वेटलॉस जर्नी (weight loss journey) को हेल्दी बनाने के लिए अक्सर लोग आहार में फल और सब्जियों को शामिल करते हैं। इससे शरीर को न केवल विटामिन और मिनरल बल्कि कैल्शियम और फाइबर की भी प्राप्ति होती है। मगर दूसरी ओर उच्च प्रोटीन और फाइबर से भरपूर क्विनोआ (quinoa benefits) की लोकप्रियता भी दिनों-दिन बढ़ रही है। इसको आहार में शामिल करके पोषण प्राप्त करने के अलावा वेटलॉस में मदद मिलती है। एंटीऑक्सीडेंटस (antioxidants) से भरपूर क्विनोआ न केवल शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करता है बल्कि पाचन को भी मज़बूत बनाता है। जानते हैं पोषण से भरपूर क्विनोआ किस प्रकार से है वेटलॉस में मददगार (quinoa for weight loss)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार क्विनोआ (quinoa) में मुख्य तौर पर क्वेरसेटिन और केम्पफेरोल दो फ्लेवोनॉयड प्लांट बेस्ड कंपाउंड हैं, जिनमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इससे शरीर में बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से बचा जा सकता है। इसमें पाई जाने वाली एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा शरीर को कई बीमारियों के प्रकोप से बचाकर रखते हैं और वेटलॉस में कारगर साबित होते हैं।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि शरीर में फाइबर इनटेक को बढ़ाने के लिए क्विनोआ एक बेहतरीन विकल्प है। इसके सेवन से शरीर में एनर्जी का स्तर उचित बना रहता है। इसके अलावा पाचन संबधी समस्याएं हल हो जाती है। क्विनोआ को मील में एड करने से प्रोटीन की भी प्राप्ति होती है। इससे भूख को नियंत्रित (tips to control appetite) करके शरीर में बढ़ने वाले कैलोरी स्टोरज को सीमित किया जा सकता है। मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के अलावा हृदय रोगों से भी बचाता है। इसे रोटी, स्प्राउट या सब्जियों के साथ पकाकर खाया जा सकता है। नियमित सेवन से वज़न को कम करने में मदद मिलती है।
क्विनोआ का सेवन करने से शरीर को डाइटरी फाइबर और प्रोटीन की प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद ल्यूसिन और लाइसिन अमीनो एसिड की मदद से पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है। इसके सेवन से आंत में गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ भी बढ़ने लगती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। यूएसडीए के अनुसार 1 कप क्विनोआ से शरीर को 5.18 ग्राम फाइबर की प्राप्ति होती है।
क्विनोआ में नौ अमीनो एसिड के अलावा फोलेट, जिंक, आयरन और विटामिन बी1 की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम हो जाता है और बार बार भूख लगने की समस्या हल होने लगती है। इसके अलावा ब्लोटिंग, अपच, पेट में ऐंठन समेत अन्य डाइजेस्टिव समस्याओं से बचा जा सकता है।
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (low glycemic index) के चलते क्विनोआ का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा क्विनोआ से शरीर को अमीनो एसिड, फाइबर, आयरन और प्रोटीन की प्राप्ति होती है। इसका नियमित सेवन न केवल शरीर में तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल को कम करता है बल्कि इसमें मौजूद मैग्नीशियम और फास्फोरस की मात्रा की मदद से प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानि पीएमएस के लक्षणों से राहत मिल जाती है। इससे नींदन आने की समस्या हल होने लगती है और वेटलॉस में मदद मिलती है।
पोषण से भरपूर क्विनोआ को आहार में शामिल करने से शरीर को पॉलीफेनोल कंपाउड और प्रीबायोटिक्स की प्राप्ति होती है। इससे गट हेल्थ को मदद मिलती है। दरअसल, इसमें पाए जाने वाले फाइटिक एसिड डाइजेस्टिव एंजाइम्य को बढ़ाकर पाचन में मदद करते है। इससे शरीर में बढ़ने वाली चर्बी से बचा जा सकता है। साथ ही ऑवल मूवमेंट नियमित बनी रहती है। रोज़ाना ग्लूटन फ्री मील का सेवन करने से डायरिया, पेट दर्द, ब्लोटिंग और फूड एलर्जी की समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही अतिरिक्त वज़न बढ़ने से भी बचा जा सकता है।
क्विनोआ को पकाने से पहले उसे अवश्य धोएं। इससे क्विनोआ की प्राकृतिक कोटिंग में मौजूद सैपोनिन को हटाने में भी मदद मिलती है। इसे पकाने से पहले 30 मिनट से लेकर 1 घंटे तक भिगोकर रखें अन्यथा स्वाद में कड़वाहट बढ़ने लगती है। भीगने के बाद क्विनोआ नर्म हो जाता है और पकाने में आसान होता है। सोक करने के बाद फूड की डाइजेस्टीबीलिटी भी बढ़ जाती है। हाई फाइबर फूड क्विनोआ को रोटी, चीला, उपमा और खिचड़ी पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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