नौ दिनों तक नवरात्रि के व्रत व उपवास करने के बाद अन्न ग्रहण किया जाता है। लंबे उपवास के बाद किया जाने वाला भाेजन सिर्फ पेट ही नहीं भरता, बल्कि मन को भी तृत्प करता है। उस पर हलवा, पूड़ी और छोले का प्रसाद, का स्वाद ही अलग होता है। मगर ये स्वाद कई बार ओवरईटिंग, थकान और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप व्रत खोलने का सही तरीका जानते हों। यहां एक आहार विशेषज्ञ नवरात्रि उपवास के बाद व्रत तोड़ने (Healthy ways to break navratri fast) का हेल्दी तरीका बता रही हैं।
कुछ लोग बिना सोचे-समझे ज्यादा मात्रा में खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। हाई क्वांटिटी में खाना भूख को शांत करने की जगह नींद आना और इनडाइजेशन का कारण भी बन सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार उपवास के दौरान शरीर में कई मेटाबॉलिक परिवर्तन आने लगते हैं। इससे शरीर किटोसिस स्टेज में आने लगता है। जहां कार्बोहाइड्रेट मौजूद न होने पर शरीर में एनर्जी लाने के लिए फैट्स का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा व्रत के दौरान इंसुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है। साथ ही शरीर को हार्मफुल बैक्टीरिया से भी मुक्ति मिल जाती है।
डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि नौ दिन के बाद दोबारा से आहार में अन्न को शामिल करने के लिए धीमी गति से खाने को ग्रहण करें। एकदम से हैवी मील्स लेने से बचें। चने और पूरी तैयार करने के लिए कम मात्रा में ऑयल का इस्तेमाल करें। इसके अलावा पेय पदार्थों का सेवन ने केवल डाइजेशन के लिए ज़रूरी है बल्कि इससे पाचन में भी मदद मिलती है।
दिन की शुरूआत हल्की और छोटी मील्स से करें। इसमें ऑयली और फैट्स से भरपूर रेसिपीज़ की जगह मौसमी फल, सब्जियां व हाइड्रेटिंग ड्रिंक्स को शामिल करे।
व्रत के दौरान फलाहार का पालन करने के बाद दोबारा से नियमित डाइट लेने से पहले कुछ खास टिप्स को फॉलो करना आवश्यक है, ताकि शरीर कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं से बचा रहे। जानते हैं व्रत को खोलने के बाद आहार संबधी किन टिप्स को फॉलो करें।
डॉ अदिति शर्मा के अनुसार कई दिनों के बाद आहार में अन्न को शामिल करने से आलस और नींद आना स्वाभाविक है। ऐसे में शरीर को दिनभर एक्टिव बनाए रखने के लिए प्रोबायोटिक्स से भरपूर दही लें और उसे पौष्टिक व हाइड्रेटिंग बनाने के लिए उसमें खीरा एड कर दें। इसके अलावा पूरी, हल्वा और चने का प्रसाद खाने के लिए उसे कम तेल में पकाएं और सीमित मात्रा में उसका सेवन करें।
गर्मी के मौसम में शरीर को निर्जलीकरण से बचने के लिए छाछ का सेवन करें। इससे गट हेल्थ मज़बूत होती है और कब्ज व एसिडिटी से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा कुछ समय के अंतराल में मौसमी फलों व खीरा, ककड़ी और गाजर का सेवन करें। इससे शरीर को विटामिन और मिनरल की प्राप्ति होती है। कार्ब्स रिच डाइट और मिर्च मसालों से भरपूर आहार डाइजेशन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
रेगुलर मील पर वापस लौटने के लिए शाम के नाश्ते में पोहा, उपमा और फ्रूट सैलेड ले सकते हैं। इसके अलावा वेजिटेबल स्मूदी भी बेहद फायदेमंद साबित होती है। इससे लंबे वक्त तक पेट भरा रहता है और बार बार प्यास लगने की समस्या हल हो जाती है।
रात में आराम की नींद पाने के लिए पाचनतंत्र का मज़बूत होना आवश्यक है। इसके लिए खिचड़ी और पुदीने की चटनी खाएं। इसके अलावा डिनर से पहले कुछ फलों का सेवन भी अवश्यक है। हेल्दी फूड इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने में भी मदद करता है। साथ ही शरीर को डिटाक्सीफाई भी करता है। आहार को पौष्टिक बनाने के लिए सूप भी ले सकते है। इसमें जिनमें प्रोटीनए कार्ब्स और मिनरल्स की उच्च मात्रा पाई जाती है। व्रत खोलने के बाद एकदम से क्रीमी सूप लेने से बचें।
आहार में प्रोबायोटिकस को शामिल करे। इससे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जिससे गट हेल्थ बूस्ट होती है। साथ ही शरीर को ठण्डक मिलती है।
शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इसके अलावा स्मूदीज़ भी शरीर को फायदा पहुंचाती है।
मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें। इससे शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है और फाइबर की प्राप्ति होती है।
ऑयली और मसालदार भोजन अवॉइड करें। इससे शरीर में इनडाइजेशन, एसिडिटी और उल्टी की संभावना बढ़ जाती है।
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