निश्चित तौर पर सेलिब्रिटी द्वारा डाइट में बेबी फूड (baby food) लेने की बात सुनकर आपको काफी हैरानी हो रही होगी। इसे जानकर भी आप चौंक उठेंगी कि जिन सेलिब्रिटी को आप पसंद करती हैं, वे भी इससे अछूते नहीं हैं। मतलब वे भी अपना फिगर मेंटेन रखने के लिए इन दिनों बेबी फूड (baby food) का खूब इस्तेमाल कर रही हैं।
एक दौर था जब वजन कम करने के लिए आपकी पसंदीदा जेनिफर एनिस्टन (Jennifer Aniston), लेडी गागा (Lady Gaga) समेत कई सेलिब्रिटी डाइट में बेबी फूड (baby food) लिया करती थीं। हालांकि इस शौक से कुछ पल के लिए उनके मन मुताबिक अच्छे रिजल्ट जरुर आए। मगर हमेशा के लिए वे अपनी फिटनेस इसके सहारे बरकरार नही रख सकीं।
इससे पहले कि आप अपना वजन कम करने के लिए डाइट में बेबी फूड (baby food diet plan) लेने के लिए बेचैन हों, हमारी कोशिश है कि हम इसके बारे में जरुरी जानकारी आपसे साझा कर दें। न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, डाइट में बेबी फूड लेना सिर्फ एक सनक है। और इसका आपकी फिटनेस पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं है।
असल में बेबी फूड डाइट (baby food diet) का अर्थ है कि रोजमर्रा के खाने में सामान्य भोजन की बजाए बेबी फूड का इस्तेमाल किया जाता है। बेबी फूड डाइट (baby food diet) में भी फल और सब्जियों के अलावा चिकन वगैरह को शामिल किया जाता है। इसे कोई भी घर पर आसानी से बना सकता है। इस बेबी फूड डाइट (baby food diet) में फल, सब्जी के आलावा चावल और दाल की पूरी शामिल हो सकती है।
बेबी फूड (baby food) बनाने में इस्तेमाल की गई सभी सामग्री कम कैलोरी से युक्त होती हैं। इसमें शुगर, वसा और नमक की मात्रा न के बराबर होती है। यही कारण है कि बेबी फूड (baby food) लेने से लोगो के शरीर का वजन कम होता है। बेबी फूड (baby food) को लेकर एक प्रसिद्ध न्यूट्रीशनिस्ट पारुल मल्होत्रा का कहना है कि वजन कम करने का यह तरीका न टिकाऊ है और न ही सही।
पारुल आगे कहती हैं कि बेबी फूड (baby food) लेने का एकमात्र लाभ यह है कि इसमें वसा और कैलोरी दोनों की मात्रा कम होती है। इस तरह के फूड दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं और इसे लाकर घर भी रखा जा सकता है। इसे खाने के लिए तैयार करने में भी बहुत ही कम समय लगता है। इसके आलावा बेबी फूड (baby food) को खाने के लिए भी कम समय खर्च करना पड़ता है।
1 डाइट मेंं बेबी फूड लेने से शरीर में होने वाला वेट लाॅस स्थायी नहीं होता।
2 यह सामान्य आहार की तुलना में बहुत महंगा पड़ता है।
3 कम कैलोरी वाला होने के कारण इसे लेने वाला खुद भी कम एनर्जेटिक महसूस करता है।
4 प्रोटीन और फाइबर की कमी के कारण खाने के बाद भी मन तृप्त नहीं होत है और न ही खाने की इच्छा मिटती है।
5 पारुल सलाह देती हैं कि इसे (baby food) खाना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, क्याोंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है और इसे लेने के बाद सामान्य भोजन (normal meals) से भी मन उठने लगता है।
पारुल कहती हैं कि फल, सब्जी और मीट से बने संभवतः सभी 14 प्रकार की शुद्द बेबी फूड (baby food) को सुबह के नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के नाश्ते में लेना चाहिए ।
और एक वयस्क को इन सब के आलावा हर रोज रात के खाने में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का जरुर सेवन करना चाहिए।
बेबी फूड लेने की प्लानिंग के दौरान पानी, चाय और कॉफी लेने की अनुमति है। बात यह है कि इस तरह का फूड एक वयस्क के लिए पर्याप्त नहीं है। दूसरी चीज, वजन कम करने के लिए आहार में बदलाव करना ही एक मात्र विकल्प नही है, इसके लिए फिटनेस से जुड़ी एक्सरसाइज भी जरुरी है।
जब आप खुद को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज करती हैं, तो उसके लिए उपयुक्त भोजन भी जरुरी हो जाता है। बेबी फूड डाइट प्लान करने के बाद जब आप एक्सराइज करती हैं, तो थकान का बढ़ना जायज है। ऐसा करने से आपकी समग्र क्रियाशीलता पर भी इसका असर पड़ता है। बेबी फूड लेना अपने आप में एक तरह का पागलपन है, जो आगे चलकर एडिक्शन भी बन सकता है। जिसके चलते खाना खाने की आदत खराब हो सकती है और आप फिर से मोटापे की शिकार हो सकती हैं।
यही कारण है कि ज्यादातर न्यूट्रीशनिस्ट बेबी फूड डाइट पर पूरी तरह निर्भर न होने की सलाह देते हैं।
आमतौर पर किसी को भी बेबी फूड डाइट (baby food diet) लेने के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए। खासतौर से उन लोगों को जो पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं (pre-medical conditions), या गर्भवती (pregnant women) या फिर बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाएं (lactating women)।
अंत में पारुल कहती हैं वजन कम करने के लिए स्थायी और प्रभावशाली तरीका यही है कि अच्छी नींद लें, नियमित एक्ससाइज करें और भोजन में संतुलित आहार का सेवन करें। इससे बेहतर वजन कम करने का कोई दूसरा उपाय नहीं है।
यदि आप वास्तव में अपना वजन कट्रोल करना चाहती हैं, तो आपको अपने खान-पान पर ठीक ढंग से ध्यान देना होगा। अच्छा परिणाम पाने के लिए आज ही अपने न्यूट्रीशनिस्ट या डॉयटीशियन से मिलकर अपनी आहार योजना के बारे में बात करें। दरअसल, हर व्यक्ति के शरीर की जरूरतें अलग-अलग हो सकती हैं। इसी के हिसाब से अपना डाइट प्लान तैयार करें।