शियम जमा होने लगता है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।’
ब्लड में फॉस्फोरस का सामान्य लेवल 2.5 से 4.5 मिलीग्राम/डीएल होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को कुछ समस्या हो रही है, तो वह नेफ्रोलॉजिस्ट से तुरंत मिले। उनसे या किसी न्यूट्रीशन एक्सपर्ट से अपने फाॅस्फोरस लेवल के बारे में जानकारी प्राप्त करें। ताकि आप अपनी आवश्यकता के अनुसार ही आहार में फॉस्फोरस लें।
डॉ. रंजीत कहते हैं, ‘आप अपने आहार में फॉस्फोरस इंटेक को नियंत्रित कर फॉस्फोरस लेवल को सामान्य कर सकती हैं। फॉस्फोरस आमतौर पर प्रोटीन रिच फूड जैसे कि मीट, पोल्ट्री, मछली, नट्स, बीन्स और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। प्लांट फूड में पाए जाने वाले फास्फोरस की अपेक्षा एनिमल फूड में पाया जाने वाला फास्फोरस अधिक आसानी से अवशोषित हो जाता है।’
फूड को प्रिजर्व करने के लिए भी एडिटिव या प्रिजर्वेटिव (अनऑर्गेनिक फॉस्फोरस) के रूप में फॉस्फोरस भोजन में जोड़ा जाता है। फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, बोतलबंद पेय, प्रोसेस्ड मीट और ज्यादातर प्रोसेस्ड फूड में फॉस्फोरस पाया जाता है।
एडिटिव के रूप में अनऑर्गेनिक फॉस्फोरस को शरीर पूरी तरह अवशोषित कर लेता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि आप डिब्बाबंद फूड ले रही हैं और फॉस्फोरस की कितनी मात्रा उस भोजन के माध्यम से लेने वाली हैं, यह जांचने के लिए इंग्रीडिएंट्स के न्यूट्रीशन फैक्ट्स लेवल को चेक कर लें। यह फूड्स पैकेट पर फॉस (PHOS) के रूप में लिखा रहता है।
कोकोआ, चॉकलेट ड्रिंक, डार्क कोला, सोडा वाटर, दूध से तैयार ड्रिंक, कैन्ड आइस टी, डिब्बाबंद पेय पदार्थ, जिनमें फॉस्फेट एडिटिव मौजूद होते हैं, न लें।
इनके अलावा, अत्यधिक चीज़ के सेवन, प्रोसेस्ड मिल्क, क्रीम सूप, आइसक्रीम, पुडिंग, ऑयस्टर, बीफ लिवर, सारडाइन, चिकन लिवर, ऑर्गन मीट,
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कस्टमाइज़ करेंचॉकलेट कैंडी, केरामेल कैंडीज, हाॅट डॉग, सॉसेज, ज्यादातर प्रोसेस्ड फूड में हाई फॉस्फोरस मौजूद रहता है। इसलिए इनके सेवन को भी सीमित करें।
यदि अपनी किडनी को स्वस्थ रखना है, तो चाय, टोन्ड दूध, एप्पल जूस, क्रेनबेरी जूस, ग्रेप जूस, अदरक की चाय, नींबू पानी, लेमन लाइम सोडा को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इनके अलावा, राइस मिल्क, आमंड मिल्क, कॉटेज चीज़,
वीगन चीज़, चिकन, फिश, एग, पोर्क, लैंब आदि का सेवन कर सकती हैं। सेव, बेरी, अंगूर, गाजर, खीरा, राइस केक, अनसॉल्टेड पॉपकॉर्न, शुगर कूकीज आदि को लो फॉस्फोरस ऑल्टरनेटिव के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैं।
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