अनेक धार्मिक अवसरों पर या हिंदू त्योहारों के दौरान, निर्जला व्रत रखने का प्रावधान है। निर्जला का मतलब है ‘बिना पानी’ वाला व्रत। ऐसी मान्यता है कि निर्जला व्रत से मन में अध्यात्मिक विचारों का प्रवाह सुदृढ़ होता है, जो कि धार्मिक व्रत-उपवास से संबंधित है।
निर्जला व्रत बार-बार रखने के गंभीर परिणाम भी सामने आ सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
जानिए किसे बिल्कुल नहीं रखना चाहिए निर्जला व्रत
मधुमेह रोगी, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएं या अन्य किसी रोग से प्रभावित व्यक्तियों को निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के उपवास के चलते आपको शरीर के लिए आवश्यक कैलोरी, प्रोटीन, खनिज पदार्थ तथा अन्य आवश्यक पोषक तत्व, जो कि शरीर की दैनिक क्रियाओं के लिए जरूरी होते हैं, नहीं मिलते।
यदि गर्भवती महिलाएं इस प्रकार निर्जला व्रत करती हैं, तो उनके शरीर में पल रहे भ्रूण को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता और इसके अलावा उनकी खुद की सेहत के लिए भी ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
1. उपवास शुरू करने से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। ताकि दिन भर शरीर में पानी की कमी न हो।
2. सुबह कुछ मीठा, मेवा वगैरह खाएं। ताकि आपको पूरे दिन उपवास के दौरान कुछ मात्रा में कैलोरी और प्रोटीन आदि मिलती रहे।
3. सुबह के वक्त कुछ नमकीन स्नैक खाएं। ताकि पूरे दिन के लिए जरूरी सोडियम की मात्रा शरीर में बनी रहे।
4. जब उपवास पूरा हो जाए तो सबसे पहले तरल पदार्थ से खोलें- जैसे कि दूध, शेक या लस्सी आदि।
5. उपवास तोड़ने के लिए चाय या कॉफी न लें। ऐसा करने से आपको गंभीर रूप से एसिडिटी की शिकायत हो सकती हैं।
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