दिन की शुरूआत अगर चाय की चुस्की से हो जाती है, तो पूरा दिन हम एक्टिव महसूस करते है। कोई ग्रीन टी (Green tea) पीना पसंद करता है, तो कोई ब्लैक टी। इनमें ढ़ेर सारे एंटीआक्सीडेंटस (Antioxidants) पाए जाते हैं, जो शरीर को प्रोटेक्ट करने का काम करते हैं। वहीं कुछ लोग दूध और पत्ती को उबालकर चाय बनाते है। बहुत से लोग इस चाय को दिन में कई बार गर्म करके पीते हैं। अगर आप भी इस चाय को बार बार गर्म करके पीने के आदि हैं, तो एसिडिटी (Acidity) समेत कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। जानते हैं कि, बची हुई चाय को बार बार गर्म करके पीने से उसका स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है (Reheating Tea Side Effects) ।
बासी चाय को गर्म करने से न केवल उसके स्वाद में बदलाव आता है बल्कि उसका रंग हर बार पहले से बदल जाता है। जो चाय में बढ़ रहे कैफीन (Caffine) का संकेत देता है। यही चाय शरीर में पहुंचकर कई तरह की परेशानियों को बढ़ाने का काम करती है। हालांकि चाय के स्वाद में इज़ाफा करने के लिए हम कई प्रकार की चीजें जैसे अदरक, सौंफ, दालचीनी (Cinnamon), मोटी इलायची (Black cardamom) और लौंग (Clove) का इस्तेमाल करते हैं। जो शरीर की रक्षा करने का भी काम करते है।
डॉ रूचि सोनी बता रही हैं कि चाय को एक से अधिक बार गर्म करने से इसमें मौजूद सभी मिनरल्स और कम्पाउंडस अपना पोषण खो देते हैं। इसके चलते पेट दर्द, पाचन में दिक्कत, भारीपन और उल्टी जैसे समस्या उत्पन्न होने लगती है। दरअसल, लंबे समय तक पड़े रहने के बाद उसे रीहीट करने से बैक्टिरीया जैसे माइक्रोब्स पनपने लगते हैं। जो शरीर के अंदर कई प्रकार की समस्याओं और लगतार ऐसा करने से कैंसर का कारण भी साबित हो सकती हैं।
एक बार चाय पीने के बाद अगर आप दोबारा उसी चाय को गर्म करके पीने जा रहे हैं, तो याद रखें कि इससे कैफीन की मात्रा बढ़ने लगती है। साथ ही स्वाद मं हल्का कसैलापन महसूस होने लगता है। इससे पेट में एसिड बढ़ने की संभावना तीव्र हो जाती है। कई बार खाली पेट या सिर्फ टी इनटेक भी एसिडिटी का मुख्य कारण साबित हो सकता है। साथ ही सीने में जलन की शिकायत भी होने लगती है।
रिसर्च गेट के मुताबिक पार्किंसंस रोग शरीर की एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जिसमें न्यूरॉस पर प्रभाव पड़ता है। इससे हमारी याददाश्त और सोचने व किसी काम पर फोकस करने की स्पीड धीरे धीरे कम होने लगती है। चाय के ज्यादा सेवन और उसे रीहीट करके पीने से इस बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है। अगर आपको कब्ज, मांसपेशियों में एठन, आवाज़ में कंपन, हाथों का मुड़ना या स्मैल डिस्ऑर्डर हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्री एक्लेमप्सिया एक प्रेग्नेंसी डिसऑडर है। जो ब्लड प्रेशर से संबधित है। ये बीमारी अधिकतर 20 वीक्स के बाद ही गर्भवती महिला को प्रभावित करती है। ये बीमारी प्रेगनेंट महिला के लंग्स और लीवर पर अटैक करती है। दरअसल, गर्भवती महिलाएं दिनभर में कई बार चाय का सेवन करती है। रिसर्च गेट के मुताबिक 3 से लेकर 10 फीसदी मामले प्रेग्नेंट महिलाओं में पाए जाते हैं। चाय में पाए जाने वाले कई तत्व बॉडी को प्रभावित करने का काम करते हैं। दुनिया भर में इसके 8,370,000 मामले पाए जाते है।
पानी एक कप
दूध एक कप
चाय पत्ती दो छोटे चम्मच
लौंग एक
बड़ी इलायची आधी
सौंफ एक चम्मच
दानचीनी पाउडर एक चुटकी
चीनी स्वादानुसार
दो कप चाय बनाने के लिए एक कप पानी उबालें। उसमें लौंग, बड़ी इलायची, सौंफ और दालचीनी डालकर उबलने दें।
एक से दो मिनट के बाद उबलते पानी में दो छोटे चम्मच चाय पत्ती के मिलाएं और स्वादानुसार चीनी डाल दें।
अब चाय के पानी मे एक से दो उबाल आने के बाद एक कप दूध मिला दे। कुछ देर के लिए चाय को धीमी आंच पर रख दें और पकने दें।
चाय पकने के बाद उसे बिस्किट, सैंडविच या अन्य किसी स्नैक्स के साथ सर्व कर दें।
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