करेले की गिनती कड़वी सब्जियों में की जाती है। अक्सर लोग इसे खाने में आनाकानी करते हैं। मगर इसमें मौजूद पोषक तत्व न सिर्फ शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं बल्कि इसका सेवन करने से शरीर को कई फायदे भी मिलते हैं। इसे सब्जी के तौर पर खाने के अलावा जूस और चिप्स के रूप में खाया जाता है। इसमें पाई जाने वाली विटामिन और मिनरल की मात्रा ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद है। जानते हैं करेले के फायदे और किन बीमारियों को इसकी मदद से दूर करने में मिलती है मदद (How to cook bitter gourd aka Karela)।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि करेला एक सीज़नल वेजीटेबल है। इसे खाने के बेहतरीन परिणाम पाने के लिए इसे सीजन में ही खाएं। सर्दियों में इसे खाने से परहेज करना चाहिए। एंटीऑक्सीडेंटस, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर करेले को किचन गार्डन में उगाकर खाना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। करेले को सुबह और रात किसी भी वक्त खाया जा सकता है। इससे शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
करेले को ऑयल में फ्राई करने की जगह बॉइलिंग प्रोसेस का प्रयोग करें। इसे प्याज के साथ मिलाकर फ्राई करने से बचें। करेले को बॉयल करके बनाने के दौरान प्याज का प्रयोग कर सकते हैं। मगर डीप फ्राइ करने से बचें। इसके अलावा करेले के छिलकों (Bitter gourd peel) को धोकर करेले में स्टफ कर लें और फिर उसका सेवन करे। इससे करेले से फाइबर की भरपूर मात्रा में प्रापित होने लगती है, जो शरीर में बढ़े हुए वज़न को भी कम करता है।
इस लो कैलोरी फूड का सेवन करने से शरीर को फाइबर की प्राप्ति होती है। यूएसडीए के अनुसार हर 100 ग्राम करेले से 2 ग्राम फाइबर प्राप्त होता है। इससे डाइजेशन इंप्रूव होता है और एपिटाइट में भी सुधार आने लगता है। इससे शरीर में जमा होने वाली अतिरिक्त कैलोरीज़ की समस्या हल हो जाती है।
करेले में पाया जाने वाला फिनॉलिक कंपाउड ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीमाइक्रोबियल गुण ब्लड को प्यूरिफाई करने में भी मदद करने लगते है। नियमित रूप से इसका सेवन शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।
शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए करेले में आयरन और फोलेट की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे एनीमिया से मुक्ति मिलती है। इसे खाने से लाल कोशिकाओं की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है। इससे शरीर संतुलित बना रहता है।
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा त्वचा को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से मुक्त रखने में मदद करती है। इसके अलावा त्वचा पर बढ़ने वाली एक्ने और झाइंयों की समस्या से राहत मिलती है। दरअसल, इसमें मौजूद मिनरल्स और विटामिन ई की मात्रा त्वचा में कोलेजन के स्तर को बढ़ाती है।
एनआईएच के अनुसार करेले का सेवन करने से फ्रुक्टोसामाइन के स्तर को सीमित करके इंसुलिन के सिक्रीशन में मदद मिलती है। इससे ब्लड शुगर लेवल को कम किया जाता है। करेले को आहार में शामिल करने से ग्लाइसेमिक नियंत्रण बना रहता है। दरअसल, इसमें पाई जाने वाली केरेंटीन कंपाउड की मात्रा ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के रिसर्च के अनुसार 40 लोगों ने 4 सप्ताह में 2,000 मिलीग्राम करेले का सेवन किया, जिसके चलते ब्लड शुगर लेवल में कमी पाई गई।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार करेला खाने से पेट, कोलन, लंग्स और नासॉफरीनक्स के कैंसर सेल्स को मारने में मदद मिलती है। एक अन्य स्टडी के अनुसार करेले को आहार में शामिल करने से ब्रेस्ट कैंसर सेल्स की ग्रोथ को ब्लॉक करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद कैंसर फाइटिंग प्रॉपर्टीज़ शरीर में कैंसर के प्रभाव को कम कर देती है।
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कस्टमाइज़ करेंशरीर में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आर्टरीज़ में फैटी प्लेक को बनाने लगता है। इसके चलते हृदय को रक्त पंप करने में मेहनत बरनी पड़ती है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में करेला खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का खतरा कम होने लगता है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन भी नियमित बना रहता है।
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